45 स्त्रीरोगों में सबसे खतरनाक क्षीणार्तव। इसे रजोधर्म amenorrhoea भी कहते हैं।

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  • क्षीणार्तव के 32 लक्षण
    1. योवनकाल या जवानी के दिनों में ही मासिक धर्म खुलकर नहीं आता।
    2. दो या तीन दिन में मासिक चक्र बंद हो जाता है।
    3. अक्सर समय पर पीरियड नहीं आना या आगे पीछे होना।
    4. अनियमित माहवारी जैसे 45 दिन या 2 महीने में एक या दो दिन के लिए होना।
    5. क्षीणार्तव के दुष्प्रभाव और पैदा होने वाले रोग
    6. माहवारी के समय बैचेनी रहती है।
    7. महीना खुलकर नहीं आने से शरीर शिथिल होने लगता है।
    8. मोटापा बढ़ता है।
    9. चेहरे पर काले निशान, पिंपल, दाग, फुंसी, मुंहासे होने लगते हैं।
    10. आत्मविश्वास कमजोर होकर हीनभावना आने लगती है।
    11. शरीर कमजोर और स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
    12. बात बात पर क्रोध आता है।
    13. तनाव, चिंता, सिरदर्द,भय ओर व्यर्थ का डर बना रहता है।
    14. याददाश्त कमजोर हो जाती है।
    15. स्तन/वक्ष स्थल के आकार में परिवर्तन होना।
    16. समय पर भोजन नहीं पचना।
    17. पाचनतंत्र बिगड़ जाता है।
    18. कब्ज/कांस्टीपेशन बने रहना या पेट साफ न होना।
    19. खुलकर भूख, प्यास नहीं लगती।
    20. दृष्टि में बदलाव या अन्य समस्याएँ उत्पन्न होना।
    21. चेहरे पर अतिरिक्त बालों का विकास होना।
    22. आवाज का गहरा होना।
    23. पेल्विक पेन (Pelvic pain)
    24. ज्यादा मुँहासे (Acne) उत्पन्न होना
    25. योनि का सूखापन (vaginal dryness), इत्यादि।
    26. रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी कम हो जाती है।
    27. भविष्य में संतान प्राप्ति में बाधा होती है।
    28. बाल बुरी तरह झड़ने, टूटने लगते हैं।
    29. क्षीणार्तव का समय पर इलाज न करने पर ग्रंथिशोथ या थायराइड की समस्या होने लगती है।
    30. गले के पीछे के हिस्से में सूजन और दर्द रहता है।
    31. पिट्यूटरी ट्यूमर, PCOS इत्यादि। इसके अतिरिक्त एमेनोरिया बाँझपन या ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) जैसी जटिलताओं को भी उत्पन्न कर सकता है।
    32. अतः इसका आयुर्वेदिक उपचार कराना ही समझदारी है। एलोपैथी में क्षीणार्तव का कोई स्थाई इलाज नहीं है।
  • पीसीओडी या PCOS (सोमरोग) से भी ज्यादा खराब है स्त्रियों का ये गुप्तरोग क्षीणार्तव!!!!
  • amrutam अमृतम मासिक पत्रिका, ग्वालियर के नारी सौंदर्य अंक से साभार
  • चरक संहिता में करीब 45 प्रकार के स्त्रीरोगों का वर्णन है। उनमें सोमराेग (PCOD), श्वेत, रक्तप्रदर, लिकोरिया, बांझपन, समयपूर्व राजोनिर्वृति, कष्टार्तव, नष्टार्तव,क्षीणार्तव या रजोधर्म (amenorrhoea) आदि मुख्य बताए हैं।
  • ये समस्त स्त्री गुप्त विकार युवतियों ,महिलाओं की सुंदरता, खूबसूरती के लिए अभिशाप हैं और कम उम्र में बूढ़ा बना देते हैं।
  • चरक चिकित्सा प्रकरण में अशोक छाल, दशमुल, लोध्रा, श्तावार, कमल बीज, चिकनी सुपाड़ी, रक्त चंदन, त्रिफला, हरड़ मुरब्बा, गुलकंद, आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा और लौह भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म आदि 45 तरह के द्रव्य घटकों द्वारा इन बीमारियों को हमेशा के लिए जड़मूल से मिटाकर रोग मुक्त किया जा सकता है।
  • क्षीणार्तव रजोरोध amenorrhoea स्त्रीविकार कम उम्र की लडकियों, युवतियों में बढ़ रही है ये खतरनाक बीमारी, जो मोटापा बढ़ाकर, जल्दी बूढ़ा बना देगी और चेहरे को कर देगी खराब, बर्बाद।
  • क्षीणार्तव दो शब्दों से मिलकर बना है -क्षीण यानि कम और आर्तव यानि माहवारी होना। अंग्रेजी में इसे amenorrhoea एमेनोरिया कहते हैं। आयुर्वेद ने इस स्त्रीरोग को रजोधर्म बताया है।

