गुलाब के फूलों में 【३२】औषधीय गुण पाए जाते हैं…

गुलाब पुष्प जगत प्रसिद्ध है।

गुलाब के पुष्प में 100 से अधिक पंखड़ी होने कारण इसे शतपत्री भी कहते हैं। संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार-

शतपत्री तरुणयुक्ता कर्णिका चारुकेशरा।

महाकुमारी गन्धाढया लाज्ञापुष्पाsतिमंजूला।।

शतपत्री हिमा ह्रदया ग्राहिणी शुक्रला लघु:।

दोपत्रयास्त्रजिद्वण्या कट्वी तिक्ता च पाचनी।।

अर्थात- गुलाब के संस्कृत नाम —

शतपत्री, तरुणी, करजिका, चारुकेशरा, महाकुमारी,

गन्धाढया, और अतिमंजुला ये सब हैं।

गुलाब के【 32】औषधीय गुण—

आयुर्वेद के विभिन्न ग्रन्थों में गुलाब फूल के बहुत से फायदे बताये हैं। गुलाब पुष्प का ओषधियों में भी उपयोग होता है। गुलाब से बनने वाली गुलकन्द को सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक चिकित्सा बताया है—

【१】गुलाब पुष्प या गुलकन्द देह को शीतल यानी पित्तदोषों को सन्तुलित करती है।

【२】ह्रदय को बलदायक है।

【३】संग्राही यानी मल को बांधती है।

【४】अमॄतं गुलकन्द शुकर्जनक अर्थात वीर्य का निर्माण एवं वृद्धि करती है।

【५】वात-पित्त-कफ (त्रिदोष) नाशक तथा

【६】रक्तदोष, खून की गंदगी दूर करने कारगर है।【७】 उदर की मरम्मत करती है।

【८】त्वचा के रंग को निखारकर शरीर के वर्ण को उत्तम बनाती है।

【९】गुलाब फूलों से निर्मित शुद्ध गुलकन्द स्वाद में हल्की कड़वी, तिक्त, रसयुक्त होती है।

【१०】गुकलन्द पाचनतंत्र के लिए अमॄत ओषधि है।

【११】शीतवीर्य, वीर्य को गेढा करती है।

【१२】गुलकन्द से शौच साफ होता है।

【१३】गुलकन्द भूख बहुत बढ़ाती है।

【१४】गुलकन्द शरीर को पुष्ट बनाती है।

【१५】गर्मी के समय गुलकन्द खाने नकसीर नहीं फूटती अर्थात नाक से खून नहीं निकलता।

【१६】गुलाब जल का उपयोग नेत्रज्योति बढनाए के लिए भी किया जाता है।

【१७】मुँह के छले, मुख व्रण होने पर गुकल्ड पान में डालकर तीन बार खिलाने से बहुत फायदा होता है।

【१८】शरीर के किसी हिस्से में शोथ-सूजन होने पर गुलाब को पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी, अजमोद मिलाकर बांधने से आराम मिलता है।

【१९】पुराने जख्म पर गुलाब फूल का पावडर डालते हैं, जिससे व्रण जल्दी सूखने लगता है।

【२०】मधुमेह/डाइबिटीज से पीड़ित लोग गुलाब पाउडर में मुलेठी चूर्ण, त्रिकटु चूर्ण, कालीमिर्च और बादाम सब समभाग मिलाकर एक महीने लेवें, तो मधुमेह सन्तुलित होने लगता है।

【२१】कपकपाहट में सुबह खाली पेट मुनक्के के साथ गुलकन्द, दूध के साथ लेने से कम्पन्न दूर होता है।

【२२】गले की खरखराहट, गले की खराबी या आवाज में भारीपन हो, तो एक पान में 20 ग्राम गुलकन्द, 200 mg कालीमिर्च, 200 mg अजमोद एवं 500 MG मुलेठी मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में भोजन उपरांत सोने से पहले पान खाने से राहत मिलती है।

【२३】गुलाब के पाउडर को पूरे शरीर पर लगाने से पसीना आना, पसीने की बदबू मिट जाती है।

【२४】गुलकन्द युक्त मिठुआ पान भोजन के बाद खाने से ह्रदय की धड़कन कम होती है। यह हार्ट को मजबूती देता है।

