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    दीपक जलाने का विधान

    #देश के लिए हर दीप अमॄतम# लभ्यते यस्य दीपस्य तापस्तु चतुरंगुलात्! न स दीप इति…सस्मृत: (कालिका पुराण) दीपक की गर्माहट पृथ्वी पर न लगे, इसलिए दीपक को पान के पत्ते या पीपल के  पत्ते पर रखकर जलाने का विधान है। “लोभादिना नर:..निर्वापको भवेत्” कालिका पुराण में घी-तेल बचाने के भाव से दीप बुझाना महापातक पाप बताया है। इससे रोग उत्पन्न होकर आयु क्षीण होती है।