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आयुर्वेद में हैं रोग परीक्षा के ५००० साल पुराने सूत्र!
त्रिविधि रोग परीक्षा चरक ने तीन प्रकार से रोगों की परीक्षा करने का निर्देश किया है-प्राप्तोपदेश, प्रत्यक्ष तथा अनुमान। जिन्होंने पदार्थों के ज्ञातव्य विषयों का साक्षात्कार किया है, उनको प्राप्त (यथा ऋषि) कहते हैं उनके द्वारा रचित ग्रन्थ या वचन को प्राप्तोपदेश कहा जाता है। प्रत्येक विषय में पहले इसी प्रमाण के द्वारा ज्ञान प्राप्त…