अमृतम आयुर्वेदिक शास्त्रों का मानना है कि रोग
2 या 4 दिन में उत्पन्न नहीं होते। लगातार जीवनीय शक्ति व रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी,त्रिदोष अर्थात वात,पित्त,कफ के बिगड़ जाने से ज्वर,मलेरिया,डेंगू जैसे इस तरह के रोग/फीवर जैसी व्याधियों उत्पन्न हो जाती हैं। जिन्हें देशी आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
ज्वर जीवन की जर्जर कर देता है-
आयुर्वेद के ग्रंथों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि-
शरीर में अंदरूनी ज्वर के बने रहने से कोई न कोई समस्या,रोग-व्याधि हमेशा बनी रहती है ।
क्यों होता है बुखार-
1- पाचन तंत्र की कमजोरी से
2- वात,पित्त,कफ बिगड़ने से,
3- लम्बे समय तक कब्ज हो,
4- हमेशा कब्जियत बनी रहती हो,
5- पेट का निरन्तर खराब रहना,
6- एक बार में पेट साफ न होना,
7- लेट्रिन का बहुत टाइट आना
8- पेट व छाती में दर्द सा रहना
9- अम्लपित्त, एसिडिटी रहती हो,
10- बार-बार खट्टी डकारें आना,
11- वायु-विकार से परेशान रहना
12- हर समय गैस का बनना
13- भूख-प्यास,पेशाब कम लगना
14- खाने की इच्छा न होना,
15- मन का सदा खराब रहना,
16- ऊबकाई सी आते रहना,
17- मानसिक अशान्ति रहना,
18- पुराना निमोनिया हो,
19- तन में सदा सर्दी बनी रहती हो,
20- खांसी-जुकाम से पीड़ित हो,
21- सिर में भारीपन बना रहना,
22- पेट में कृमि (कीड़े) होना
23- शरीर में खुजली सी रहना
24- हमेशा आलस्य रहता हो,
25- बहुत क्रोध आता हो,
26- स्वभाव चिड़चिड़ापन लिए हो,
27- बैचेनी,चिंता,तनाव रहना
28- शरीर का कमजोर होना,
29- किसी काम में मन नहीं लगना
30- स्वास्थ्य न बनना,
31- सेक्स से अतृप्ति,असंतुष्टि
32- वीर्य का पतलापन,
33- जल्दी डिस्चार्ज होना,
34- नवयौवनाओं व स्त्री रोग-
35-समय पर पीरियड न होना
36- पीरियड के समय दर्द होना
37- लिकोरिया,सफेद पानी,
38- हमेशा डिस्चार्ज होना
39- अवसाद या डिप्रेशन में रहनाआदि
यदि उपरोक्त दोषों में से कुछ लक्षण प्रतीत हों एवं इनमें से किसी भी व्याधि से पीड़ित या परेशान है,तो निश्चित शरीर ज्वर की जकड़ में है औऱ आप पकड़ नहीं पा रहे हैं ।अतः अकड़ छोड़ आयुर्वेद की शरण में आना चाहिए। सदैव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए
फ्लूकी माल्ट का सेवन करना चाहिए।
अन्यथा ज्यादा लेट-लतीफी से पाचन तंत्र पूरी तरह खराब होकर तन की तन्दरूस्ती नष्ट हो सकती है। शरीर को बहुत से ज्ञात-अज्ञात रोग घेर सकते हैं
प्रदूषण का शोषण
प्रदूषण के कारण औऱ प्रदूषित वातावरण की वजह से ज्वर, विषम ज्वर,मलेरिया, बुखार,डेंगू फीवर,स्वाइन फ्लू, के कीटाणु-जीवाणु सबके शरीर में हमेशा कम या ज्यादा मात्रा में निश्चित पाये जाते हैं ।
