अमृतम हरड़ – विजयासर्वरोगेषु
अर्थात हरड़ सभी रोगों पर विजयी है
हरड़ को स्वस्थ जीवन हेतु परम् हितकारी कहा गया है । उदर रोगों के लिए
यह अमृत है ।शरीर के समस्त
दोषों का नाश करना इसका मुख्य गुण है । हर रोग को हरने (मिटाने) केकारण इसे
हरड़ कहते हैं ,
आयुर्वेद की यह अमृतम ओषधि है ।
हरतिरोगान मलान इति हरीतकी
अमृतम हरड़ रोगों का हरण करती है ।
रोगों की जड़ उदर है और
यह मल विसर्जन द्वारा रोगों को तन से निकाल फेंकती है ।। हरड़ शिथिल इंद्रियों को क्रियाशील बनाती है ।
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ “भावप्रकाश निघंटु“
हरीतक्यादी अध्याय में अमृतम हरड़ के बारे में विस्तार से बताया है । शरीर को हरा- भरा,हरियाली से लबालब तथा निरोग रखने के कारण इसे अमृतम हरीतकी
भी कहते हैं ।
अमृतम हरड़ की उत्पत्ति –
ततो दिव्यासमुत्पन्ना
सप्तजातिरहरितकी
समुद्र मंथन के समय अमृतपान करते समय कुछ बूंद पृथ्वी पर गिरने से 7 प्रकार के दिव्य गुण वाली हरड़ उत्पन्न हुई ।
अमृतम हरड़ के अन्य नाम–
संस्कृत में हरड़ के नाम निम्नलिखित हैं ………
? हरि होने से एक नाम “हरीतकी” है ।
तन को भय रहित करने से इसे
“अभया“कहते हैं ।
? कभी भी सेवन करने के कारण ऐसे
‘पथ्या‘ ( हितकारिणी) कहा जाता है ।
? शरीर को सदा स्वस्थ बनाए रखने से
‘कायस्था‘ या शरीर धारक भी एक नाम है ।
? तन को पवित्र करने वाली होने से इसे “पूतना” अर्थात पवित्र धारिणी कहा गया ।
? अमृततुल्य होने से ‘अमृता’ बताया ।
? “हेमवती” इसलिये कहा, क्योकि यह हिमालय पर पैदा होती है ।
?व्यथानाशक होने के कारण हरड़ का एक नाम “अव्यथा” भी है ।
?तन के सभी अवयवों को चेतन करने वाली
हरड़ को “चेतकी” भी एक नाम है ।
? “श्रेयसी” हरड़ को ही कहते है
जो शरीर के लिये सर्वाधिक श्रेष्ठ है
? समस्त जीव जगत का कल्याण करने वाली हरड़ का एक नाम “शिवा” (कल्याण कारिणी)भी है ।
?हरड़ का एक नाम “वयः स्था ( आयुस्थापक)भी है । हरड़ के सेवन से व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए शतायु प्राप्त करता है ।
? “विजया” अर्थात रोगों को जीतने
वाली । हरड़ का अन्य नाम है ।
? “रोहिणी” ( रोपणी) हरड़ ही है ।
? “जीवंती” अर्थात जीवन दायिनी हरड़ ही है ।
हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक असरकारक ओषधि है । इसलिये अमृतम के सभी माल्ट (अवलेह) में हरड़ एवम हरड़ का मुरब्बा बनाकर मिश्रण किया है ।
पूरे विश्व में मात्र
अमृतम फार्मास्युटिकल्स ही
आयुर्वेद की एक ऐसी कंपनी है,
जिसने पहली बार अलग–अलग
रोगों के लिए करीब 23 माल्टो का निर्माण किया है। जैसे-
भूख व खून वृद्धि हेतु- अमृतम गोल्ड माल्ट
महिलाओं के स्वास्थ्य व सुंदरता हेतु- नारीसौन्दर्य माल्ट
स्त्री रोगों के लिये – गायनोकी माल्ट
वात विकार नाशक – ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
बवासीर की तासीर ठीक करने हेतु –
पाइल्स की माल्ट
एवम
भयंकर बवासीर नाशक माल्ट
