हरीतकी, हरड़ या अभया, रसौंत, आंवला मुरब्बा, अमृतम गुलकन्द, मुनक्का, सनाय, अमलताश, बोलबद्ध रस, अर्शकुठार रस, मकोय, अमृतम टेबलेट, स्वर्णगेरु, शुण्ठी, त्रिकटु, चतुर्ज़ात, अमृतम त्रिफला आदि।
अर्श से होते हैं अनेकों नुकसान….
बवासीर के कारण शरीर की तासीर बिगड़ने लगती है। मन खराब रहता है। ठीक से भूख नहीं लगती। खून की कमी होने लगती है। कुल मिलाकर अर्श फर्श पर लाकर खड़ा कर देता है। क्योंकि पाइल्स पीड़ित पुरुष हों या स्त्री वह सफल मिस्त्री नहीं बन पाते हैं। बवासीर की तकलीफ होने से इन्हें काम करने में अनेकों परेशानी से घिर जाता है। यह अनुभवी आदमी ही जानता है।
■ पाइल्स के कारण मन-मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है।
■ बवासीर मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर देता है।
■ बवासीर-बर्बाद कर दे-तकदीर…पाइल्स से पीड़ित पुरुष या स्त्री चलने-फिरने में असहजता अनुभव करते हैं।
पाइल्स पीड़ित सुबह खाली पेट 1 से 2 चम्मच अमृतम गुलकन्द दूध के साथ अवश्य लें, इससे पित्त सन्तुलित होकर मल ढीला होता है।
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पाइल्स की बीमारी….
बवासीर, गोल तीर है, होसिला या पाइल्स या मूलव्याधि गुदा की एक ख़तरनाक बीमारी है, जो बाद में जाकर फिशर, भगन्दर का भयानक रूप ले लेती है।
बवासीर अंदर या बाहर/वाह्य तथा आंतरिक यानि इंटरनल या एक्सटर्नल पाइल्स अलग-अलग रूप में गुदा के अंदर या फिर, बाहर की तरफ उपस्थित हो सकता है।
बवासीर के मुख्य 4 प्रकार हैं-
【1】अंदरूनी बवासीर
(internal Hemmorhoids)
यह गुदा के अंदर होने वाली बवासीर है
मल के कड़े/कठोर या टाइट मल विसर्जन
से मलद्वार अर्थात लैट्रिन की जगह पर मस्से
हो जाते हैं। आंतरिक अर्श बहुत ज्यादा
नुकसान या तकलीफ नहीं देती है अगर
आहार अच्छा, रसीला हो।
यह समय के साथ ठीक हो जाती है।
अर्श के कारण पाचनतंत्र कमजोर होने लगता है, जिससे मल सूखने लगता है। इसलिए इन्हें लिवर टॉनिक का सदैव सेवन करना हितकारी है।
अमृतम द्वारा निर्मित कीलिव स्ट्रांग सिरप भी
अत्यंत असरदार लिवर टॉनिक है।
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【2】 बाह्म बवासीर
जहां से मल त्याग किया जाता है, शरीर
के उस निचले स्थान यानि मलद्वार या
गुदा के बाहरी हिस्से में मस्से पनपने लगते
हैं। कुछ समय बाद समय मलद्वार पर छोटे-छोटे, गोल-गोल मस्से की तरह गांठ बनने
लगती है, जिससे मल विसर्जन के समय
भयंकर दर्द होता है।
यह पाइल्स शुरुआत में तो इतनी तकलीफ
नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़कर मस्से कठोर होते जाते हैं, तो मरीज को परेशानी
भी बढ़ती जाती है।
【3】रक्तस्रावी बवासीर
प्रोलैप्सड पाइल्स
[prolapsed Hemmorhoids]
जब अंदरूनी बवासीर बढ़ने लगती है,
तो वह धीरे-धीरे बाहर की तरफ आने
लगती है इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर
कहा जाता है।
【4】 खूनी बवासीर
(thrombased hemmoroids)
खूनी बवासीर यहां सभी प्रकार के बवासीर
में सबसे जटिल बवासीर का प्रकार माना
जाता है। रक्तार्श रोग में मल त्यागते वक़्त
जब खून निकलता है, तो उसे खूनी बवासीर कहते है।
ये खून इतना अधिक होता है कि रोगी इसे देख कर रोगी डर जाता है। बाहरी बवासीर होने पर मस्से फूलकर सूज जाते हैं तथामोटे हो जाते हैं, जिससे इसमें दर्द, जलन और खुजली भी होने लगती है।आमतौर पर यह गुदा व मलाशय में मौजूद नसों का “वैरिकोज वेन्स”रोग होता है। बवासीर विकार मलाशय के अंदरुनी हिस्से या गुदा के बाहरी हिस्से में हो सकता है। जिस कारण मौजूद नसों में सूजन व तनाव आ जाती है।
क्योंकि इसमें रक्त स्राव होता है इससे व्यक्ति कमजोर होकर व्यक्ति बहुत तकलीफ में आ जाता है। अगर मल त्याग के समय खून आए, यह चिन्ता का विषय है।
बवासीर होने के कारण….अर्श रोग की परेशानी होने का मूल कारण कब्ज है, जो लम्बे समय तक बनी रहती है। कुछ समय बाद कठोर मल निकलता है। रोगी को पाइल्स का पता जल्दी नहीं चलता”
■ गर्मी या बारिश के मौसम में अंजीर्ण,
कब्ज/कॉन्स्टिपेशन, अपचन की तकलीफ लगभग सभी लोगों को होती है।
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बवासीर पाइल्स, अर्श और महेशी ये सब पाइल्स के ही विभिन्न नाम हैं। अंग्रेजी में बवासीर को हेमोराइड्स (Hemmorhoids) भी कहतें हैं।
आयुर्वेदिक निघण्टु ग्रन्थ में8/आठ तरह के पाइल्स का उल्लेख है। अर्श बीमारी की वजह से उत्पन्न शरीर में होने वाले शसिरिक परिवर्तन अर्थात पैथोफिज़ियोलॉजी का परिचय, चिह्न, लक्षण, कारण जाने? अर्श का सावधानियाँ एवं आयुर्वेदिक उपचार क्या है।
अर्श मिटाना सम्भव है….पाचनतंत्र, कब्ज या पेट की खराबी के कारण होने वाले बवासीर का इलाज करने के लिए रोज दो से तीन चम्मच पाइल्स की गोल्ड माल्ट दूध या पानी से तीन माह तक निरन्तर सेवन करें।
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रात में सोने से पहले अमृतम टेबलेट की 2 गोली से 3 महीने तक लेना हितकारी है। रोज रात को गूदा द्वारा पर काया की ऑयल का फोंहा लगाकर सोने से पुरानी से पुरानी बवासीर जड़ से ठीक हो सकती है।
यह सब दवाएं केवल ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
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