उत्तरांचल की देवभूमि में शापित जगह भी हैं, तो वरदान और आर्शीवाद वाले स्थान भी-
जिस क्वीरा गाँव के खेत-खलिहानों में कभी धान की फसलें लहलहाया करती थी, वे अब बंजर भूमि हो चुकी है। उत्तराखंड के
भीमताल क्षेत्र में कुछ ऐसे शापित स्थान भी हैं
जिसे गोल्जू नाग देव के नाम से प्रसिद्ध ने शापित कर दिया था, जिसकी कोई काट आज तक कोई नहीं कर सका।
न कोई क्वीरा में जवान रहे,
न वहां कभी धान होए”
गोल्जू ने वरदान भी दिया था कि
इस क्षेत्र का कोई भी सेना का जवान कभी युद्व में हताहत नही होगा, मारा नही जायेगा, तबसे से आज तक कोई भी आर्मी मैन पूरे सेवाकाल के उपरात सेवानिवृत्त होकर ही वापस आता है।
इस क्षेत्र में ओला आदि अतिवष्टि से कभी फसल खराब नही होती,
इस क्षेत्र में जब कभी सूखा पडने पर नाग मंदिर का पुजारी- मंदिर में जाकर आसमान की ओर मुख करके तुरही बजाते हैं, तभी एक चमत्कार होता है- कि किसी ने मानो बादलों को आदेश दे दिया हो, वहाँ शीघ्र ही बारिश होकर जनता को राहत मिलने लगती है। इस भूमि में यह वरदान है।
दूसरा वरदान नाग देवताओं ने यह दिया था जिस कारण इस स्थान के आसपास अनेकों शेर, भालू जानवर है, पर कभी रिहायश क्षेत्र में नही घुसते।
ग्राम वर्षायत कोली, पो0 पतेत, तहसील डीडीहाट जिला पिथौरागढ उत्तराखंड में आदिकालीन काली नाग, धुमरी नाग, सुनहरी नाग के सिद्व शिवालय या नाग मन्दिर हैं।
इस क्षेत्र की जनता के इष्ट देव नागराजा हैं।
नागराज के आशीर्वाद यहां आये दिन नये-नये चमत्कार होते रहते हैं।
मां की सुप्रीम कोर्ट
यहां माता का एक मंदिर सर्वश्रेष्ठ न्यायपालिका यानि न्याय का सुप्रीम कोर्ट है। यह देवी नाममात्र से जाग्रत हो जाती है, इसलिए माता का पूरा नाम भी उच्चारण नही किया जाता।
यह सब जानकारी अमृतम मासिक पत्रिका अप्रैल 2007 में बहुत विस्तार से दी जा चुकी है। नाग के बारे में बहुत सी बातें सन 2003 में प्रकाशित कालसर्प विशेषांक ने भी दी गई थी।
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