मानसिक शांति व याददास्त हेतु – ब्रेनकी गोल्ड माल्ट
बच्चों को तंदरुस्ती हेतु – चाइल्ड केअर माल्ट
एसिडिटी अम्लपित्त नाशक – जिओ माल्ट
लिवर की सुरक्षा हेतु – कीलिव माल्ट
ज्वर व चिकनगुनिया नाशक- फ्लुकी माल्ट
सेक्स पावर वृद्धि हेतु– बी.फेराल माल्ट
केशरोग नाशक- कुंतल केअर माल्ट
खांसी का अंत…करे तुरन्त – लोजेन्ज माल्ट
आदि उपरोक्त माल्ट में हरड़ का मुरब्बा,
बनाकर आयुर्वेद की प्राचीन विशेष विधि विधान से निर्मित किया है ।
अमृतम हरड़ के विषय में आयुर्वेद के अति प्राचीन ग्रंथों से जो भी संकलन किया है उन ग्रंथों के रचनाकारों, वैज्ञानिकों का स्मरण कर उन महान आत्माओं को प्रणाम, शत-शत नमन करते हुए आयुर्वेद के शास्त्रों के नाम
निम्नानुसार हैं —
वंगसेन सहिंता (वैद्यराज श्री वंगसेन)
वनोषधि दर्पण (कविराज विरजाचरन)
शंकर निघण्टु (वैद्य महर्षि श्री शंकरदत्त गौड़)
मदनपाल निघंटु (वैद्य श्री मदनपाल)
संदिग्ध ब्यूटी चित्रावली
(श्री श्री वैद्य रूपलाल जी)
शालिग्राम निघंटु ( राजवैद्य श्री शालिग्रामजी)
राजनिघंटु ( काशीनरेश राजा श्रीकाशीराज)
चरक की संस्कृत टीका (श्री चक्रपाणि वैद्य)
अष्टांग हृदय ( महर्षि वागभट्ट)
आगे ब्लॉग में जानिए –
अमृतम हरड़ को विश्व मे किन-किन भाषाओं में क्या कहा जाता है ?
अमृतम हरड़ की 7 जातियां कौन सी हैं ?
अमृतम हरड़ के प्रयोग ?
अमृतम हरड़ के गुण?
अमृतम हरड़ में कितने रस होते है ?
अमृतम हरड़ के विशेष गुणधर्म। ?
हरड़ की सेवन विधि ?
अमृतम हरड़ से निर्मित आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में ओर भी अद्भुत जानकारी तथा अपना आर्डर देने के लिए
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अमृतम हरड़ – विजयासर्वरोगेषु अर्थात हरड़ सभी रोगों पर विजयी है
हरड़ को स्वस्थ जीवन हेतु परम् हितकारी कहा गया है । उदर रोगों के लिए
यह अमृत है ।शरीर के समस्त दोषों का नाश करना इसका मुख्य गुण है । हर रोग को हरने (मिटाने) केकारण इसे
हरड़ कहते हैं ,
आयुर्वेद की यह अमृतम ओषधि है ।
हरतिरोगान मलान इति हरीतकी
अमृतम हरड़ रोगों का हरण करती है ।
रोगों की जड़ उदर है और
यह मल विसर्जन द्वारा रोगों को तन से निकाल फेंकती है ।। हरड़ शिथिल इंद्रियों को क्रियाशील बनाती है ।
हुई ।
अमृतम हरड़ के अन्य नाम–
संस्कृत में हरड़ के नाम निम्नलिखित हैं ………
? हरि होने से एक नाम “हरीतकी” है ।
तन को भय रहित करने से इसे
“अभया“कहते हैं ।
? कभी भी सेवन करने के कारण ऐसे
‘पथ्या‘ ( हितकारिणी) कहा जाता है ।
? शरीर को सदा स्वस्थ बनाए रखने से
‘कायस्था‘ या शरीर धारक भी एक नाम है ।
? तन को पवित्र करने वाली होने से इसे “पूतना” अर्थात पवित्र धारिणी कहा गया ।
? अमृततुल्य होने से ‘अमृता’ बताया ।
? “हेमवती” इसलिये कहा, क्योकि यह हिमालय पर पैदा होती है ।
?व्यथानाशक होने के कारण हरड़ का एक नाम “अव्यथा” भी है ।
?तन के सभी अवयवों को चेतन करने वाली
हरड़ को “चेतकी” भी एक नाम है ।
