*वातविकार-, कैसे होता है तैयार*
रूखे, ठंडे, कड़वे पदार्थो का लगातार सेवन तथा
ज्यादा उपवास, क्रोध,शोक,दुःख,चिंता, तनाव,
अनिद्रा, चिड़चिड़ाना,अत्यधिक परिश्रम,
भूख न लगना, पेट की खराबी ओर पुरानी कब्जियत के कारण वात रोग हालत
खराब कर देते हैं ।
“वात” दिन-रात,
जात-पात नहीं देखता ।
• वात रोग के लक्षण
अमृतम आयुर्वेद के अनुसार वात रोग 80
प्रकार का होता है ।
अतः मुख्य
वातरोग के बारे में जाने ।
वातरोग के कारण हाथ-पैर, कमर,गर्दन,
जोड़ों, घुटनों, हड्डियों ओर पूरे बदन
में दर्द, संधिशुल, कुबड़ापन,पुरुषार्थ व
स्त्रीत्व का नाश ( काम,सेक्स के प्रति अरुचि)
हो जाती है ।
लम्बे लम्हे (समय) तक वात विकार के
प्रति लापरवाही बरतने से शरीर में गांठे,
गठिया रोग, ग्रंथिशोथ (थायराइड) आदि अनेक व्याधियां पैदा करता है । तन
से विनाशकारी वायु के निष्पादन न
होने से वातरोग व्यवधान बन जाते हैं ।
*वात विकार के प्रकार*
*(१) रसगत वायु*
जब वायु रस में स्थित होकर सातों चमड़ीयों
पीड़ा पैदा करती है । इससे चमड़ा रूखा,
फटा हुआ, जड़ पतला, काला, सुई चुभने
सरीखा, पीड़ायुक्त खिंचा सा और
ललाई लालमापन लिया हो जाता है ।
*इलाज*
*अमृतम टेबलेट* 2-2 गोली 2 या 3 बार
सादे जल से लेवें ।
*निर्वेदना टेबलेट*- 1-1 गोली 3 बार चाय या दूध से एवम प्रत्येक शनिवार अमृतम मसाज
आयल से पूरे शरीर पर लगाकर स्नान करें ।
*(२) रक्तगत वात*-
जब वायु तन में रुधिर
(खून) में समाहित हो जाती है,तब पूरे शरीर में
दर्द,आलस्य और संताप होता है ।
शरीर का रंग बिगड़ जाता है ।
शरीर कमजोर व खाने से अरुचि होती है ।
शरीर में बार-बार फोड़े, बालतोड़ और भोजन
के बाद स्तब्धता (हरारत) सी आती है ।
*इलाज* – प्योरकी सिरप 2-3 चम्मच
खाने के एक घंटे बाद 2-3 बार 1 गिलास सादे जल में मिलाकर लेवें ।
ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल्स 1-1 दिन में तीन बार
चाय या दूध से लेवें
भयंकर दर्द नाशक माल्ट ( बी.बी.ऐन. माल्ट)
1-,1 चम्मच दूध के साथ दो बार एक माह तक लेवें ।
*(३) मांसगत वात*
जब विकार वायु मांस में
होती है,तब शरीर के अंग भारी हो जाते हैं ।
डंडा या घूसे मारने जैसी पीड़ा होती है ।
शरीर निढाल होकर उदर की नाड़ियां
कड़क हो जाती है ।आलस्य भर रहता है ।
किसी काम में मन नहीं लगता ।
*इलाज*– ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
1-1 चम्मच गर्म दूध के साथ 3 बार लें ।
ऑर्थोकी पैन ऑइल की 2-,3 बार
हल्के हाथ से मालिश करें ।
गैसा की चूर्ण एवम सहज चूर्ण का सेवन करें ।
*अभी शेष है शरीर में मेदोगत, हड्डिगत जैसे
अनेको वातरोगों का रहस्य*
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amrutam. co. in
*अमृतम*
वात रोगों का काम खत्म
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