महाशक्ति तुम्हे नमन

महिला दिवस पर खास

शक्तिदात्री को सादर सलाम

स्त्री धर्म की धारा है , आधारा भी
जो मन को हिला दे उसका नाम महिला है।
यह शिव की ईकार शक्ति है।
शिव से  छोटी ई की मात्रा हटते ही वह भी शव हो जाता है।
शिव को भी शव बनने के लिए विवश कर दे,
उस महाशक्ति का नाम महिला है।

न कोई शिकवा,
न गिला,
पर विषधर (क्रोधित) हो जाए,

तो ब्रह्मांड व सृष्टि का
एक-एक जिला, किला, शिला यानि धरती हिला दे उसका नाम महिला है ।
फिर क्या गया-किसे क्या मिला
इसकी फ़िक्र नहीं करती।
दुर्गा सप्तशती में इसे शक्ति सरूपणी
और अनेकों बार
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
कहकर नमन किया है।

आज महिला दिवस है।
शिव पुराण के अनुसार
भगवान शिव ने  में इन्हें  प्रकृति स्वरूप

माना है। शास्त्रों में  स्त्री और प्रकृति

‎दोनों के स्वभाव में काफी समानता है।

यानी कि दोनों का भाव और स्वभाव लगभग एक सा ही है यथा-

क्षणे रुष्ठा- क्षणे तुष्ठा

दोनों जब प्रसन्न

‎होती है, मन को मदमस्त प्रसन्न कर देती हैं ।
रूठी तो फिर किस्मत फूटी
‎प्रातः प्रकृति परम आनंद प्रदान करती है ।
‎ठंडी-ठंडी शीतल हवा,

एक तरीके से दवा का काम करती
‎है, तभी तो सुबह हर प्राणी सिर नवा के
‎प्रकृति को प्रणाम करता है।

सुबह की वायु

शरीर को सवा
‎(स्वस्थ) बनाने में, मन्द-मन्द वायु, आयु

‎वृद्धि कारक है। प्रकृति और स्त्री का
‎भाव-स्वभाव मौसम की तरह होता है।
दोनों कब बदल जाये समझना मुश्किल होता है।
कभी सर्दी यानी प्रेम, अपनापन,
कभी गर्मी यानी गुस्सा, क्रोध,
और कभी बरसात
‎आंखों से अश्रुधारा

प्रकृति और स्त्री ‎का मन कब कैसा होने लगे, परमात्मा को भी नहीं
‎पता।

प्रकृति या स्त्री ‎दोनों ही अन्नपूर्णा हैं।
तन की रक्षकऔर साक्षात दुर्गा ‎है।

काली की कलाकारी
काल यानि समय और मृत्यु एवं महाकाल को वश में करने वाली ‎काली-महाकाली भी यही हैं।

प्रकृति हो या महिला

दोनो समर्पण की मूर्ति हैं जिसके
करतल पर
जल, कल-कल कर बह रहा है।
पवन प्रतिक्षण
नमन करता है।
आकाश प्रकाश देने को मजबूर

है।
आग इनका आधा भाग है।
शेषनाग
स्वयं जिसे धारण किये है। ये पंचतत्व
पृथ्वी-प्रकृति और स्त्री की प्रतिदिन, प्रतिपल
पल-पल परिक्रमा करने आतुर है। शिव भी इनकी सुंदरता पर मुग्ध है, यही सत्य है ।
सुंदरता में सत्य का वास है और सत्य
ही अंत में शिव है।  शिव में  लगी छोटी इ
माँ का रूप है, इस ई के हटते ही हमारा जीवन
शिव से शव हो जाता है

शव को शिव बनाती हैं महिला

संसार का हर पुरुष को शव से शिव बनाने की क्षमता मात्र महिला में ही है
बिना महिला,
कोई हिला
मतलब अपनी
‎मनमर्जी से चला कि हिल स्टेशन मिला ।

व्यक्ति साधु बना। घाटी, पहाड़ों, गुफा,  कंदराओं
एकांत घने वन में,रहने वाले अनेकों  साधक
गृहकलेश के कारण साधु बन जाते हैं,
तो कुछ ईश्वर की इच्छा से। जिनमे कई ब्रह्मचारी भी हैँ।

सभी साधक हैं
वैसे साधक सभी हैं। संसार को साधना या शिव
की साधना बात बराबर है।
कुछ किस्मत की मारी या जिम्मेदारी से मुक्त होकर हमारी- तुम्हारी की खुमारी छोड़कर
महिलाएं भी साधना पथ पाकर जीवन