? “श्रेयसी” हरड़ को ही कहते है
जो शरीर के लिये सर्वाधिक श्रेष्ठ है
? समस्त जीव जगत का कल्याण करने वाली हरड़ का एक नाम “शिवा” (कल्याण कारिणी)भी है ।
?हरड़ का एक नाम “वयः स्था ( आयुस्थापक)भी है । हरड़ के सेवन से व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए शतायु प्राप्त करता है ।
? “विजया” अर्थात रोगों को जीतने
वाली । हरड़ का अन्य नाम है ।
? “रोहिणी” ( रोपणी) हरड़ ही है ।
? “जीवंती” अर्थात जीवन दायिनी हरड़ ही है ।
हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक असरकारक ओषधि है । इसलिये अमृतम के सभी माल्ट (अवलेह) में हरड़ एवम हरड़ का मुरब्बा बनाकर मिश्रण किया है ।
पूरे विश्व में मात्र
अमृतम फार्मास्युटिकल्स ही
आयुर्वेद की एक ऐसी कंपनी है,
जिसने पहली बार अलग–अलग
रोगों के लिए करीब 23 माल्टो का निर्माण किया है। जैसे-
भूख व खून वृद्धि हेतु- अमृतम गोल्ड माल्ट
महिलाओं के स्वास्थ्य व सुंदरता हेतु- नारीसौन्दर्य माल्ट
स्त्री रोगों के लिये – गायनोकी माल्ट
वात विकार नाशक – ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
बवासीर की तासीर ठीक करने हेतु –
पाइल्स की माल्ट
एवम
भयंकर बवासीर नाशक माल्ट
मानसिक शांति व याददास्त हेतु – ब्रेनकी गोल्ड माल्ट
बच्चों को तंदरुस्ती हेतु – चाइल्ड केअर माल्ट
एसिडिटी अम्लपित्त नाशक – जिओ माल्ट
लिवर की सुरक्षा हेतु – कीलिव माल्ट
ज्वर व चिकनगुनिया नाशक- फ्लुकी माल्ट
सेक्स पावर वृद्धि हेतु– बी.फेराल माल्ट
केशरोग नाशक- कुंतल केअर माल्ट
खांसी का अंत…करे तुरन्त – लोजेन्ज माल्ट
आदि उपरोक्त माल्ट में हरड़ का मुरब्बा,
बनाकर आयुर्वेद की प्राचीन विशेष विधि विधान से निर्मित किया है ।
अमृतम हरड़ के विषय में आयुर्वेद के अति प्राचीन ग्रंथों से जो भी संकलन किया है उन ग्रंथों के रचनाकारों, वैज्ञानिकों का स्मरण कर उन महान आत्माओं को प्रणाम, शत-शत नमन करते हुए आयुर्वेद के शास्त्रों के नाम
निम्नानुसार हैं —
वंगसेन सहिंता (वैद्यराज श्री वंगसेन)
वनोषधि दर्पण (कविराज विरजाचरन)
शंकर निघण्टु (वैद्य महर्षि श्री शंकरदत्त गौड़)
मदनपाल निघंटु (वैद्य श्री मदनपाल)
संदिग्ध ब्यूटी चित्रावली
(श्री श्री वैद्य रूपलाल जी)
शालिग्राम निघंटु ( राजवैद्य श्री शालिग्रामजी)
राजनिघंटु ( काशीनरेश राजा श्रीकाशीराज)
चरक की संस्कृत टीका (श्री चक्रपाणि वैद्य)
अष्टांग हृदय ( महर्षि वागभट्ट)
आगे ब्लॉग में जानिए –
अमृतम हरड़ को विश्व मे किन-किन भाषाओं में क्या कहा जाता है ?
अमृतम हरड़ की 7 जातियां कौन सी हैं ?
अमृतम हरड़ के प्रयोग ?
अमृतम हरड़ के गुण?
अमृतम हरड़ में कितने रस होते है ?
अमृतम हरड़ के विशेष गुणधर्म। ?
हरड़ की सेवन विधि ?
अमृतम हरड़ से निर्मित आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में ओर भी अद्भुत जानकारी तथा अपना आर्डर देने के लिए
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