अमृतम च्यवनप्राश की उत्पत्ति
का क्या कारण था .….
देवी-देवताओं के चिकित्सक और चमत्कारी अद्भुत वैद्यों के रूप में प्रसिद्ध
का क्या कारण था .….
देवी-देवताओं के चिकित्सक और चमत्कारी अद्भुत वैद्यों के रूप में प्रसिद्ध
वैद्यराज अश्विनी कुमार आयुर्वेद के प्रवर्तक या अविष्कारक माने जाते हैं।
च्यवनप्राश ने जब बुढापा दूर किया….
वैद्य अश्वनी कुमारों के वंशज च्यवन ऋषि जब बहुत वृद्ध हो गये, तो उन्होंने यौवन की पुनर्प्राप्ति के लिये अपने पूर्वज अश्विनी कुमार से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने ऋषि च्यवन के लिये
आयुर्वेद की एक दिव्य
औषधि तैयार की जिससे ऋषि च्यवन ने फिर से युवा अवस्था को प्राप्त कर लिया। इसी देवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर अमृतम च्यवनप्राश कहा जाता है।
आयुर्वेद की एक दिव्य
औषधि तैयार की जिससे ऋषि च्यवन ने फिर से युवा अवस्था को प्राप्त कर लिया। इसी देवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर अमृतम च्यवनप्राश कहा जाता है।
कैसे बनाया था-अमृतम च्यवनप्राश…
इसके लिए अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की तथा बुजुर्ग च्यवन ऋषि के कृश, वृद्ध शरीर को पुन: युवा बना देने का चमत्कार कर दिखाया।
अमृतम च्यवनप्राश के गुण...
क्या फायदा पहुंचाता है?
यह शरीर की सभी कोशिकाओं को
रिचार्ज करके, शिथिल, मरी नाड़ियों को
शक्ति प्रदान करता है।
आयुर्वेदिक सहिंता के अनुसार....
इसके लिए अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की तथा बुजुर्ग च्यवन ऋषि के कृश, वृद्ध शरीर को पुन: युवा बना देने का चमत्कार कर दिखाया।
अमृतम च्यवनप्राश के गुण...
क्या फायदा पहुंचाता है?
यह शरीर की सभी कोशिकाओं को
रिचार्ज करके, शिथिल, मरी नाड़ियों को
शक्ति प्रदान करता है।
आयुर्वेदिक सहिंता के अनुसार....
भार्गवश्च्यवन कामी
वृद्धः सन् विकृतिं गतः।
वृद्धः सन् विकृतिं गतः।
वीर्य वर्ण स्वरोयेत
कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥
कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥
(भाव प्रकाश निघण्टु 1-3)
यह उम्ररोधी हर्बल ओषधि है। कामी और वृद्ध लोगों की झुर्रियां, वर्ण, रंग स्वर, वाणी यानि शरीर का एक-एक अंग रोगरहित व क्रियाशील बनाकर फिर से जोश-ए-जवानी प्रदान करता है।
यह अंदरूनी ताकत उत्पन्न करने में विलक्षण ओषधि है।
यह अंदरूनी ताकत उत्पन्न करने में विलक्षण ओषधि है।
आयुरवेद सारः-संग्रह, तथा
भेषजयरत्नावली आयुर्वेद ग्रन्थ के मुताबिक अमृतम च्यवनप्राश तन की ताकत कम होना, कमजोरी, पुराने जुकाम-खांसी सहित फेफड़े व क्षय रोग के निदान के लिए विशेष उपयोगी है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता
Immunity पॉवर बढ़ाने वाली
भेषजयरत्नावली आयुर्वेद ग्रन्थ के मुताबिक अमृतम च्यवनप्राश तन की ताकत कम होना, कमजोरी, पुराने जुकाम-खांसी सहित फेफड़े व क्षय रोग के निदान के लिए विशेष उपयोगी है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता
Immunity पॉवर बढ़ाने वाली
जड़ी बूटियां आँवला, गिलोय व
तुलसी भरपूर मात्रा में होती हैं।
“अमृतम च्यवनप्राश” बुढ़ापे में आई शिथिलता, कमजोरी, स्मरण शक्ति, बुद्धि व शरीर के विकास में भी काफी मददगार साबित होता है।
थायराइड की विशेष ओषधि —
अमृतम च्यवनप्राश थायराइड का
शर्तिया इलाज है।
जो लोग बहुत समय से थायराइड से पीड़ित हैं, उन्हें सर्दी के दिनों में 1 से 2 चम्मच दिन में 2 या 3 बार गर्म दूध या पानी से जरूर लेना चाहिए।
फेफड़ों रोग रहित बनाता है...
श्वांस, दमा, सर्दी, निमोनिया, कफ, कास, से पीड़ितों के लिए यह बहुत ही अमृत ओषधि है।
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध
पैकिंग-200 ग्राम
कीमत-1125/-
शुद्धता के साथ
सेहत और स्वाद
56 असरकारक और रोगनाशक आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के काढ़े तथा
आँवला, मुनक्का आदि रस-भस्म
से निर्मित।
कम से कम 3 महीने तक सेवन करें।
बच्चों व महिलाओं के लिए उपयोगी।
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध
पैकिंग-200 ग्राम
कीमत-1125/-
शुद्धता के साथ
सेहत और स्वाद
56 असरकारक और रोगनाशक आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के काढ़े तथा
आँवला, मुनक्का आदि रस-भस्म
से निर्मित।
कम से कम 3 महीने तक सेवन करें।
बच्चों व महिलाओं के लिए उपयोगी।
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