प्यार में अब एतवार क्यों नहीं। भरोसा उठ रहा है। सच्चा प्यार क्या होता है !!

  • प्यार का त्योहार ऐसा है चैत्र का महीना भी क्वांर मास की तरह लगता है। आपको पता होगा की क्वांर के महीने में कुत्ते के सामने बहुत हिनहिनाते हैं और इस माह में कुत्तों में सर्वाधिक कामवासना भरी होती है। कुत्ते सेक्सी हो जाते हैं। इसी महीने में कुत्ते ज्यादा सेक्स करते हैं।
  • प्यार में बैचेनी की वजह भी यही है। अगर प्यार पर एतवार हो, प्यार सच्चा हो, तो इतवार हो सोमवार कभी भी बैचेनी नहीं होगी।
  • वैसे भी झूठे प्यार में कभी चैन नहीं मिलता और स्वर्ण चैन भी बिक जाती है। आज का प्यार अब महंगा हो गया है। इसमें सार खत्म होता जा रहा है।
  • एक एक प्रेमी प्रेमिका के 2 से 3 स्टार्टअप चल रहे हैं। प्यार के खुमार ने तनाव बढ़ा दिया है।
  • लिंग में करंट आने से सेक्स का भूत सवार हो जाता है और फिर प्यार तार तार होकर खूंखार हो जाता है।
  • कलयुग में आज दिल कम और पलंग ज्यादा टूट रहे हैं। सब जगह फ्राड का बोलबाला है और सपने दिखाकर जो सुख उठाने के बाद पेट में लाला आ जाता है उसकी जिम्मेदारी कोई लेना नहीं चाहता।
  • सबकी बुद्धि पर ताला लग गया है। मांग में गुलाल भरने की जगह गाल से गाल मिलाकर मिस का kiss ले लिया और हो गया प्यार।
  • प्यार त्याग, समर्पण का दूसरा नाम है और इसके नाम से घिनौना खेल खेला जा रहा है।
  • दिल से दिल और ताल से ताल मिलने वाला प्यार दुनिया से दूर हो रहा है। केवल खाल का प्यार के कारण डिप्रेशन के रोगी 62 फीसदी तक हो चुके हैं।
  • शादी के पहले जो ऑपरेशन यानि संभोग का खेल चल रहा है। ये एक धोखा है। ये माता पिता ईश्वर और की नजर में अपना इंप्रेशन खराब कर लेते हैं।
  • मोका पाते ही हॉटल में रोका, तो कर लेते हैं और बाद में आपस में ठोका, यानि युद्ध चलता है।
  • आज का प्यार एक युद्ध नहीं बचा, जो कभी स्वयं के विरुद्ध चलता था। लड़का या लड़की दोनो ही अशुद्ध हो गए हैं।
  • कोई भी शुद्ध नहीं बचा। Rose डे अब रोज रोज का सेज डे बन गया है। इसलिए आज का प्यार बेकार ही है। ऐसे प्यार को धिक्कार है।
  • युवाओं का ध्यान रोजगार पर नहीं है जबकि कोई भी नार यानि लड़की बेरोजगार व्यक्ति से संबंध नहीं बनाएगी। यही कटु सत्य है।
  • युवा पीढ़ी को न तो बेलपत्र चढ़ाने आता है और ना ही प्रेमपत्र लिखना आता है।
  • अपना इत्र यानि वीर्य का दुरुपयोग कर चरित्र बर्बाद कर लिया है।
  • आज का प्यार चलचित्र की तरह बन चुका है। मित्र ही मित्र के साथ दगा कर रहे हैं।
  • हमारे जमाने का प्यार देखें और शब्दों का मायाजाल देखकर तो हिल ही जायेंगे। प्रेम की प्रतिमा को केसा सम्मान देते थे। हमारे समय के प्रेमी

नई नई दुल्हन सज गई है, घुंघटा में दोऊ नैन कजरारे।

गोरे हैं गाल, दोउ होंठ लाल, रेशम से बाल कारे कारे।।

गांव में जब वो पानी भरने जाती, तो प्रेमी की कल्पना अदभुत रहती थी ।

पनीहा को जात, लटकत दिखात, करहा में सात लर करधोनी।

चिकनो सो अंग है, गोरों सो रंग, देख छैलन के संग व्यंग रोनी।

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