अघोरी की तिजोरी से –अंगूर के फायदे
बसन्त ऋतु यानी फरवरी माह में अंगूर की
कच्ची लकड़ी के अंदर से एक प्रकार का रस-पदार्थ निकलता है जिसे देशी भाषा में मद
कहते हैं, इस मद को पुराने से पुराने त्वचा
रोगों जैसे-दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा,
फोड़े-फुंसी, सफेद दाग-धब्बे पर लगाने से
बहुत आराम मिलता है।
10 से 15 दिन यह मद नियमित लगाने से सभी त्वचा या चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
पथरी में लाभकारी अंगूर
अंगूर की लकड़ी जलाकर भस्म कर लें।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात में सोते समय गोखरू के 10 ml रस के साथ 2 से 3 ग्राम भस्म मिलकर 15 दिन तक लगातार सेवन करें। कैसी भी पथरी हो गलकर निकल
जाती है।
अंडवृद्धि में अंगूर के पत्ते-
अंगूर के पत्तो पर गाय का शुद्ध देशी
चुपड़कर, पत्तों को खूब गर्म करके
पोतों पर बांधने से कैसी भी सूजन हो,
तुरन्त कम हो जाती है।
रुक हुआ पेशाब या मूत्रावरोध हो, तो
एक किलो पानी में 200 ग्राम अंगूर, इतना
उबाले कि वह 300 ML रह जाये, इसे ठंडा
कर सुबह खाली पेट पिये, तो रुकी हुई पेशाब
खुलकर आने लगती है।
इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए
अंगूर को सुखाकर बनता है द्राक्षा।
यह रोगप्रतिरोधक क्षमता वृद्धि में बहुत
सहायक है। इसके सेवन से पेट के 50 से
अधिक रोग मिट जाते हैं।
अमृतम गोल्ड माल्ट
द्राक्षा, गुलकंद, सेव मुरब्बा, आँवला मुरब्बा
मिलाकर बनाया जाता है। आयुर्वेद में इसे सर्वरोगहारी ओषधि बताया गया है।
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