【२५】सूखा कफ हो, कफ नहीं निकलता हो, तब मिठुआ पान में मुलेठी, अमृतम गुलकन्द, अनारदाना तथा सेंधानमक डालकर भोजन से एक घण्टे पहले खाना चाहिए।

【२६】देह, तलवों एवं पेशाब में जलन होने पर 100 ग्राम पानी में 20 ग्राम गुलकन्द, 10 नग मुनक्के, 10 ग्राम अमॄतम मरोड़फली चूर्ण, 5 इलायची का काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट लेने से चमत्कारी लाभ होता है।

【२७】पथरी होने पर एक पान में 20 ग्राम गुलकन्द, 10 mg शुद्ध जयपाल या अमॄतम टेबलेट की एक गोली डालकर सुबह खाली पेट और रात को खाने से एक घण्टा पूर्व 15 दिन खाने से स्टोन गलकर निकलने लगती है। इस प्रयोग से पेट साफ होगा। दस्त भी लग सकते हैं। घबराएं नहीं पानी खूब पियें। अन्य कोई चिकित्सा न करें

【२८】प्यास की अधिकता सन्तुलित करता है

【२९】थकावट, ग्लानि, अवसाद/डिप्रेशन, भरम, चित्त की अस्थिरता आदि शारीरिक एवं मानसिक विकारों में गुलकन्द से अच्छा कोई पदार्थ नहीं है।

【३०】पेशाब की जलन, मूत्र की रुकावट, आंखों की जलन, धुंधलापन, में गुलकन्द अत्यंत उपयोगी है।

【३१】नाक-मुख या गले में खुश्की होने पर गुलकन्द को दूध के साथ मिलकर लेना चाहिए।

【३२】अमृतम गुलकन्द 20 ग्राम और 2 नग अंजीर 200 ग्राम दूध में 100 ग्राम पानी डालकर इतना उबाले की 150 ml करीब रह जाये। फिर, सबको अचसहि तरह मसल कर गुनगुना दूध पी लें। 15 दिन के इस प्रयोग से लिवर की सभी समस्या मिट जाती हैं। यदि यह उपाय न कर सकें, तो अमॄतम कीलिव माल्ट Keyliv Malt एक माह लेवें।

गुलाब से बनता है रूह गुलाब इत्र—

गुलाब का चिकित्सा के अलावा अतिरिक्त सुगन्ध के लिए बहुत उपयोगी होता है। गुलाब से निर्मित शुध्द रूह गुलाब का इत्र 2 लाख रुपये लीटर मिलता है। लगभग एक लाख फूलों से 8 से 10 ML रूह इत्र निकलता है।

गुलाब का अर्क एवं शर्बत भी लाभकारी ओषधि है।

राजस्थान में श्रीनाथद्वारा मन्दिर एवं हल्दी घाटी में गुलाब की बहुत खेती होती है।

कुछ आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह भारतीय पौधा है। चरक सिद्धि स्थान अध्याय १० में स्वर्ण युथिका, पियंगू, रक्तमुली इत्यादि संगाहिक द्रव्यों के साथ तरुणी यानि गुलाब का भी उल्लेख मिलता है।

गुलकन्द का उपयोग मृदुसारक द्रव्य के रूप में प्रत्यक्ष सिद्ध है। इसलिए तरुणी शब्द गुलाब के लिए ही उपयुक्त है। गुलकन्द का एक वर्ष सेवन करने से त्वचा निखरकर पुनः तरुणावस्था आने लगती है।

अमॄतं द्वारा निर्मित 45 प्रकार के अवलेह/माल्ट में गुलकन्द विशेष रूप से मिलाया जाता है।

बालों के 20 विकारों का विनाश होता है।

कुन्तल केयर हर्बल माल्ट के सेवन से बालों का झड़ना-टूटना, पतलापन, रूखापन, दोमुंहापन आदि रोग जड़मूल से नष्ट हो जाते हैं।

भावप्रकाश निघन्टुकार ने गुलकन्द को ग्राही यानि ग्रहण करने योग्य लिखा है।

ग्राही का अर्थ है- जो द्रव्य दीपन अर्थात भूख बढ़ाने वाला एवं पाचन मतलब भोजन को शीघ्र पचाने वाला। गुलकन्द शरीर के उष्ण अंश को सुखाकर घबराहट कम करता है।

