मणिधारी नाग ने शिंवलिंग से लिपटकर अपने प्राण त्यागे थे।
बड़े-बड़े सूरी-सूरमा जाते हैं-मसूरी के इस नाग मन्दिर में-
पहाड़ों की रानी मसूरी से 8 किलो मीटर दूरी पर हरे भरे पहाड़ों के बीच में लगभग 900 वर्ष पुराना स्वयम्भू नाग मंदिर है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस जगह एक मणिधारी नाग ने शिंवलिंग से लिपटकर अपने प्राण त्यागे थे। इस जगह की खोज जब हो सकी, तब गाँव की सभी गायें अपना दूध उस स्थान पर जाकर छोड़ देती। यह स्थान सिद्व नागपीठ के रुप में माना जाता है। आज भी वह शिंवलिंग मंदिर के अंदर स्थापित है। यहाँ केवल दूध अर्पित करने की परम्परा है।
यह भी भरोसा है कि
कालिया नाग देवता के स्वरूप में मसूरी के भट्टा गांव के इसी मदिर में विराजमान है।
कहा यह भी जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसकी खोज की थी।
एक बार पर्यटक पिथौरागढ़ अवश्य जाएं–
पिथौरागढ़ धाम बहुत काम का तीर्थ है, जहाँ हरिहर के दर्शन एक साथ किये जा सकते हैं।
बहुत कम दाम में, इस धाम में पहुंच सकते हैं। इस स्थान पर मन्दिरों का अम्बार तो है ही, साथ ही सन्त-साधकों का भंडार भी है।
खोजना और सोचना आपको है।
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