आयुर्वेदिक जड़ी—बूटी “अनंतमूल” के औषधीय उपयोग क्या हैं?

Close-up of Dry Organic Indian sarsaparilla or Anantmool (Hemidesmus indicus), in white ceramic mortar and pestle, isolated on a white background.
  • अनन्त-मूल कई तरह के होते हैं-‘श्वेत सारिवा’ (Hemidesmus Indicus)
  • रक्त या खून को साफ करने वाली आयुर्वेदिक औषधियों में अनंतमूल का सर्वाधिक प्रयोग होता है।
  • अनंतमूल त्वचानिखार बूटी होने से इस अमृतम फेस क्लीनअप, अमृतम फेसवॉश, अमृतम कुंकुमादि तेलम, काया की ऑयल में मिलते हैं।
    • श्वेत अनंतमूल विभिन्न भाषाओं के नाम…हिन्दी- गौरीसर, अनन्तमूल, डुबौड़, छुघोड़, छिंद सालसा, गौरेया।
    • संस्कृत में- अनन्तमूल, शारदा, गोपबल्ली, श्वेतलता, गोपकन्या, आस्फोता काष्ठसारिवा।
    • मराठी में- ऊपरसाल, लहान काड़वी, उपरसरी, दुधमुली।
    • गुजराती में धूरीबेल. कागडियो, कुढेर, कपूरी माधुरी, उसबो, धोली उपलसली। बंगला में- अनन्तमूल, सारिखा।
    • पंजाबी- अनन्तमूल।
    • अंग्रेजी- इंडियन सारसापरीला । लेटिनहेमिडेस्मस इण्डिकस (Hemidesmus Indicus)! पत्र फूल कटा हुआ लता फली
  • अनंतमूल के फायदे, गुण-धर्म एवं प्रयोग…आयुर्वेदानुसार- शीतल, मधुर, शुक्रजनक, भारी, स्निग्ध, कड़वी, सुगन्धित, कान्तिर्द्धक, स्वर शोधक, स्तन्य-शोधनी, दाह प्रशमनी, बल्या, शोथध्न, और त्रिदोषशामक होता है।
  • अनंतमूल कुष्ठ, कंडू, ज्वर, देहदुर्गन्ध, मंदाग्नि, श्वास, कास, अरुचि, रक्तविकार, अतिसार, तृषा, दाह, रक्तपित्त, प्रदर, वातरक्त, उपदंशज-वातदोष, संधिवात आदि में हितकारी आम, विष और पारदविकार नाशक है।

दूसरा अनन्त-मूल ‘कृष्ण सारिवा’ (Hemidesmus Indicus) होता है।

  • कृष्ण सारिवा के विभिन्न भाषाओं के नाम….हिन्दी- कालीसर, कालीदूधी, श्यामलता, सारिवा।
  • संस्कृत में कृष्णसारिवा, कृष्णमूली, कालपेशी, चन्दन बंगाली सारिवा, कालघंटिका, सुभद्रा श्यामलता।
  • मराठी- मोठीकावड़ी, कालीकावडी, उपरसरी। गुजराती- काली उपलसरी, धूरीबेल।
  • बंगला में – श्यामलता, दूधी, कलघंटी।
  • पंजाबी- अनन्तमूल । अंग्रेजीइंडियन सारसापरीला (Indian Sasaprila. P.)। लेटिन- इकनोकार्पस फ्रटीसंस (Ichnocarpust Frutescens) हेमिडेस्मस इण्डिकस (Hemidesus Indicus) |
    • कृष्ण अनंतमूल के फायदे, गुण-धर्म एवं प्रयोग….आयुर्वेदानुसार- वात, पित्त, रक्तविकार, तृषा, अरुचि, वमन, ज्वरनाशक तथा शीतल, वीर्यवर्द्धक होता है।
    • अनंतमूल मल को गाढ़ा करने वाली, कफनाशक, शीतल, मधुर, शुक्रजनक, भारी, स्निग्ध, कड़वी, सुगन्धित, वा, कंठ्या, स्तन्य-शोधनी, दाह प्रशमनी।
    • बल्या, शोथघ्न, और त्रिदोषशामक है। कुष्ठ, कंडू, ज्वर, देह-दुर्गन्ध, मंदाग्नि एवं श्वास-कास नाशक हैं। .

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