बढ़ते बच्चों/ शिशु/चाइल्ड की बल-बुद्धि-विवेक बढ़ाने के लिए अभ्यंग चमत्कारी है। जाने-औषधि तेलों के 22 से ज्यादा जरूरी फायदे….

22-रोगों का नाशक – एक बेबी केयर हर्बल ऑयल के बारे में शांतिपूर्वक समझे…

आयुर्वेद के बहुत प्राचीन ग्रंथ “वाग्भट्ट रचित” अष्टाङ्ग ह्रदय, काय-चिकित्सा, सुश्रुत सहिंता, चरक सहिंता, योग रत्नाकर आदि में ३ महीने से १०/१२ वर्ष की आयु तक बच्चों की प्रतिदिन निम्नलिखित जड़ीबूटियों से युक्त/निर्मित औषधि तेलों की प्रतिदिन मसाज़ करवाई जाए, तो ऐसे बच्चे बहुत होनहार, स्वस्थ्य-तन्दरुस्त और इम्युनिटी से लबालब रहते हैं। इन्हें ताउम्र कभी कोई रोग नहीं सताता।
ऐसे ही अमृतम द्वारा बेबी केयर-Baby Care हर्बल बॉडी मसाज ऑयल का आयुर्वेद की 5000 वर्ष पुराने तरीके से 2 माह में तैयार किया जाता है।
बेबी केयर मसाज़ ऑयल के मुख्य घटक इस प्रकार हैं-
अनन्त मूल, जटामांसी, नीमत्वक, सारिवा, त्रिफला, चन्दन, रक्त चंदन, बला, लाक्षा, पंचगव्य, गोकर्ण पुष्प, बादाम, एरण्ड, तिल, सेमल पुष्प, गुलाब पुष्प, दालचीनी, ब्राह्मी, दारुहल्दी और भोजपत्र आदि।
आयुर्वेद के मुताबिक निर्माण विधि-
उपरोक्त सभी जड़ी-बूटियों को जौकुट करके 16 गुने पानी में 24 से 48 घण्टे तक जलाते हैं, फिर लगभग 20/25 दिन मन्द अग्नि में

काढ़ा एक चौथाई रहने तक

पकाते हैं।
इसके बाद इस शेषांश काढ़े को 30 से 35 दिन तक तिल तेल में बहुत ही हल्की आंच में तब तक उबालते है, जब तक ओषधि काढ़े का जल तेल में न पक जाए। ठंडा होने के बाद इसमें बादाम तेल, एरण्ड तेल, जैतून तेल आदि असरकारक तेलों को मिलाकर 10 दिन तक हल्की धूप में छोड़ दिया जाता है। उसके पश्चात फिल्टर कर पैक करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार इस श्रमदायी प्रकिया से तेल की कीमत अधिक हो जाती है। इसीलिए बेबी केयर मसाज ऑयल के 100 मिलीलीटर पैक का मूल्य 1999/- रखा गया है
अभ्यङ्ग स्नान यानि तेल की मालिश
 से बच्चों के तन में 
तीव्रता व तेज़ी आती है।
मानव के मन की मलिनता मिटती है।
अभ्यंग शिशु को अभय
अर्थात भय मुक्त करता है। 

Baby Care Massage Oil

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वेदों में भी लिखा हैअभ्यंग के बारे में
श्लोक इसप्रकार है–
 
