मेरा मानना है कि-
प्रेम मत करो, आत्महत्या के कई औऱ भी नायाब तरीके हैं । प्रेम सफल, तो आदमी तबाह तथा
प्रेम असफल, तो जीवन तबाह ।
प्रेम सफल का मतलब होता है-प्रेम विवाह ।
एक बार कर लिया, तो पूरा जीवन मांग औऱ
पूर्ति में उलझ कर पूरा जीवन तबाह हो जाता है ।
माँग, तो वह खुद भर लेती है किन्तु हर चीज की
पूर्ति करते-करते प्रेमी हो या पति के प्राण निकल
जाते हैं । आदमी न अर्थशास्त्री बन पता है और न ही अनर्थ शास्त्री । सारे शास्त्र आँसुओं की सहस्त्रधारा में बह जाते हैं ।
औऱ प्रेम असफल, तो जीवन तबाह का अर्थ है कि
प्रेमिका की याद में पूरा जीवन व्यर्थ-व्यतीत होकर केवल अतीत बचता है । उसकी याद ही याद में दिल व दिमाग में मवाद पड़ जाता है । उसकी याद का बेहिसाब खाता सब वाद-विवाद से दूर रखता है । न खाने का मन, न पखाने का ।न रोने का, न गाने का । जमाने का डर पहले ही निकल चुका होता है ।
वो किस समय,क्या कर रही होगी, इसी ऊहापोह
में समय कट जाता है ।
सावन का महीना आया की वह विचार करता है कि
“घिर के आएंगी, घटाएँ फिर से सावन की”
तुम,तो बाहों में रहोगे, अपने साजन की । ।
प्रकृति हो या पत्नी (प्रेमिका) इनकी प्रसन्नता ही
सब सम्पन्नता प्रदान कर सकती है ।
इन्हें पाने औऱ न पाने दोनो का दुख रहता है ।
क्योंकि ये बांधकर रखना चाहती हैं, जो आदमी
की फितरत से परे है । दर-दर भटकना, कहीं भी अटकना आदमी की आदत है । लेकिन संसार का आनंद इन दोनों की गोद में है ।
आदमी की आकांक्षा आकाश छूने की रहती है ।
व्यक्ति फैलना चाहता है, विस्तार चाहता है ।
स्त्री की सोच अपना “चप्पा” (पति) अपना “नमकीन” (बच्चे) औऱ थोड़ी सी “बर्फ”
(कुछ रिश्तेदार) इन्हीं में रिस-रिस कर, रस-रस कर, रच-रच कर पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है ।
सभी को आसमान छूने का प्रयास करना चाहिए ।
हमारे सपने ही हैं,जो आसमां से भी बड़े होते हैं ।
केवल सपने ही अपने होते हैं ।
“हमें हर हाल में सफल होना है” यही मन्त्र
हमारे दुर्भाग्य को दूर करने में सहायता करता है ।
दिन-रात की मेहनत से ईश्वर भी एक दिन
नतमस्तक हो जाता है । यही विश्वास विश्व में
प्रसिद्ध कर, हमें
विश्वनाथ, भोलेनाथ से मिलवा देता है ।
अपने मनोबल को सदा बढ़ाये रखो ।
इसी बल के बुते हम दरिद्रता रूपी दल-दल
से बाहर निकल पाएंगे ।
प्रेम ईश्वर से हो या अन्य किसी से उसकी याद, स्मरण हमें हर रण में लड़ने की शक्ति देता है ।
उस “प्रेम की प्रतिमा” का भोलापन, सरलता,
सहजता आपको हमेशा प्रेरित करेगी, प्रेरणा
देगी ।
प्रेम ऐसा हो कि-मरने के बाद भी घर-घर आपकी “फ्रेम” फ़ोटो लग जाए । जैसे राधा-कृष्ण की ।
बस हमें समर्पण करना आना चाहिए । उसे
संवारना है, बस, उसे ही ऊंचाई की औऱ
उठाना है ।
किसी का पूरा ध्यान रखा, खुश रखा, मन को
हल्का किया कि उसके नयनों से एक दिन
आंसू, तो झलक ही जाएंगे ।
किसी की जिंदगी बदलना ही सच्चा प्रेम है ।
एक बार किसी का “सारथी”
बनकर, तो देखो । लेकिन हम स्वार्थी बनकर
उसके विश्वास की अर्थी निकल देते हैं ।
तन और मन के अलावा क्या है किसी के पास
देने को ।
उसका समर्पण, अपनापन, उसका प्यार
जीवन सँवार देगा ।
लेकिन क्या करे, इस टेक्नोलॉजी के युग में
सब विचित्र तरीके से बदल रहा है ।
लोगों की निगाहें ब्रा पर ज्यादा हैं वृक्ष पर नहीं ।
अपने को बदलने का प्रयास करो, निःस्वार्थ
प्यार नहीं कर सकते हो, तो पेड़ लगाओ,
प्रेमिका के नाम से किसी का जीवन नष्ट न
करो । उसकी रक्षा करो । केवल एक बार
प्रकृति हो या अन्य उससे सच्ची लग्न लगाकर देखो ।
यदि दिल दर्द, से बचकर “मर्द” बनना चाहते हो, तो ये करें-
दिल लगाने से अच्छा है,
पौधे लगाओ,
ये घाव नहीं,
छांव देंगे ।
जब बहुत परेशान हो जाओ, कोई रास्ता न सूझे,
तो उसे ही अपना गुरु बनाकर सही मार्गदर्शन लेवें-
कुछ इस तरह,
परम् आदरणीय गुरु जी,
सादर शिवाय नमः
हमें अंधकार से प्रकाश की औऱ ले चलने
में मदद करे-
“कोई हुनर , कोई राज , कोई राह ,
कोई तो तरीका बताओ….
दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न ,
कोई रूठे भी न ,सिर फूटे भी न,
कुछ लुटे भी न, और ज़िन्दगी गुजर जाए।”
“अधूरा जीवन से साभार”
आज तक किसी ने भी प्रेम से नहीं “घूरा”(देखा)
इसी कारण मेरा पूरा जीवन रहा अधूरा
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