राहु बहुत रहस्यमयी छाया ग्रह है। राहु के रहस्य को आजतक कोई समझ नही पाया। परम् शिव उपासक राहु के साथ देवों द्वारा छल करने के परिणाम स्वरूप सिर कटवाना पड़ा । इस कपट पूर्ण प्रक्रिया के कारण राहु के दो धड़ हुए ।
तत्पश्चात ऊपर का धड़ राहु ओर नीचे का धड़ केतु
ग्रह के नाम से जग में जाना जाता है ।
अमृतम फार्मास्युटिकल्स द्वारा प्रकाशित
अमृतम मासिक पत्रिका के मुद्रक-प्रकाशक,
कालसर्प विशेषांक के लेखक
तथा पिछले 30 वर्षों से हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग के लिए प्रसिद्ध
मरकरी एम. ऐजेंसी प्रा.लिमिटेड के प्रबन्ध
निदेशक अशोक गुप्ता के अनुसार

राहु से पीड़ित कभी कभी व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है। दुनिया के जितने भी कष्ट, क्लेश, दुख, द्रारिद्रय सब राहु की देन है।
राहु जब किसी को सताते है, तो ईश्वर भी मदद नही करता। राहु की शांति का एक मात्र सबसे सरल उपाय है – प्रतिदिन राहुकाल में 54 दिन तक लगातार स्वयं अथवा किसी वैदिक ब्राह्मण द्वारा
राहुकी तेल से, या मधु पंचामृत से शिवलिंग का रुद्राभिषेक कराकर अपने पिछले पापों का
प्रायश्चित करें ।
प्रतिदिन प्रातः सुबह 5.29 से 6.27 के बीच
किसी शिवालय की साफ-सफाई कर कर्पूर जलाकर अपने कष्ट निवारण की प्रार्थना करें ।
सम्भव हो,तो कच्चे दूध में चन्दन इत्र, गंगाजल
अपने पित्तरों के निमित अर्पण करें ।

राहु के दुष्प्रभाव-
चोरी, जुआ, नशा, बदनामी, गरीबी, धन व सुख की कमी, आर्थिक तंगी, मुकदमेंबाजी, असाध्य, कारागृह, रोग भय, पेट दर्द, पेट के रोग, अविवाहित जीवन, विवाह न होना, औलाद न होना, एकांकी जीवन, मानसिक अशान्ति, वाद-विवाद, झगड़ा, छोटी सोच, चुगलखोरी, आलस्य, नकारात्मक सोच, काम (sex) के प्रति अरूचि, बार-बार रोगों से पीड़ित होना, गृह-क्लेश, तलाक, प्यार में नाकामी, गणित की कमजोरी, किसी काम में मन न लगना, आगे बढ़ने या कुछ करने की ललक न होना, आत्महत्या के विचार आना, डिप्रेशन, अवसाद, चिड़चिडापन, भय, डर, चिंता, यह सब राहु के लक्षण है।
यदि जीवन की ऐसी स्थिति है,तो जन्म कुण्डली में राहु बहुत ही ज्यादाअनिष्टकारक है।
राहु सृष्टि के प्रशासनिक अधिकारी है। इस पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीव-जगत को पूर्व जन्म या प्रारब्ध के अनुसार कर्मो के अनुसार कष्टकर, क्लेश या सुख-समृद्धि देना इनका ही काम है।
राहु राह दिखाते हैं, लेकिन जब रास्ते से भटकाते है, तो कही का नही छोड़ते।
विपरीत या अनिष्ट राहु पूर्वजों की सम्पत्ति आदि सब बर्बाद कर देते है ।
शुभ राहु बनाये राजा-
जबकि अनुकुल व शुभ कारक में राहु जातक को इतना सब कुछ देते हैं जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता।
अथाह धन-दौलत,

यश-कीर्ति, ऐश्वर्य-सम्पदा,
योग्य सन्तान, उच्च स्तर का रहन-सहन आदि ।
जासूस,गुप्तचर, गोताखोर,

समुद्री यात्रा, खोज,

समुद्री जहाज वाहक,

पाताल के रहस्यों की जानकारी,

जमीन के अंदर से निकलने वाली
सोना-चांदी,ताम्बा जैसी धातु से लाभ । रत्नों, खदान,सड़क ठेकेदार,
इन सबका कारक राहु देव ही हैं ।

राहु शान्ति के उपाय – राहु सदा सूर्य अर्थात हमारी आत्मा को ग्रहण लगाते है। इनसे बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि प्रतिदिन राहुकाल में 108 बार ।। नमः शिवाय च शिवाय नमः।। मन्त्र की एक माला का जाप जरूर करें।

प्रतिदिन प्रातः और शाम को

“राहुकी तैल” के 2 दीपक जलाकर अपने पूर्वजों, पितरों, कुल देवी-देवताओं का विनम्र भाव से स्मरण या याद करें।
प्रतिदिन स्नान जल में गुलाब इत्र या चन्दन इत्र डालकर नहायें।

राहुदेव के गुरू श्री शुक्राचार्य जो सुख-सम्पन्नता, भौतिक जीवन के प्रदाता है। अतः इनकी प्रसन्नता हेतु प्रत्येक शुक्रवार को घर के सभी सदस्य राहुकी तैल पूरे शरीर में लगाकर स्नान करें।
न्याय कारक शनि देव राहु के अभिन्न मित्र ग्रह हैं । अतः शनि की साढ़ेसाती के कोप से बचने तथा
राहु-केतु, शनि कृपा प्राप्ति हेतु हर

शनिवार सुबह 9 बजे से 10.30

के बीच राहुकी तेल के 2 दीपक जलाकर पूरे बदन की सिर से तलबों तक अच्छी तरह मालिश कर 45 मिनिट बाद स्नान करें ।क्योकि शनिदेव राहु के अभिन्न मित्र है। जो आकस्मिक दुघर्टनाओं से बचाव करते है न्याय रक्षक होने से कभी कोई अन्याय करता है। उसका अनिष्ट कर देते है।
जीवन को ग्रह-दोषों, कष्ट-क्लेश, दुख-दर्द से दूर रखने तथा सुखमयी बनाने के लिये शास्त्रों में भी भगवान शिव की शरण में जाना लाभकारी बताया है।

वेद कभेद-
चारों वेद शिव के भेद से,तथा शिव पुराण,स्कंन्ध पुराण, भविष्य पुराण, हरिवंशपुराण, श्रीमद भागवत, सभी उपनिषद, संस्कृत भाष्यो में महादेव, महाकाल को ही हर विषम काल को काटने वाला बताया है। इसलिये माह में एक बार यदि संभव हो,तो प्रत्येक महिने की मास शिवरात्रि (अमावस्या के दिन पहले की चौदस) को जल में मधुपंचामृत चन्दन या गुलाब इत्र डालकर शिवलिंग का रूद्राभिषेक कराना चाहिये।
कुछ अन्य उपाय रविवार को राहुकाल 4:30 से 6:00 बजे के बीच छुआरे या पिण्ड खजूर करीब 100 ग्राम किसी शिवालय में 2 दीपक राहुकी तैल के जलावें इस छोटे से सभी सातो वार, पूरा महिना, पूरा साल सपरिवार सुखमय बीत सकेगा।
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