आयुर्वेद कहता है कि –
बीमारियां उन लोगों को ज्यादा निशाना बनाती हैं, जिनका शरीर रोगों से लड़ने की ताकत खो चुका होता है। आयुर्वेदिक विज्ञान की भाषा में इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता घटना या इम्यून सिस्टम कमजोर होना कहते हैं।
इम्युनिटी की कमी के चलते व्यक्ति ऊपर से जरूर तन्दरुस्त दिखता है, लेकिन अन्दर से खोखला रहता है। क्यों कि रोगों से लड़ने की क्षमता उसकी कमजोर हो चुकी होती है।
कैसे कमजोर होता है इम्युन सिस्टम–
शरीर में पैदा होने वाले कई हालात के साथ ही बाहरी कारण इस प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं। किसी बच्चे में जन्म से ऐसा हो सकता है या वो प्रदूषण युक्त हवा-पानी यानि दुषिता पर्यावरण में पल-बढ़ रहा है।
वातावरण का दुष्प्रभाव भी बच्चों के इम्युन सिस्टम को कमजोर कर देता है। ऐसे शिशु
सदैव निमोनिया, पेट की तकलीफ, लिवर की खराबी आदि परेशानियों से झुझते हुए अक्सर बीमार ही रहते हैं।
आयुर्वेद की चिकित्सा पध्दति के अनुसार,
जिन बच्चों में बचपन से ही रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है, वे बार-बार संक्रमण (इन्फेक्शन) का शिकार होते हैं और ये संक्रमण अतिशीघ्र दूर नहीं होते।
इम्युन सिस्टम स्ट्रांग होने से कुछ बच्चों की
सर्दी जुकाम जैसी बीमारियां जल्दी दूर हो जाती हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी से कुछ बच्चों में, यहां तक कि बड़े-बुजुर्गों में भी, लंबे समय तक या जीवन भर कोई न कोई विकार बना रहता है।
पॉवरफुल प्रतिरक्षा प्रणाली का प्रताप…
कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है
कि- कुछ लोग दुबले-पतले होने के बाद भी स्वस्थ्य-चंगे दिखाई पड़ते है। इसका
कारण यही है कि- ऐसे इन्सान का इम्यून सिस्टम मजबूत हो सकता है।
कैसे बढ़ती है-रोगप्रतिरोधक क्षमता…
दरअसल, खून को शरीर में दौड़ाने वाली कोशिकाएं अन्य अंगों के साथ मिलकर बीमारियों से लड़ने की यह क्षमता (रोग प्रतिरोधक) हासिल करती हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली, रोगप्रतिरोधक क्षमता या इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने के संकेत..
■ बार-बार बीमार होना
■ भूख न लगना,
■ पेट में दर्द होना, ऐंठन,
■ बार-बार दस्त आना
■ बच्चों का दिमाग न चलना
■ याददास्त कमजोर होना
■ शरीर में अंदरूनी सूजन
■ एनीमिया यानी खून की कमी होना
■ बच्चों का सही शारीरिक विकास न हो पाना
रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण अर्थात जिन बच्चों का इम्युनिटी पॉवर मजबूत नहीं होता उन्हें- भविष्य में एचआईवी से घिर सकते हैं, जिस वायरस से एड्स हो सकता है।
चरक सहिंता के अनुसार …
● कुपोषण यानी भोजन में पोषक तत्वों की
कमी से शरीर में रोगों से लड़ने की
शक्ति खत्म हो सकती है।
● वायरल हेपेटाइटिस जैसी समस्याएं पनपने
लगती है।
● बचपन से ही केमिकल युक्त दवाओं के ज्यादा सेवन से भी रोगों से लड़ने की शक्ति खत्म होकर धीरे-धीरे शरीर की पूरी ताकत कम हो जाती है।
ऐसे बढ़ाई जा सकती है- रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि रोगों से लड़ने की ताकत….
अपने बच्चों को बचपन से ही
चाइल्ड केयर माल्ट
दूध के साथ आधी से एक चम्मच तक
दिन में एक या बार खिलावें।
युवा पीढ़ी औऱ बुजुर्गों को
खिलाएं, जो
@ इम्यून सिस्टम सर्दी और फ्लू का कारण बनने वाले वायरस से बचाव करता है।
अमृतम च्यवनप्राश के इस्तेमाल से इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करने में मदद करता है।
यह आपको रोगों के वायरस से लड़ने के लिए तैयार करता है।
और भी उपाय-आजमाएं….
फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं
रोज या सप्ताह में पूरे शरीर में काया की तेल की मालिश करके कम से कम 30 मिनट का कसरत करें।
@ सोते वक्त ब्रेन की गोल्ड माल्ट 2 चम्मच दूध के साथ लेवें यह गहरी नींद लाता है।
@ समय पर सोकर पर्याप्त नींद लें।
@जब-जब भी जरूरत हो, हाथ जरूर धोएं।
7 दिन में एक बार लंघन यानी व्रत करेें
गांव की एक पुरानी कहावत है कि-
ज्वर, साधु औऱ पाहुना लंघन देय कराए।
अर्थात–ज्वर रहने से शरीर खराब हो जाता है
ज्वर का सबसे अच्छा इलाज है भूखे रहने यानि जब तक कसकर भूख न लगे तब तक भोजन न करें। साधु औऱ पाहुना (नाते-रिश्तेदार, अतिथि) यदि घर में लंबे समय तक घर से जाए नहीं तो खाना समय पर बिल्कुल न देवें।
सिगरेट-शराब न पिएं।
आयुर्वेदिक माल्ट जैसे-
खून व भूख की वृद्धि के लिए–
अमृतम गोल्ड माल्ट लेवें
ज्वर-बुखार रहता हो, तो
फ्लूकी माल्ट का 3 माह सेवन करें।
सेक्स समस्या से जूझ रहे हो, शिथिलता आ गई हो या पुरुषार्थ की कमी है, तब
बी फेराल माल्ट 3 महीने लेवें।
यह सभी माल्ट रोग ठीक करने साथ-साथ
शरीर में पोषक तत्वों की
पूर्ति करते हैं एवं इम्युनिटी पॉवर बढ़ाते हैं
उन्हें जरूर लें।
जिन लोगों में रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है, उन्हें बदलते मौसम में खूद का ख्याल अधिक रखना चाहिए। ठंड के मौसम में बाहर निकलते समय पूरा ख्याल रखें। खुद को प्रदूषण से बचाएं रखें। ऐसे लोगों से दूर रहें, जो बीमार हैं।
भोजन की थाली में छूपी है अच्छी सेहत
इम्यून सिस्टम (रोगों से लड़ने की ताकत) मजबूत करने का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत है भोजन। आपकी थाली में सब्जियां और फल ज्यादा होने चाहिए। भारत में सरकार ने अपने ‘मायप्लेट’ प्रोग्राम के तहत दिशा-निर्देश जारी किए हैं और बताया है कि भोजन की आदर्श थाली कैसी होती है।
शरीर में किसी तरह की कमजोरी या असहजता महसूस होती है तो डॉक्टर को बताना चाहिए और उनसे यह भी जानना चाहिए कि क्या मरीज वह भोजन कर रहा है जिसमें उसके लिए जरूरी विटामिन और खनिज हो। अधिक खुराक न लें। बहुत ज्यादा सोना बुरा हो सकता है।
तनाव कम करने की कोशिश करें
आज हर व्यक्ति को तरह-तरह के तनाव से जूझना पड़ रहा है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की यही क्षमता तनाव दूर करने में मदद कर सकती है। इसलिए तनाव कम लें, खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत रखें।
– तनाव ज्यादा बढ़ जाए तो परेशान बने रहने के बजाए
ब्रेन की गोल्ड माल्ट का 3 से 5 महीने तक
सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, मालकांगनी, सेव मुरब्बा, हरड़, आँवला मुरब्बा स्मृति सागर रस से निर्मित दिमाग को तेज करने वाला एक असरदायक हर्बल सप्लीमेंट है, जो दिमाग की बन्द कोशिकाओं को खोलने में कारगर है। इसके इस्तेमाल से दिमाग बहुत ही ज्यादा तेज होकर याददास्त बढ़ने लगती है। यह बढ़ते बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपाय है।
तनाव दूर करने के लिए ये भी तरीके अपनाए….
■ समय पर सोकर पर्याप्त नींद लें।
■ ध्यान की आदत बनाएं।
■ मन में शान्ति का अनुभव करें।
■ खुद को रिलेक्स रखें यानी हर वक्त तनाव में न रहें।
■ बीच-बीच में कुछ ऐसे काम करते रहें, जिसने सुकून महसूस हो जैसे कोई शॉर्ट फिल्म देखना या संगीत सुनना।
■ व्यायाम जरूर करें।
■ अपने लिए समय निकालें।
■ उन लोगों से मिलते-जुलते रहें, जिन्हें आप अपनी समस्याएं बताते हैं और सही समाधान मिलता है।
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आयुर्वेदिक शास्त्र बताते हैं कि-
जो मां अपने बच्चे को स्तनपान कराती है,
उस बच्चे में रोगों से लड़ने की ताकत ज्यादा होती है। जिस घर में छोटे बच्चे हों, वहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए।
■ बच्चों को चटोरेपन की आदत से बचाये।
बाहर की खाद्य-पदार्थ खिलाने के बजाए घर की बनी पौष्टिक चीजें खिलाएं।
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