माथे पर चन्दन लगाने के क्या फायदे हैं?

शिव सहिंता के अनुसार त्रिपुण्ड की तीन रेखाओं में 27 नक्षत्रों का वास है। मस्तक पर रोज तीन रेखाओं वाला त्रिपुण्ड लगाने से तन के त्रिदोष मिट जाते है।

शिवलिंग पर लगे त्रिपुण्ड का रहस्य यह है कि ये सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण सन्तुलित होता है। त्रिपुण्ड त्रिलोक्य और त्रिगुण का प्रतीक है।
चन्दन , त्रिदोष, त्रिताप, त्रिपाप नाशक होता है। धन-सम्पदा, वैभव में बढोत्तरी करता है- चन्दन

रोग, दुःख-परेशानियों से बचाकर इम्युनिटी बढ़ाता है-चन्दन। माथे पर तिलक-त्रिपुण्ड, टीका या बिन्दी अवश्य लगाएं। amrutam Chandan रोज़ रात माथे पर त्रिपुण्ड लगाकर नींद जल्दी आती है। तनाव, डिप्रेशन दूर होता है।

चन्दन के चमत्कारी 108 फायदे–

अमृतम चन्दन -परम आनंद की अनुभुति का अनुभव चंदन का तिलक ललाट पर लम्बा या छोटी सी बिंदी के में दोनों भौहों के मध्य लगाया जाता है।
चंदन लगाने से तनाव, चिन्ता, भय-भ्रम तथा क्रोध कंट्रोल होता है और उत्तेजना काबू में आती है। उच्च रक्तचाप यानि बीपी हाई आदि अनेक बीमारियों से रक्षा कर , तन-मन स्वस्थ्य रखता है- अमृतम चन्दन।

चन्दन के आठ ~ 8 ~ फायदे-
चंदनस्य महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम।

आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा।

अर्थात –

चन्दन तिलक पुण्य की वृद्धि करता है।
हृदय औऱ आत्मा में पवित्रता आने लगती है।
पूर्वजन्म कृत पापों का नाश होता है।
मस्तिष्क पर चन्दन लगाने से तन-मन और अन्तर्मन, आत्मा की शुद्धि होती है।
चन्दन टीका सफलता में सहायक होता है।
चन्दन का त्रिपुण्ड लगाने से रुकावट दूर होती हैं।
घर में अष्टलक्ष्मी का आगमन होने लगता है।
चन्दन सभी आपदाओं को हर लेता है!
ज्येष्ठ शिवपुत्र भगवान कार्तिकेय ने स्कंदपुराण में बताया है कि- माथे पर चन्दन लगा होने से मस्तिष्क की 5 मूल ज्ञान नर्व जागृत रहती हैं।
शिव के तीसरे नेत्र को प्रमस्तिष्क यानि सेरिब्रम की पीयूष-ग्रंथि (पीनिअल ग्लैंड) माना है। पीयूष-ग्रंथि उन सभी ग्रंथियों पर नियंत्रण रखती है, जिनसे उसका संबंध होता है।
दिमाग की मुख्य 5 ज्ञान नाड़ियाँ…

मस्तिष्क का सबसे बड़ा हिस्सा सेरिब्रम (Cerebrum) यह दिमाग का सोचने वाला हिस्सा है, साथ ही स्वैच्छिक मांसपेशियों (Voluntary Muscles) को नियंत्रित करता है।
सेरिबैलम (Cerebellum) यह मस्तिष्क के पिछली तरफ सेरेब्रम के नीचे स्थित एक महत्वपूर्ण भाग है और यह सेरेब्रम से बहुत छोटा है।
सेरिबैलम शरीर के संतुलन का आधार है। मस्तिष्क का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मस्तिष्क के पीछे और सेरेब्रम के नीचे स्थापित होता है।
लेकिन यह मस्तिष्क का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। सेरिबैलम के कारण ही आप सीधे खड़े हो सकते हैं। यह संतुलन, गति और समन्वय को नियंत्रित करता है।
ब्रेन स्टेम (Brain Stem) यह दिमाग के सचिव अर्थात सेक्रेटरी बतौर सभी आवश्यक कार्य करता है। सेरेब्रम के नीचे और सेरिबैलम के सामने स्थापित है।
यह अत्यंत सूक्ष्म और ताकतवर ब्रेन स्टेम मस्तिष्क के बाकी हिस्सों को रीढ़ की हड्डी से जोड़ता है, जो आपकी गर्दन और पीठ को चलाते है।
ब्रेन स्टेम शरीर को जीवित रखना, भोजन को पचाना, रक्त को प्रसारित करना जैसे सभी कार्यों के लिए ब्रेन स्टेम का ही महत्वपूर्ण योगदान है।
पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क का एक छोटा पर बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका काम आपके शरीर में नये-नये हार्मोन का उत्पादन और रिलीज करना है।
मटर के दाने जैसी यह ग्रन्थि अनेक हार्मोन्स, प्रमेह-मधुमेह और देह में जल की मात्रा नियंत्रित करती है।
हाइपोथैलेमस- आपके मस्तिष्क के भीतरी थर्मोस्टेट की तरह है (दीवार पर लगा वाे बॉक्स जो आपके घर में गर्मी को नियंत्रित करता है।
अमृतम चन्दन लगाने से उपरोक्त पांचों ज्ञान ग्रंथियां चलायमान रहती हैं। मस्तिष्क में ही सेराटो

