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- रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात कमजोर इम्यून सिस्टम होने पर बीमारियों का असर जल्दी होता है।
- ऐसे में शरीर व्याधियों का अखाड़ा बन जाता है और हम बार-बार, जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं।
- वर्तमान में फेल रहा कोरोना संक्रमण, दिनग फीवर का आक्रमण, शरीर या पूरे बदन में दर्द, आलस्य,
- सुस्ती, चिड़चिड़ापन आदि रोगों की वजह इम्युनिटी का कम होना होना ही है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात स्ट्रांग इम्युनिटी हमें असंख्य रोगों से सुरक्षा करती है।
- इम्यून सिस्टम मजबूत हो, तो छोटी-मोटी ऐसी अनेक बीमारियां होती हैं जिनसे हमारा शरीर खुद ही निपट लेता है।
- स्थाई रूप से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एलोपैथी की महंगी दवाओं की जगह आयुर्वेदिक औषधियों से करें उपचार,
- तो सात दिन में बढ़ जाएगी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता…
- अमृतम गोल्ड माल्ट का सेवन करें।
- यह आँवला मुरब्बा, गुलकन्द, गुलाब के फूल, त्रिफला, मकोय, पुर्ननवा, लौह भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म आदि…
- 28 से अधिक जड़ीबूटियों तथा रसादि भस्मों से निर्मित है।
- अमृतम गोल्ड माल्ट सात दिन दूध से लेवें, तो चमत्कारिक तरीके से रोग प्रतिरोधक क्षमता में बेतहाशा वृद्धि होने लगती है।
- ओल्ड अब गोल्ड बनकर उभरा। अब पुनर्जागरण की और आयुर्वेद….
- दशकों की उपेक्षा के बाद, प्राचीन भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद उपचार प्रणाली स्वास्थ्य सेवा की मुख्यधारा में अपनी जगह लेने के लिए तैयार है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने, तो दुनिया के करीब 152 देशों का करना काल के बाद अभी-अभी कुछ ही दिनों में लोगों का रुझान आयुर्वेद की तरफ काफी बढ़ा है।
- भारत की हर्बल दवाएं इम्युनिटी बूस्टर होने के कारण अब एक आधुनिक जीवंत स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रणाली में प्रगति और परिवर्तन की एक तेज़ रफ्तार पकड़ रहा है।
- अमृतम पत्रिका पर ईमेल पर लगभग 100 से अधिक पूछे गए सवालों में 77 फीसदी सवाल रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के बारे में पूछे गए हैं।
- हम आयुर्वेद के पुराने ग्रन्थों के अनुसार इनका जबाब, कारण इलाज, उपचार सहित बता रहे हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, रक्तवाहिकाओं में जमा होने वाली गंदगी यानि संवहनी प्रदूषण,
- संक्रमण आदि विकार जठरांत्र संबंधी बीमारियों से लेकर नज़र में खराबी होने तक एवं विभिन्न रोगों के विकसित होने का 93% तक कारण बनती है।
- समझे आयुर्वेद की गहनता की…पहली बात तो यह है-मनुष्य २५ विभिन्न तत्वों से मिलकर बना है
- पांच ५ महाभूत – पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, अग्नि
- पांच ५ तन्मात्रा – गन्ध, रस,रूप, स्पर्श, शब्द
- पांच ५ ज्ञानेन्द्रियाँ – नाक, जीभ, आँख, त्वचा कान
- पांच ५ कर्मेन्द्रियाँ – हाथ, पैर, उपस्थ, मुंह, लिंग
- पांच ५ अन्तः करण – मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आत्मा
इन सभी पांच महाभूतों की तन्मात्रा होती हैं, जो ज्ञानेन्द्रियों में रहती हैं।
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- इनमें शरीर में ऊष्मा-ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए अनूर्जता अर्थात एनर्जी अति आवश्यक तत्व है।
- जब अंग-प्रत्यंग रक्त विकृति से दूषित हो जाते हैं, तब शरीर रोगप्रतिरोधक क्षमता से रहित होने लगता है
- और फिर, पाचनतंत्र की खराबी एवं अनेक प्रकार के रक्त-विकार देह के अलग-अलग हिस्सों में पनपने लगते हैं।
- तन-मन के त्रिदोष को सन्तुलित करने वाले रोज उपयोगी 5 चमत्कारी उत्पाद- जाने…
- अपनी तासीर के मुताबिक निम्नलिखित क्वाथ आपको स्वस्थ्य और सुखी बनाने में सदा सहयोग करेंगे।
【1】कफ की क्वाथ 【कफविनाश】
【2】वात की क्वाथ 【वातरोग नाशक】
【3】पित्त की क्वाथ 【पित्तदोष सन्तुलित करने में विशेष उपयोगी।
【4】डिटॉक्स की क्वाथ 【शरीर के सभी दुष्प्रभाव, साइड इफ़ेक्ट मिटाता है】
यह क्वाथ सभी तरह की डाइबिटीज पीड़ितों के लिए बहुत मुफीद है।
【5】बुद्धि की क्वाथ 【मानसिक शांति हेतु】
उपरोक्त ये पांचों क्वाथ तासीर अनुसार सर्वरोग नाशक और देह को तन्दरुस्त बनाने में सहायक हैं।
यह जड़मूल से रोगों का नाशकर रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं। केवल ऑनलाइन उपलब्ध है-
अमृतम ने आयुर्वेद के योग्य, विद्वान और वरिष्ठ वेद-चिकित्सकों द्वारा एक बेहतरीन पुस्तक प्रकाशित की है। इस किताब का नाम
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- Ayurveda Life Style है, जो कि ओनली ऑनलाईन ही उपलब्ध है।
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- असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने
- के लिए अंग्रेजी की किताब आयुर्वेदा लाइफ स्टाइल आपकी सहायता करेगी।
- आपकी दिचर्या कैसी, हो, कब-क्या खाएं?.. आदि स्वस्थ्य जीवन के इसमें उपाय भी बताएं हैं।
- अपनी लाइफ स्टाइल को इस बुक का अध्ययन तथा अमल कर सदैव तन्दरुस्त रह सकते हैं।
- अमृतम ग्लोबल Amrutam.globle की वेबसाइट पर सर्च करके आप आयुर्वेद के जाने-माने योग्य स्त्री-पुरुष रोग विशेषज्ञ आदि..
- अनुभवी आयुर्वेदाचार्यों से ऑनलाइन सलाह-मशविरा लेकर सुविधा जनक चिकित्सा करवाएं।
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