जिक्र जीवन सफल बनाती हैं।

शक्ति का सख्त होना ठीक नहीं

स्त्री शक्ति है, शक्त (क्रूर)होते ही रक्त बहने में समय नहीं लगता।  सम्पूर्ण सत्ता का सेकंडों
में सर्वनाश कर सकती है। संस्कार, संस्कृति समाज और सबको बड़ी शालीनता पूर्वक
समर्पण भाव से संभालकर सब समस्या का
समाधान कर सकती है । सभी तरह के सच का सामना करते हुए अपना और अपने परिवार का
सम्मान बनाये रखती हैं।

संसार को संस्कार,
शक्ति सामर्थ्य प्रदान करने वाली सशक्त शक्ति
का नाम ही महिला है।

स्त्री स्वयं में सात स्वरों का संगम है ।

“सा” से शुरु  “नि” से अंत यानि
संगीत के दोनो स्वर “सा” और “नि”  हो एवम विनम्रता में इनका  कोई “सानि” नहीं है ।
सात सरोवर, समुद्र, नदी, वृक्ष,मठ-मंदिर
इन्हीं के कारण पूजनीय हैं ।
स्त्री धर्म की धारा है , आधारा भी ।

सृष्टि में हर हिस्ट्री रचना में स्त्री कारण है । मूर्ख को मिस्त्री (ज्ञानी)बनाने की कला इनके पास है
ये प्रेम की मूरत है।

करुणा का सागर है।

अपनेपन का अंबार है।

 समर्पण, सहजता, सरलता इनका सबसे बड़ा सहारा हैं।

सारी सृष्टि में स्त्री ही ऐसी शक्ति है, जो सदा सत्य का साथ देकर संसार को सत्संग की और ले जाती है।

संसार के सभी

 सन्त इसका अन्त आँकने हेतु उस अनन्त
( अखिलेश्वरी) के आगे ध्यान मग्न है । उसके
प्रसन्न होने से ही सब संपन्न हो सकते हैं । कुछ भी उत्पन्न इसके बिना असम्भव है ।

ये संतति औऱ संपत्ति की दाता है, तभी तो  माता, जय माता दी, माँ कहकर इसे नमन करते हैं।

स्त्री बहन बनकर जहन (बुद्धि) को पवित्र
करती है। बेटी तो फिर बेटी है।

 बेटी है तो कल है। भविष्य की नारी हेतु यह नारा बहुत चलन में है।

पत्नी शरणम गच्छामि
पत्नी- जो सदा रहे तनी । इन्हें श्रीमती नाम
से संबोधित किया जाता है। ज्ञान-विवेक, लक्ष्मी,संपत्ति श्री के कई अर्थ हैं। 

बुद्धि को भी
मति कहते हैं। भ्रष्ट मति, अति करने वाले पति
हो या जगतपति के लिए महाकाली बन जाती है ।

पत्नी अपनी लताड़ से बुरी लत छुड़ा, सही पथ
पर लाकर महिला हमेशा छत यानी अपना घर बनाने की प्रेरणा देती है।

 शादी का उल्टा दिशा होता है।
विवाह उपरांत दशा और दिशा बदल जाती है।
वह ज्योतिष की, ग्रहों की महादशा-अन्तर्दशा
समझने लगता है।

महिलाओं का स्वस्थ्य रहना जरूरी है

अतः महिलाओं को सुंदर, स्वस्थ्य औऱ खूबसूरत
बनाये रखने हेतु अमृतम द्वारा निर्मित
अद्भुत असरकारक ओषधि है

महिलाओं के 40 से अधिक रोगों को दूर करने में उपयोगी

नारी सौंदर्य माल्ट
एक अद्भुत आयुर्वेदिक ओषधि
इसे 1-1 चम्मच सुबह शाम दूध के साथ निरन्तर
लेने से अनेक अज्ञात रोग, तन के रग-रग से निकल जाते हैं।  यह बिना दर्द के मासिक धर्म समय पर लाना
सुनिश्चित करता है। सफेद पानी की शिकायत
जवानी खत्म कर देती है । इस तरह की
तमाम स्त्री विकार नारी सौंदर्य माल्ट के
लगातार खाने से नष्ट हो जाते हैं । पेट साफ रखना इसका मुख्य गुणधर्म है। चेहरे की चमक
मात्र 7 दिन के सेवन से बढ़ जाती है ।
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*अमृतम मासिक पत्रिका से साभार

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