अमृतम चन्दन-परम आनंद की अनुभुति का अनुभव

रोग, दुःख-परेशानियों से बचाकर इम्युनिटी बढ़ाता है-चन्दन। माथे पर तिलक-त्रिपुण्ड, टीका या बिन्दी अवश्य लगाएं।
चंदन का तिलक ललाट पर लम्बा या छोटी सी बिंदी के में दोनों भौहों के मध्य लगाया जाता है। चंदन लगाने से तनाव, चिन्ता, भय-भ्रम तथा क्रोध कंट्रोल होता है और उत्तेजना काबू में आती है।
उच्च रक्तचाप यानि बीपी हाई आदि अनेक बीमारियों से रक्षा कर, तन-मन स्वस्थ्य रखता है-अमृतम चन्दन
शिव सहिंता के अनुसार त्रिपुण्ड की तीन
रेखाओं में 27 नक्षत्रों का वास है।
मस्तक पर रोज तीन रेखाओं वाला त्रिपुण्ड
लगाने से तन के त्रिदोष मिट जाते है।
सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण
सन्तुलित होता है।

त्रिपुण्ड त्रिलोक्य
और त्रिगुण का प्रतीक है। चन्दन, त्रिदोष, त्रिताप, त्रिपाप नाशक होता है। धन-सम्पदा, वैभव में बढोत्तरी करे-चन्दन…
अमृतम चन्दन में मिश्रित बहुमुल्य 5 सुगंध एवं छह जड़ीबूटियां…

कुण्डलिनी जागरण पुस्तकानुसार…
मनुष्य का मन चलता है शरीर के चक्रों से।
इन चक्रों पर रंग, सुगंध और शब्द अर्थात
मन्त्रों का गहरा प्रभाव होता है।

यदि मन की अलग-अलग अवस्थाओं के हिसाब से सभी मनोविकार नाशक 11 सुगंध मिलाकर चन्दन का प्रयोग किया जाए, तो तमाम मानसिक समस्याओं और दुःख-दर्द, दरिद्रता को दूर किया जा सकता है।
आदि शंकराचार्यजी ने लिंगाष्टकम स्त्रोत में लिखा है-
कुमकुम चन्दन लेपित लिंगम।
अष्ट-दरिद्र विनाशन लिंगम।।

मानव मस्तिष्क शिंवलिंग स्वरूप
होता है। कभी गौर करें, महसूस
होगा कि अपने दोनो हाथ सीधे करके
आगे करने से वह शिंवलिंग के अरघा या
जलहरी जैसा हो जाता है।

वेदव्यासजी का वेदवाक्य है कि-
!!यत् पिंडे-तत् ब्रह्माण्डे!!

अर्थात- जैसा यह ब्रह्मांड या सन्सार है, वैसा ही हमारा पिण्ड यानी शरीर है। अच्छे भविष्य हेतु विद्यार्थियों, अविवाहितों को अमृतम चंदन का अवश्य लगाना चाहिए…
उपनिषद रहस्य नामक पुस्तक में उल्लेख है कि-जहां हम चन्दन लगाते हैं हैं वहां से आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है।
तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से दबाव या प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचने लगता है। चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में amrutam chandan अत्यंत कारगर क्रिया है।
मनुस्मृति में लिखा है कि चन्दन
मस्तक की धमनियों में प्रकम्पन्न यानि वाइब्रेशन (Vibration) करता है।
जिससे मन के विकृत विकार नष्ट होने लगते हैं।
वेद में मनुष्य के मन मस्तिष्क को सर्वश्रेष्ठ बताया है। यह जितना तनाव रहित होगा हम उतनी तेजी से उन्नति करने लगते हैं।
स्वामी कथासार किताब में लिखा है- विचारों से ही हमारे भाग्य-सौभाग्य तथा दुर्भाग का निर्धारण होता है। कहा जाता है।
जैसी सोच, वैसी लोच। छोटी सोच और पैर में मोच सफलता में बाधक है।
अमृतम चन्दन का तिलक-टीका, बिन्दी
मन के विचारों से उत्पन्न विकार तथा
संक्रामक रोगाणुओं का विनाशक है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्म-२६ के अनुसार ह्रदय की १०१ नाड़ियों में से एक सुषुम्ना नाड़ी मस्तक प्रदेश के सामने से निकलती है। यह तन-मन, अन्तर्मन और आत्मा की शुद्धि में सहायक नाड़ी है, जो उन्नति, ऐश्वर्य, सफलता, सुख एव मुक्ति प्रदाता है।

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