25 प्रकार की कफ, खांसी की आयुर्वेदिक दवा, जो निमोनिया, दमा, अस्थमा, एलर्जी का भी सफाया करेगी।

  • कफ, खांसी, फेफड़ों के विकार,दमा, अस्थमा आदि ये सब अंदरूनी रोग लापरवाही का दुष्परिणाम है।
  • बाहर की गंदी हवा, दूषित वायु, वायरल या फ्लू होने पर गले में कफ बनता है और खांसी के साथ निकलने लगता है।
  • संक्रमण यानि एलर्जिक रिएक्शन की वजह से भी गले में कफ बनने की समस्या होती है। अगर लंबे समय तक कफ बनता रहे तो ये फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं।
  • ध्यान रहे कफ का निर्माण फेफड़ों और निचले श्वसन तंत्र के द्वारा किया जाता है।

एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reaction) क्या है?

  • भैषज्य रत्नावली विज्ञान के अनुसार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जब किसी बाहरी संक्रमण, वायरस या बैक्टीरिया के आक्रमण के खिलाफ कमजोर पड़ जाती है, तो आप इनका शिकार हो जाते हैं।
  • जल्दी ठीक होने के फेर में ज्यादातर गर्म अंग्रेजी दवाओं और अधिक हल्दी, अदरक, मुलेठी, लहसून का इस्तेमाल कर कफ को सुखा लेते हैं। फिर समस्या विकराल हो जाती है।
  • सर्दी-खांसी-जुकाम का काम खतम जड़ से करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा ही सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि हंसराज, बहेड़ा, मुलेठी, तुलसी आदि कफ नाशक द्रव्य, कफ संतुलित कर फेफड़ों को ताकत देते हैं।
  • आज धरती पर भयंकर प्रदूषण फैला हुआ है, जिससे हर आदमी के फेफड़ों में संक्रमण के कारण कोई न कोई विकार हो रहा है।
  • धुआं, प्रदूषित वायु के कारण होने वाले आन्तरिक रोग, कंठ, गले, फेफड़े, नाक में जलन मुख का स्वाद बिगड़ना, कफ का सूखना आदि परेशानियों से जूझ रहा है।
  • अंग्रेजी मेडिसिन तत्काल फायदा, तो करती हैं, पर कफ सुखा देती हैं।
  • चरक संहिता मुताबिक कफ के संतुलन से शरीर में चिकनाहट बनी रहती है। कफ अधिक होने पर नया खून नहीं बनता और कम होने से शरीर में दर्द पैदा करता है।

घरेलू उपाय होते हैं खतरनाक

  1. गर्म पानी ज्यादा पीने से कफ सूखने लगता है। नमक और पानी से गरारा करने से गले व कण्ठ में जख्म बन जाते हैं। हल्दी, अदरक, मुलेठी, तुलसी का भी अधिक सेवन स्वांस नाली में अवरोध उत्पन्न करते हैं।
  2. कफ से छुटकारा पाने के लिए अधिक इलायची, प्याज, अनानास, अदरक, लहसुन और कालीमिर्च आदि लेना भी उचित नही होता।

कफ की बीमारी बहुत टफ होती है

  • फेफड़ों में गंदगी होने और प्राणवायु का ठीक से आवागमन न होने के कारण बार-बार छींके आना, अचानक सर्दी, खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया, सास फूलना, दमा रोग, श्वांस नली का छोटा होना, श्वांस लेने में परेशानी, हांफना आदि अनेक असाध्य कफ विकारों का आगमन हो जाता है।

खांसी गले की फांसी

  • रसतन्त्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह (प्रथम खण्ड) चिकित्सा चंद्रोदय, चिकित्सा तत्व प्रदीप आदि प्राचीन किताबों में कफ, खांसी को दूर करने वाली आयुर्वेदिक औषधियां ही कारगर बताई हैं।

LOZENGE MALT में मिला मैटेरियल फार्मूला

  • अडूसा-वासा तुलसी, मुलेठी, सोंठ, च्यवनप्राश, आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा, के पेस्ट और नागकेसर, त्रिकटु आदि अनेक प्राकृतिक जड़ी बूटियों के काढ़े से निर्मित किया गया है।

LOZENGE MALT के चमत्कारी फायदे

  1. जीवनीय शक्ति एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत कर संक्रमित फेफड़ों की मरम्मत करने में लाजवाब है।
  2. हाथ, पैर, छाती हिला देने वाली 41 प्रकार के कफ, निमोनिया, गले की जलन, सूजन, स्वरभंग रोगनाशक गले व छाती में जमे जकड़े कफ को सरलता से बाहर निकालकर आलस्य बैचेनी मिटाने हेतु चमत्कारी है।
  3. बच्चों या बड़ों को बार-बार होने वाली खांसी, सर्दी जुकाम, कुकर खांसी, सूखा रोग, गला रूंधना, दमा-श्वास सम्बन्धी रोगों के दूर करने वाली यह जानी मानी गुणकारी आयुर्वेदिक दवा है।
  4. LOZENGE MALT लोजेंज माल्ट सभी प्रकार के कफ, फेफड़ों की कमजोरी, जख्म, श्वांस फूलना, बैचेनी भय, भ्रम, चिन्ता क्षय रोग (टीबी) सभी प्रदूषण, प्रदूषित हवा, धुंआ की रक्षक है।
  5. खांसते-खांसते हांफनी भरना कफ के साथ खून आना आदि तकलीफ को जड़ से मिटाती है।
  6. दुर्गन्ध आना, खांसते वक्त अन्धेरा छा जाना, एकाग्रता में कमी, आंखों में जलन कम दृश्यता आदि रोगों में इसके नियमित सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है।
  7. लोजेंज माल्ट कफ को सुखाता नहीं है। यह टफ, सूखे कफ को ढीला कर बाहर निकल देता है।
  8. फुसफुस विकार, क्षयरोग यानि टीबी आदि से पीड़ित मरीजों को शक्ति प्रदान कर राहत देता है।
  9. अनेक साध्य- असाध्य रोग कफ कंठ, गले, फेफड़े के रोगों को जड़मूल से विकार रहित करन की चाबी हैं।
  10. जब कुकर खांसी, काली खांसी, निमोनिया, सूखी खांसी, छाती में जमा कफ और बलगम किसी भी दवा से दूर नहीं हो रहा हो, तो 15 दिन नियमित लोजेन्ज माल्ट का इस्तेमाल समस्त कफ रोगों का नाश कर देता है।
  11. बच्चों महिलाओं, व बुजुर्गों हेतु विशेष लाभकारी है।

सावधानी – परहेज

  • सूर्यास्त के बाद दही, नमकीन दही, अरहर की दाल, फल, जूस, सलाद, बर्फ, ठण्डे पानी का सेवन न करें।

मात्रा-

  • छोटे शिशु (बच्चों) को करीब 2 से 3 ग्राम एक से 2 बार गुनगुने पानी या मां के दूध से सेवन कराएं।
  • 5 साल से बड़े बच्चों को आधी चमच दिन में 2 से तीन बार गुनगुने जल से देवें।
  • बड़ों को 1-2 चम्मच 2 से तीन बार गर्म जल या दूध से इसे अंग्रेजी दवाओं के साथ भी लेने से इम्यूनिटी बढ़ता है और लिवर को सुरक्षित रखता है।
  • तत्काल लाभ हेतु इसे 3-4 बार गर्म जल या दूध के साथ भी दिया जा सकता है।

पैकिंग – 400 और 200 ग्राम में अमेजन, amalaearth, amrutam की वेवसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध।

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