Tag: रक्तदोष
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पित्तपापड़ा ओषधि किस काम आती है
पित्तपापड़ा – संग्राही, शीतवीर्य, तिक्तरसयुक्त, दाह को दूर करने वाला, वातकारक और लघु होता है एवं यह पित्त, रक्तदोष, भ्रमरोग, तृषा, कफ और ज्वर इन सभी रोगों को नष्ट करता है। विशेष – पित्तपापड़ा के नाम से विभिन्न प्रान्तों में भिन्न-भिन्न वर्गों की वनस्पतियों का एवं उनके उपभेदों का उपयोग किया जाता है इस कारण…
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गुलाब के फूलों में 【३२】औषधीय गुण पाए जाते हैं…
गुलाब पुष्प जगत प्रसिद्ध है। गुलाब के पुष्प में 100 से अधिक पंखड़ी होने कारण इसे शतपत्री भी कहते हैं। संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार- शतपत्री तरुणयुक्ता कर्णिका चारुकेशरा। महाकुमारी गन्धाढया लाज्ञापुष्पाsतिमंजूला।। शतपत्री हिमा ह्रदया ग्राहिणी शुक्रला लघु:। दोपत्रयास्त्रजिद्वण्या कट्वी तिक्ता च पाचनी।। अर्थात- गुलाब के संस्कृत नाम — शतपत्री, तरुणी, करजिका, चारुकेशरा, महाकुमारी,…
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गिलोय को अमृता क्यों कहते हैं?
एक अदभुत चमत्कारी हर्ब्स जाने आयुर्वेद की अमृतम ओषधि गिलोय, जो 200 से अधिक रोगों को जड़ मूल से मिटाती है। गिलोय के अन्य नाम- हिन्दी-गिलोय, अमृत, अमृतम, गुर्च संस्कृत-गुडुची, अमृता, छिन्नरुहा बंगला- गुलंच मराठी-गुलबेल गुजराती-गलो कन्नड़- अमरदबल्ली तेलगु- तिष्पतिगा,टिप्पाटिगो, यतितिज, गोधुचि तमिल- शिंडिलकोडि फारसी- गिलाई अरबी-गिलोई अंग्रेजी- गुलंच लैटिन-टाइनोस्पोरा कार्डिफोलिया Tinospora cordifolia Willd miers वनस्पति कुल (family) मैनीस्पर्मेसी menispermaceae गिलोय…