गुलाब की अनेक जातियां एवं भेद हैं, लेकिन लाल गुलाब विशेष उपयोगी है। इसे ही पूजा आदि में माला के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शेष गुलाब को वर्णशंकर बताया है।

गुलकन्द बनाने का तरीका-विधि…

गुलाब के ताजी फूलों को अच्छी तरह साफ-धोकर, फूलों के बराबर खड़ी शक्कर के साथ हाथों से अच्छी तरह मिलाकर किसी कांच या मिट्टी के पात्र में भरकर रखें।

फिर, इसके ऊपर दोहरा मजबूत कपड़ा बांधकर 20 से 25 दिन के लिए धूप में रखें। गुलकन्द तैयार हो जाएगा। यदि गुलकन्द घर का बना हो, तभी बहुत लाभकारी रहेगा। बाजार में मिलने वाला अधिकांश गुलकन्द अर्क निकला हुआ रहता है, जो असरकारी नहीं होता।

गुलाब तेरे नाम निराले-

हिंदी- गुलाब।

बंगाली- गुलाप

ता.- इराशा, गोलप्पु

कन्नड़- गुलावी।

तेलगु- गुलाबी-पुवु

फ़ारसी- गुले सुर्ख, गुल, गुले-गुलाब।

अरबी- बर्द, बर्दे अहमर।

अंग्रेजी- ROSE

लेटिन- रोसा सेंटिफालिया (Rosa Centifoliya)

प्रेम और फ्रेम में उपयोगी गुलाब—

प्यार के इजहार में गुलाब के फूलों का बहुत महत्व है। यदि किसी प्रेमी या प्रेमिका ने गुलाब स्वीकार कर लिया, तो प्रेम की मौन स्वीकृति माना जाता है।

गुलाब को सन्सार में प्रेम के क्षेत्र में विशेष सम्मान प्राप्त है। हर साल 14 फरवरी को प्रेमियों के लिए रोज डे का अत्यन्त महत्व है। लगता है अंग्रेजों ने गुलाब शब्द से ही गु हटाकर लाब शब्द से लव (LOVE) खोजा गया हो।

फ्रेम यानी मरने के बाद फोटो फ्रेम पर गुलाब पुष्प चढ़ाने का भी विधान है।

14 फरवरी रोज दिवस को गुलाब देने वाले अधिकांश प्रेमी ठीक 9 महीने बाद बालदिवस के दिन गुलकन्द लेने से कतराते हैं।

प्यार/आशिकी हो या पीना दोनों नशावर्धक हैं। दारू जब ज्यादा हो जाती है, तो प्रेमी उल्टी करता है और जब आशिकी ज्यादा हो जाती है, तो प्रेमिका उल्टी करती है।

सन्दर्भ ग्रन्थों के नाम—

¶~ आयुर्वेद योगतरँगनी

¶~सारंगधर सहिंता

¶~ चरक सूत्र

¶~ भावप्रकाश निघण्टु

¶~ वैद्य रत्नाकर

¶~ भैषज्य रत्नावली

¶~ अमॄतं पत्रिका जून 2009

¶~ आयुर्वेद सार संग्रह

¶~ रस तन्त्र सार एवं आयुर्वेद

¶~ चक्रदत्त

¶~ आयुर्वेद प्रकाश

¶~ आरोग्य प्रकाश

¶~ औषधगुण धर्मशास्त्र

¶~ चिकित्सा चन्द्रोदय

¶~ आयुर्वेद सिद्ध योग संग्रह।

गुलाब पर बहुत सी शायरियां लिखी गईं।

एक बानगी देखिए-

¶~

जिन्हें सांसों की महक से इश्क महसूस न हो,

वो गुलाब देने भर से- हाल-ए-दर्द क्या समझेंगे।

¶~

हम चाहते थे कि उसको गुलाब पेश करूँ।

वो खुद गुलाब थी, उसको गुलाब क्या देता।।

¶~

गुलाब नहीं देना, तो गुलाब जामुन ही दे दो यार।

बहुत भूख लगी है।

¶~

तेरा स्वभाव गुलाब के फूल जैसा, मेरा कांटे जैसा।

क्यों न हम दोनों मिलकर, गुलाब हो जाएं।।

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