जब इनकी अधिकता हो जाती है,तो यह शरीर को रोगों से भरकर तन को जर्जर,खोखला कर ऊर्जा हीन बना देते हैं जिससे तन की शक्ति क्षीण हो जाती है ।
क्या कहती हैं किताबें-
हजारों साल पुरानी आयुर्वेद की ये दुर्लभ किताबें हमारे स्वास्थ्य को ठीक करने,स्वस्थ रखने तथा मलेरिया,डेंगू फीवर,चिकनगुनिया, प्रदूषण व संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचने का तरीका बताती हैं।इन प्राचीन पुस्तकों में अनेक रोगों से बचने हेतु के जड़ीबूटियों,
देशी दवाओं के फार्मूले उल्लेखित हैं। इनमें से कुछ पुरानी हर्बल बुक्स के नाम निम्नलिखित हैं।
() ज्वर की देशी दवाएँ
() सिद्धयोग संग्रह
() भावप्रकाश निघण्टु:
() 36 गढ़ की जड़ी बूटियाँ
() आयुर्वेदिक चिकित्सा
()- ज्वरान्तक चिकित्सा
()- हारीत सहिंता
() भैषज्य रत्नाकर
() -वैद्यराज
() चरक सहिंता
() सुश्रुत सहिंता
()- माधव निदान
() धन्वन्तरि निघण्टु
() वंगसेन सहिंता
() अष्टाङ्ग हृदय
()- शारंगधर सहिंता
()- वृंदमाधव
()- सिद्धभेषज्यमणिमाला
()- स्वास्थ्य रक्षा
()- वैद्यकचिकित्सासार
ऐसे बहुत से संस्कृत, हिन्दी
वैदिक भाष्यों,उपनिषदों, औऱ आयुर्वेद
ग्रंथों में बताया है कि-
मल की वृद्धि तथा वात,पित्त,कफ
के विषम होने से पाचन तन्त्र
बिगड़ने लगता है,जिससे
!!- भूख कम लगती है ।
!!- खून की कमी होने लगती है ।
!!- वीर्य पतला होने लगता है ।
!!- सहवास-संभोग,सेक्स
के प्रति अरुचि होने लगती है ।
पाचन तंत्र में विकार होने से तथा मेटाबोलिज्म के
बिगड़ने से कोई भी दवा नहीं लगती ।
!!- हमेशा पेट खराब रहता है ।
!!- खट्टी डकारें आती हैं ।
!!- शारीरिक क्षीणता आने लगती है ।
मलेरिया नाशक,ज्वरहर, आयुर्वेदिक देशी दवाएँ एवं जड़ीबूटियों के नाम इस प्रकार हैं-
चिरायता,गिलोय, (अमृता),कुटकी चिड़चिड़ा,
निम्ब,कालमेघ,पुर्ननवा,जीरा,तुलसी,दंति,अर्जुन,
खस,पारिजात,पित्तपापड़ा, शुण्ठी, हरीतकी,
महासुदर्शन काढ़ा,जटामांसी, अरनी, नमक,मकोय
चन्दन,करंज,पिप्पली,वायविडंग, बेलफल,
आंवला मुरब्बा,सेव मुरब्बा,गुलकन्द,धनिया,
मुनक्का,पीलू,फालसा, त्रिफला,इन्द्रजौ,
कालीमिर्च,त्रिकटु,त्रिसुगन्ध,चतुरजात,अतीस,
सुदर्शन,फिटकरी,सत्यानाशी आदि।
रस-भस्म-
महासुदर्शन चूर्ण, पुटपकक विषम ज्वरान्तक रस
(स्वर्ण युक्त),महालक्ष्मी विलास रस स्वर्णयुक्त,
अभरक भस्म शतपुटी,जवांकुश रस,मोक्ति भस्म
ये सभी खरलीय औषधीय असाध्य ज्वरः नाशक
हर्बल मेडिसिन हैं।
इनमें से अधिकांश ओषधियों का मिश्रण कर
AMRUTAM FLUKEY MALT का निर्माण किया गया है जो 56 प्रकार के ज्वर रोगों का नाश करने में
सहायक है। यह डेंगू जैसे खतरनाक रोगों से बचाव
करती है। इसे नियमित जल या दूध के साथ लगातार
लिया जावे,तो कभी भी ज्वर,मलेरिया बुखार नहीं होते।
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