*(८) कोष्टगत वातवायु*
कोष्टाश्रित वायु के कुपित होने से विष्ठा (मल्ल) मूत्र का अवरोध होता है ।
,अर्थात ये सब रुकते हैं । इस कारण वायुगोला,ह्रदय-रोग,बद, बवासीर और
पसलियों में दर्द आदि सब लक्षण
दृष्टिगोचर होते हैं ।
इस वात रोग के कारण पाखाना (मल्ल)
सूख जाता है । प्रातः विसर्जन के समय
केवल वायु (गैस) निकल कर रह जाती है ।
पेट साफ नहीं होता । पेशाब भी खुलकर
साफ नहीं आता ।
*अमृतम उपाय* अमृतम टेबलेट एवम
भयंकर दर्दनाशक टेबलेट दोनों की 2-2
गोली 2 बार सादे जल से लेवें
एक चम्मच पाइल्स की माल्ट के साथ
एक गोली पाइल्स की टेबलेट 2 बार
गुनगुने दूध से सेवन करें ।
खाने के बाद गुलकंद का पान खाएं ।
प्रत्येक रविवार नंदी बैल को दुपहर
11.35 से 12.25 के बीच कुछ खिलाएं ।
दिनभर में 2-3 अमरूद खाएं ।
गिलोय, सौंठ, देवदारु, बेल गिरी, हरड़,
कालानमक, गुड़ औऱ मुनक्का
सभी 10-10 ग्राम दरदरा कूटकर 1 लीटर पानी
में इतना उबालें की 200 ml रह जाये
पूरे 24 घंटे में इस काढ़े को चार बार पियें ।
*(९) आमशयगत वातवायु*– जब दूषित वायु
आमाशय में रहती है, तो ह्रदय, पसली,पेट और
नाभि में पीड़ा होती है, ज्यादा प्यास लगती है,
डकारें आती हैं तथा हैजा, खांसी, कंठशोष
(गले मे सूजन) लगातार हिचकी औऱ
श्वांस रोग सताते हैं ।
*अमृतम उपाय* जिओ माल्ट 1-1 चम्मच
2 या 3 बार जल या दूध से 1 माह तक लेवें ।
दिनभर में 10-12 मुनक्का और
खाने के बाद गुलकंद खाएं
ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल 1-1 सुबह-शाम दूध या
चाय से लेवें ।
*पापं शांतम* रोज खाली पेट 4 छुआरे,
1 बादाम, 4 मुनक्के, 1 चम्मच गुलकंद
खाएं । प्रत्येक गुरुवार 50 ग्राम छुआरे
किसी गरीब विद्यार्थी को दान करें ।
*पक्वाशय गत वातवायु* इसके कुपित
होने से पेट की आंते गड़बड़ किया करती हैं ।
शूल चलते हैं, उदर (पेट) मे 24 घंटे हल्का-
हल्का दर्द, चुभन होती है । वायु कुपित होकर
पेट मे गैस घूमने से सिर भारी रहता है ।
काम करने का मन नहीं करता ।
काम (सेक्स) के प्रति रुचि नहीं रहती ।
मल्ल-मूत्र थोड़े-थोड़े उतरते हैं ।पाखाना
साफ नहीं होता । मन खिन्न रहता है ।
*अमृतम उपाय* शाम को 25
ग्राम करीब नारियल गरी और गुड़ खूब चबा-चबाकर खाएं फिर एक घंटे बाद गुनगुना पानी पिएं ।
सौफ,हल्दी,जीरा,अजवायन, धनिया, नमक
कालीमिर्च, सभी आधा ग्राम, 2 अंजीर, 5 मुनक्के, 3 छुआरे, आमला,बहेड़ा, हरड़ तीनों
5-5 ग्राम, मुलेठी 1 ग्राम किसी मिट्टी के पात्र में
24 घंटे पानी में गलाकर रस निकालकर
सुबह खाली पेट पियें । इसके 2 घंटे बाद तक कुछ न खाए पियें ।
त्रिफला मुरब्बे से निर्मित अमृतम गोल्ड माल्ट
1-1 चम्मच 3 बार दूध से एक माह लगातार लेवें ।
प्रत्येक रविवार धूप में बैठकर अमृतम तेल की
मालिश कर स्नान करें ।
वातविकारों का समूल नाश करने हेतु
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*शेष अभी जारी है*——–
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