Month: September 2019

  • दुर्गोपासना और दुर्गा पाठ किस प्रकार करना चाहिए

    दुर्गोपासना और दुर्गा पाठ किस प्रकार करना चाहिए

      दुर्गापाठ के समय रखें “७” बातों का ख्याल, तो हो जाएंगे मालामाल…. यत्रैतत्पठ्यते सम्यङ्  नित्यमायतने मम। सदा न तद्विमोक्ष्यामि  सान्निध्यं तत्र में स्थितम !!८!! अर्थात-दुर्गा पाठ करते समय सही तरीके यानि सम्यक से अर्थ समझकर शुद्ध उच्चारणपूर्वक पढ़ना चाहिए। पाठ करते समय ब्राह्मण या साधक से त्रुटि न हो, उच्चारण में अशुद्धि न हो। पाठ में प्रत्येक मन्त्र का यतार्थ…

  • पिछले ब्लॉग में ॐ के बारे में बताया था इस लेख में जाने माँ चण्डिका कौन है-

    पिछले ब्लॉग में ॐ के बारे में बताया था इस लेख में जाने माँ चण्डिका कौन है-

        ।। ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे‘ ।।   भाषाशब्द कोष और संस्कृत व्याकरण टीका के अनुसार चण्ड का अर्थ- प्रचण्ड, उग्र, आवेश युक्त, उष्ण, फुर्तीला और सक्रिय बताया गया है। अतः माँ चण्डिका का यह रूप स्मरण करने का उद्देश्य यह भी है कि माँ अपने भक्त के कष्ट का निवारण कर अभीष्ट साधन में…

  • ७ अक्षर का चमत्कारी मन्त्र

    ७ अक्षर का चमत्कारी मन्त्र

    बहुत कम समय में सिद्धि-समृद्धि सुख-सफलता और अच्छा स्वास्थ्य पाना चाहते हो, तो इस लेख का अनुसरण अवश्य करें! !!ॐ!! के बारे में दुर्गा सप्तशती में बताये गए हैं- चमत्कारी प्रभाव और रहस्य…   इस लेख में केवल !!ॐ!! के विषय में  लिखा गया है। अगले ब्लॉग में   !!नमश्चचण्डीकायै!! के रहस्य जाने–   दुर्गा सप्तशती का प्रथम चरित्र…

  • महाकाली कलकत्ते वाली

    महाकाली कलकत्ते वाली

       क्यों कहते हैं दुर्गा …. आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार देवी के दुर्गा नाम के सम्बंध में कहा जाता है कि- शरीर रूपी दुर्ग में निवास करने का कारण दुर्गा है। शास्त्रों में लिखा है- दुर्गम नामक दैत्य को मारने के कारण दुर्गा है। तन्त्रचार्य कहते हैं- मनुष्य के लिए कठिन से कठिन दुर्गम कार्य…

  • हे माँ..तुझे शत-शत नमन

    हे माँ..तुझे शत-शत नमन

    भुवनेश्वरी सहिंता में कहा गया है- यथा वेदों …..तद्वतसप्तशती स्मृता वेद की तरह दुर्गा सप्तशती भी अनादि है अपौरुषेय है। मार्कंड़य पुराण के अंतर्गत होते हुए भी ऋषि मार्केंडेय इसके रचनाकार न होकर मन्त्रद्रष्टा ऋषि हैं। उन्होंने अपने ध्यान-साधना में देवी के जिन रूपों और चरित्रों का साक्षत्कार किया वही इसमें वर्णित है। माँ शक्ति के…

  • नवरात्रि पर दिलचस्प दुर्लभ जानकारी

    नवरात्रि पर दिलचस्प दुर्लभ जानकारी

    शिव हो या शिवा खोजने से नहीं, खो-जाने से मिलते हैं। सन्सार में केवल पूर्ण है, तो केवल मां ही है। मां में जगत बसता है। माँ सदा से ही पूर्ण है। भारतीय संस्कृति के अनुसार हर महीने पूर्णिमा तिथि आती है। शास्त्रों में देवी दुर्गा शक्ति न स्त्रीलिंग है न पुरुष है और नाहीं नपुंसक है। मां भगवती को हम…

  • नवरात्रि में घटस्थापन कैसे करें

    नवरात्रि में घटस्थापन कैसे करें

    विभिन्न कामनाओं के लिए कलश स्थापना और अनुष्ठान सम्बन्धी वैदिक नियम….. एक बार यह नियम-विधान अपनाकर देखें। जीवन चमत्कारी होने लगेगा। इस लेख को तैयार करने में 55 से अधिक पुराने ग्रंथो का अवलोकन तथा अध्ययन किया है।   महाविद्या सूत्र और भुवनेश्वरी सहिंता आदि ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में दुर्गापाठ के समय कलश स्थापना और अखण्ड ज्योत का विशेष महत्व…

  • दुर्गा शप्तशती रहस्य के अनुसार शरीर की रचना

    दुर्गा शप्तशती रहस्य के अनुसार शरीर की रचना

      जाने तन के वह वैदिक भाषा में अठ्ठारह अंग जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं….. इन्टरनेट पर यह अदभुत, दुर्लभ और दिलचस्प जानकारी पहली बार आप पढ़कर रोमांचित हो जाएंगे। इस विशेष लेख में वेद व संस्कृत भाषा के बहुत ही कठिन शब्दों को सरल भाषा में लिखने का विनम्र प्रयत्न किया है। लेख मनमाफिक लगे, तो अपने कमेंट्स…

  • शरीर में इन 18 स्थानों पर होता है ऊर्जा का विशेष प्रवाह

    शरीर में इन 18 स्थानों पर होता है ऊर्जा का विशेष प्रवाह

    जाने तन के वह अठ्ठारह अंग जो  बहुत ही महत्वपूर्ण हैं…..   शांडिल्य उपनिषद में शरीर के 18 मर्म स्थान बताये गये हैं — 【१】पदतल यानि पैरों के तलबे 【२】पादांगुष्ठ यानि पैरों के अंगूठा 【३】गुल्फ यानि पैरों के ऊपर एड़ी के ऊपर की गांठ, गट्टा, इसे टखना भी कहते हैं। 【४】जंघा यानि जांघ घुटने के ऊपर तथा पेट के…

  • दान का वैदिक महत्व

    दान किसको करें भीतेभ्यश्चाभयं देयं, व्याधितेभ्यस्तथौषधम्। देया विद्याथिने विद्या, देयमन्नं क्षुधातरे।। इस लोक  और परलोक में सुख प्राप्ति के लिए चार दान श्रेष्ठ बनाएं है – 1. भयभीत को अभयदान 2. रोगी को औषधिदान 3. विद्यार्थी को विद्यादान 4. और भूखे को अन्नदान।