क्षीणार्तव स्त्री रोग पनपने की वजह

  • युवावस्था से गुजरने वाली अधिकांश अविवाहित युवतियों को पीसीओडी या PCOS की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  • पीसीओडी झेल रहीं बालिकाएं ही आगे जाकर क्षीणार्तव जैसे स्त्री रोग से पीड़ित होती हैं।
  • रजोधर्म/ क्षीणार्तव/amenorrhoea/एमेनोरिया स्त्री विकार विशेषकर खून की कमी या हीमोग्लोविन कम होने से होता है।
  • आज की भागम भाग की जिंदगी में अधिकांश युवतियों की जीवन शैली अस्त व्यस्त हो चुकी है, जिससे हर कोई त्रिदोष से प्रभावित है।
  • चिकित्सा चन्द्रोदय के अनुसार सभी रोगों का कारण वात, पित्त, कफ का असन्तुलन है। जब तक इन दोषों का परिहार नही होगा, तब तक कोई स्वस्थ्य नहीं रह सकता।
  • स्त्री रोग क्षीणार्तव के सामान्य कारणों में शामिल हैं। अंडाशय के साथ क्रोमोसोमल या आनुवंशिक समस्या (अंडे धारण करने वाली महिला यौन अंग)। हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि की समस्याओं से उत्पन्न हार्मोनल समस्याएं।
  • स्त्री के प्रजनन अंगों के साथ संरचनात्मक समस्या, जैसे कि प्रजनन प्रणाली के लापता हिस्से आदि।
  • विवाह बाद अगर 2 महीने पीरियड नहीं आता, तो गर्भवती होने का भ्रम पाल बैठती है।

क्या है क्षीणार्तव

  • क्षीणार्तव यानि एमेनोरिया और मेनोपॉज में काफी समानता है। बस थोड़ा सा अंतर होता है
  • महिलाओं के इस गुप्त रोग का संबंध मासिक धर्म के कम होने या फिर उसकी अनुपस्थिति से है। किसी महिला को अगर वो गर्भवती नहीं है और लगातार तीन महीने से ज्यादा पीरियड्स न आने की शिकायत है तो इसे हल्के में न लें।

घरेलू उपाय

  • पीड़िता की कमर के पिछले भाग यानि नितम्ब के ऊपर था पेडू को गर्म पानी से सेंक करना। जांघों के ऊपर राई बांधना। (चरक चिकित्सा)

आयुर्वेदिक उपचार

  • नारी सौंदर्य माल्ट और NARI SOUNDARY CAPSULE का नियमित 3 से 5 महीने तक दूध के साथ सेवन करना। (आयुर्वेद सार संग्रह)
  • नारी सौंदर्य में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का मिश्रण है
  • Ashok, Lodhra, Arjun, Dash mool, Nagarmotha Bhui amla Shatawari, Gokharu, Amala, Chaturjat, Trikatu, Harad Murbba,
  • Gulkand, Kishmish, supari, trikatu, Kuktandvak bhasm, Dhatri loh, Sita।
  • यह PCOD या पीसीओएस से जुड़ी बीमारियों के अलावा खून व भूख, की कमी, चिड़चिड़ापन,भय-भ्रम, चक्कर, सिर, कमर एवं शरीर दर्द, उदर रोग, आदतन गर्भस्त्राव एवं सभी ज्ञात अज्ञात प्रदर रोगों को दूर कर नारी को स्वस्थ एवं सुन्दर बनाये रखने में सहायक।
  • नारी सौंदर्य में मिलाए कुछ खास तत्व उम्र रोधी यानि एंटीएजिंग होने से अल्पायु में समय से पहले बुढ़ापा रोकने में मददगार है।
  • आयुर्वेद औषाधियाँ पूर्ण प्रभावशाली होने के साथ-साथ सहदुष्प्रभावों (Free from side Effect) से रहित होती हैं और इनके साइड बेनिफिट बेशुमार होते हैं।
  • प्रत्येक नारी स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे इसी भावना को ध्यान में रखकर भारत के आयुर्वेदिक महर्षियों ने तुरंत असरकारक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, मुरब्बे, रसादि के योग से अवलेह (माल्ट) का अविष्कार किया था।

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