अभ्यङ्गमाचरेन्नित्यं स जराश्रमवातहा।
दृष्टिप्रसादपुष्टयायु:स्वप्नसुत्वक्त्त्वदाढर्यकृत्।
शिरःश्रवणपादेषु तं विशेषेण शीलयेत्।।
(इति श्री अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ से साभार)
अर्थात– बच्चों को बहुत जरूरी है कि उसकी प्रतिदिन अभ्यङ्ग यानि पूरे शरीर का तेलमर्दन
प्रसूता माँ,आया या नाइन द्वारा अवश्य करवाएं…
क्योंकि बचपन में नित्य की मालिश से बच्चों की ● थकान, जरा-ज्वर, पीड़ा और समस्त वात रोग हमेशा के लिए मिट जाते हैं। 
● बच्चों की दृष्टि, मस्तिष्क तेज होता है।
● शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। 
● प्रतिरोधक क्षमता और आयु में वृद्धि होती है। 
● तेलमर्दन के बाद शिशु को निद्रा सुखपूर्वक आती है। मन शांत रहता है।
● त्वचा सुंदर, दृढ़, चमकदार व आभायुक्त हो जाती है।
● बच्चों की हड्डियां मजबूत हो जाती है।
● रक्त नाड़ियों में खून का संचार सुगम होता है।
अतः अभ्यङ्ग के समय तैल का प्रयोग सिर, कान तथा पैरों में विशेष रूप से करते रहें।
बच्चों के किस अंग में तैल लगाने से होंगे फायदे ही फायदे...
© उर्ध्वांग यानि माथा, गाल, गला, बाहु, भुजाएं, छाती, ह्रदय में ऑयल मलने से आँख-कान और दिमाग की शक्ति ठीक रहती है।
© केशों/बालों में नियमित तेल लगाने से हेयर सदैव काले, मुलायम एवं चमकदार, काले, लंबे बने रहते हैं। कम उम्र में बाल कभी नहीं झड़ते।
कभी भी कोई केशविकार उत्पन्न नहीं होते।
© मालिश से बच्चों का चिड़चिड़ाना दूर होता है।
© नियमित अभ्यङ्ग गहरी नींद लाता है।
© प्रतिदिन के मसाज़ से बच्चों की बुद्धि-आयु-तेज और बल की वृद्धि होकर लम्बाई बढ़ती है।
© सर्दी-खांसी-जुकाम-निमोनिया, श्वांस, क्षय (टीबी रोग) सुस्ती आदि विकार नहीं सताते।
© देह की त्वचा बड़ी सुशोभित हो जाती है।
© बच्चों को अचानक तकलीफ, दूध पटकना, छाती चलना, कान के रोग, मन्यास्तम्भ, हनुस्तम्भ आदि वात रोग जीवन भर नहीं होते।
सम्पूर्ण सार यही है कि- शिशु/बच्चे की आयु तीन से छह महीने की होते ही अभ्यङ्ग अवश्य अभ करना चाहिए, इससे कफ जाता रहता है। अनेक रोग मिटकर, सभी अंग दृढ़ हो जाते हैं।
सावधान-अभ्यङ्ग कब न करें...
 जब बच्चा कफ रोगसे ग्रस्त हो।
 बच्चों को दस्त या उल्टी की शिकायत हो
 शिशु अजीर्ण से पीड़ित हो, तो उस समय तेलमर्दन कभी नहीं करना चाहिए।
किस समय अभ्यङ्ग बहुत लाभकारी है..
अंग-अंग में अभ्यंग 
कब औऱ कैसे करें–
आयुर्वेद ग्रन्थों में लिखा है कि  —
मालिश बहुत हल्के हाथ से
 हमेशा मालिश दूध पिलाने या भोजन के 90 मिनिट बाद करना सार्थक रहता है
 सुबह सूर्योदय की खिलती धूप में
 सूर्यास्त के बाद एवं रात्रि में सोते समय इस प्रकार दिन भर में 2 से दिन बार 20/30 मिनिट तक प्रतिदिन मालिश करना बच्चों को अत्यंत हितकारी बताया गया है।
उपयोगी हर्बल चिकित्सा 
अभ्यंग का अर्थ है मालिश।
अर्थात
तन में तेल अच्छी तरह लगाना ।
शरीर को ताकतवरहड्डियों को
मजबूत बनाने हेतु अभ्यङ्ग बहुत जरूरी है।
रोज की मालिश से शिथिल, कमजोर 
रक्त नाडियों में खून का संचरण होने लगता है।
शरीर हल्का रहता है। अनेक आधि-व्याधि
नहीं सताती हैं।
स्त्री-पुरुष, बुजुर्गों के अलावा सबको अभ्यङ्ग अवश्य करना चाहिए, जिन्हें समय की समस्या हो या कोई विशेष व्याधि हो, तो आयुर्वेदिक ग्रन्थ काय-चिकित्सा चलना लाभकारी सिद्ध होगा।
किस ‘वार’को करें मालिश–
 ग्रंथों की गुजारिश 
किस वार को अभ्यंग करने से
क्या फायदा होता है, इसके
बारे में अमृतम आयुर्वेदिक ग्रंथों में
 विस्तार से बताया है-
“मन की चंचलता”
मिटाने हेतु सोमवार को अभ्यंग या
मालिश करना हितकारी है!
बुद्धि-विवेक वृद्धि के लिए
बुधवार को
“आलस्य व शिथिलता” दूर करने के लिए
शुक्रवार को तथा
“भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव” से मुक्ति एवं
राहु-केतु और शनि ग्रहों की
शान्ति के लिए शनिवार को
स्नान से एक से दो घन्टे पूर्व मालिश या 
अभ्यंगस्नान का महत्व बताया है।
अमृतम आयुर्वेद की आदिकालीन ग्रंथों में
कहा गया है-
मालिश करने के बाद कम से कम
40 से 45 मिनिट बाद स्नान
करना लाभकारी है।

