Tag: कालसर्प
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भगवान शिव के गले लिपटे नाग का नाम क्या है। श्लोक, ग्रंथ सहित जाने!
काद्रवेयाश्च बलिन: सहस्त्रममि तौजस:!!सुपर्णवशगा नागाजज्ञिरेsनेक मस्तका:।। अर्थात- नागमाता कद्रू से बड़े-बड़े विषधारी, बलशाली, अपार तेजस्वी तथा अनेक फनों वाले एक हजार नाग उत्पन्न हुए। ये सभी नाग अपनी सगी मौसी विनता के पुत्र गरुड़ के वश में रहते थे। ऋषि तार्क्ष्य कश्यप की 4 पत्नियों से जन्मी सन्ताने-नागमाता कद्रु से उत्पन्न नागों के नाम-पांच फ़ंनधारी…
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सूर्य उपासना से होते हैं- चमत्कारी फायदे.
बहुत कठिन परिश्रम,दिन रात कड़ी मेहनत के बाद भी भाग्योदय नहीं हो पाता। क्योंकि सम्पूर्ण जीव जगत के रक्षक परम पिता स्वरूप भगवान सूर्य की उपासना भूत ही कम लोग करते हैं। दुःख का दुखड़ा मत रोएं…. संसार मत छोडो, दृष्टि छोडो। दृष्टि बदलोगे, तो सृष्टि बदल जाएगी। नजरों को बदलते ही, नजारे बदलेंगे मगर…
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शायद आपको मालूम कम ही होगा
!!हर शब्द अमॄतम!! पन्ना रत्न का प्रभावी प्रयोग… शुकबर्हवारि सेंधवशिरीषकुसुमप्रभंहरिद्राभम्! मार्जारनयननैल्यं वंशच्छदकान्ति वैदूर्यम् !! आचार्य वराहमिहिर रचित पुस्तक “वृहद सहिंता” में पन्ना रत्न को मरकत मणि बताया गया है। पन्ना रत्न पहनने से कीटाणु, संक्रमण/वायरस और विषैले जीवों का आक्रमण या भय नहीं होता। संस्कृत में पन्ने का एक नाम गरलारि भी है। गरुड़पुराण में उल्लेख है कि-मृत मनुष्य के मस्तक पर पन्ना भस्म का त्रिपुण्ड लगाकर,…