अभ्यंग से मस्त मलंग!!

टूटे मन और कमजोर तन और हड्डियों 
को मजबूत बनाने के लिए आयुर्वेदिक विधि से

 हर्बल मसाज यानि

मालिश से दूर होते हैं, 22- विकार……….

【१】हड्डियों को मजबूत बनाये।
【२】त्वचा को मुलायम करे।
【३】रंग को साफ करने में सहायक।
【४】रक्त के संचार को गति प्रदान करता है
【५】शिथिल नाड़ियों को शक्तिशाली बनाता है
【६】छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है
【७】बच्चों की मालिश हेतु अति उत्तम
【८】बच्चों के सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है
【९】बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है
【१०】तुष्टि-पुष्टि दायक है
【११】उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी में राहत देता है
【१२】तनाव मुक्त कर,नींद लाता है
【१३】शरीर को सुन्दर बनाता है
【१४】महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर खूबसूरती व योवनता प्रदायक है
【१५】ऊर्जावान बनाये
【१६】फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है
【१७】बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है
【१८】नजला, जुकाम, न्यूमोनिया, सांसे चलना आदि फेफड़ों की समस्याओं को उत्पन्न नहीं होने देता।
【१९】याददास्त बढ़ाता है
【२०】वात-विकार से बचाव करता है
【२१】बुढापा रोकने में मदद करता है
【२२】सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है।
अमृतम फार्मास्युटिकल्स, ग्वालियर मप्र द्वारा सभी आयुवर्ग वालों के लिए अलग ओषधि तेलों का निर्माण आयुर्वेद की 50000 वर्ष प्राचीन पध्दति से किया है। इन हर्बल मसाज ऑयल की निर्माण प्रक्रिया अत्यंत श्रम साध्य और कठिनाई युक्त है।
बच्चों की मालिश हेतु-
युवतियों/महिलाओं/स्त्रियों के लिए
युवावर्ग/पुरुष और बुजुर्गों के लिए
उपरोक्त तीनों तेलों के बनाने की विधि आदिकालीन और अलग-अलग है। मालिश के समय इन तेलों में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की सुगन्ध मन-मस्तिष्क को भी परम शांति का आनंद उपलब्ध कराती है। 
आयुर्वेद के बारे में यथार्थ-सत्य और सारगर्भित पुराने ग्रंथों की जानकारी पढ़ना चाहें तो अमृतमपत्रिका amrutampatrika गूगल पर सर्च कर लगभग 4000 से अधिक ब्लॉग पढ़ सकते हैं।
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