च्यवनप्राश का ये फार्मूला पढ़कर घर पर भी बना सकते हैं-च्यवनप्राश। जाने 50 से ज्यादा हैरान करने वाले चमत्कारी फायदे…

एक लाजबाब इम्युनिटी बूस्टर, जो कोरोना जैसे संक्रमण से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है।

आयुर्वेदिक शास्त्रों में च्यवनप्राश की बड़ी महत्ता बताई गई है।

यह एक ऐसा आयुर्वेदिक योग है, जो बच्चे से लेकर बूढ़े सबको सर्दी-खांसी, जुकाम, साइनस,

वर्तमान कोरोना या ओमीक्रोन जैसे संक्रमण से बचाकर निरोगी बनाता है।

ठंड के दिनों में इसके उपयोग से सम्पूर्ण शरीर, तन-मन का कायाकल्प हो जाता है।

गजब की इम्युनिटी बढ़ाने के कारण च्यवनप्राश का आयुर्वेद में बहुत सम्मान है।

बुढापे से पुनः जवानी पाने के लिए हजारों साल पहले हुई थी खोज।

इसे स्पेशल बनाने के लिए 72 से 80 जड़ी बूटियों व द्रव्य- घटकों की आवश्यकता पड़ती है।

च्यवनप्राश पूरे परिवार और सभी आयु वर्ग के लिए अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक एवं शरीर की रक्षक ओषधि है!

जो हमें मौसम बदलने के कारण होने वाले रोगों से लड़ने में सहायक है।

शरीर की ऐसी कोई बीमारी नहीं है, जो च्यवनप्राश खाने से दूर न हो।

यह बुढ़ापा आने से रोकता है इसीलिए इसे आयुर्वेद की बेहतरीन उम्र रोधी औषधि बताया है।

कोरोना, ओमीक्रोन जैसे खतरनाक संक्रमण से बचाकर, रोगप्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ाता है च्यवनप्राश अवलेह।

अंग्रेजी में अवलेह को ही माल्ट कहा जाता है।

अच्छी सेहत और तंदरुस्ती के लिए अमृतम च्यवनप्राश 50 प्रकार से कारगर है।

च्यवनप्राश को अगर घर पर बनाकर सेवन करें, विशेष लाभकारी होता है

क्योंकि बाजार में बिकने वाले च्यवनप्राश बहुत सस्ते होने के कारण उतने द्रव्य-घटक नहीं मिलाए जाते।

एक बात और ध्यान देने योग्य है कि च्यवनप्राश कभी प्लास्टिक जार वाला न खरीदें।

कांच के जार की पैकिंग ही च्यवनप्राश के गुणों को सालों-साल गुणकारी बनाये रखती है।

घर का बना हुआ च्यवनप्राश बहुत ही लाजबाब होता है, लेकिन स्वादिष्ट नहीं होता।

क्योंकि इसमें 50 से अधिक जड़ीबूटियों का काढ़ा मिश्रित होता है।

अमृतम च्यवनप्राश की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उम्ररोधी (एन्टी एजिंग) है।

इसमें मिलाये गए रसायन जरा अर्थात वृद्धयावस्था यानी बुढापे को रोककर अनेकों व्याधियों-बीमारियों के आक्रमण से शरीर की रक्षा कर स्वस्थ्य बनाते हैं।

वातवाहिनियों (Vata vessel) यानि “नर्वस सिस्टम” शरीर के समस्त मुख्य कार्यो,

जैसे रक्तसंचालन (ब्लड सर्कुलेशन), श्वसन (Respiratory) पाचन (Digestion) मूत्र की उत्पत्ति (Origin of urine)

उत्सर्जन/ (Emissions) निस्रावी ग्रंथियों में स्रावों (हॉरमोनों की उत्पत्ति) के निर्माण आदि का संचालन करता है।

चरक सहिंता के रचयिता महर्षि च्यवन ने इसका अविष्कार किया था और स्वयं ने खाकर अपनी जीर्ण-शीर्ण देह को

थिककर बुढापे का नाश किया और पुनः नवयौवन प्राप्त किया था।

च्यवनप्राश के गुण-लाभ ग्रन्थानुसार…

आयुर्वेदिक सहिंता के अनुसार….

भार्गवश्च्यवन कामी वृद्धः सन् विकृतिं गतः।

वीर्य वर्ण स्वरोयेत कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥

(भाव प्रकाश निघण्टु 1-3)

यह उम्ररोधी हर्बल ओषधि है। कामी और वृद्ध लोगों की झुर्रियां, वर्ण, रंग स्वर, वाणी यानि शरीर का एक-एक अंग रोगरहित

व क्रियाशील बनाकर फिर से जोश-ए-जवानी प्रदान करता है। यह अंदरूनी ताकत उत्पन्न करने में विलक्षण ओषधि है।

शास्त्रों में इसे चयवनप्रशावलेह तथा अमृतप्राशावलेह कहा गया है।

आयुर्वेद सार सहिंता, रसतन्त्र सार व सिद्धप्रयोग संग्रह, चरक आदि ग्रन्थों में च्यवनप्राश निर्माण की विधि का वर्णन है।

निम्नलिखित फार्मूले के अनुसार च्यवनप्राश घर पर भी बनाया जा सकता है..

एक किलो च्यवनप्राश में 500 मिलीग्राम स्वर्ण भस्म, सिद्ध मकरध्वज, स्वर्णराज वंगेश्वर रस मिलाने से यह स्पेशल च्यवनप्राश कहलाता है।

घर का बना हुआ एक किलो च्यवनप्राश की लागत लगभग 3000/- रुपये से अधिक आती है।

लेकिन इसके रिजल्ट्स देखकर आप हैरान हो जाएंगे। घरेलू च्यवनप्राश को कम से कम 3 से 6 माह तक गर्म दूध संग सुबह खाली पेट तथा रात में खाना खाने के बाद खाना चाहिए !

तभी ये अपना उम्र रोधी प्रभाव दिखाकर बुढ़ापा मिटा पाता है।

घरेलू च्यवनप्राश के फायदे….

च्यवनप्राश का मुख्य घटक आंवला है, जो कि कच्चा हो। निघण्टु में लिखा है कि सूखा या कठोर आंवला हितकारी नहीं होता।

देखें क्या लिखा है आंवले के बारे में

स्पेशल चयवनप्राश का फार्मूला और निर्माण विधि की जानकारी सार संग्रह में विस्तार से बताई है

नपुंसकता, शीघ्रपतन, कमजोरी और बुढ़ापे का समस्त निदान है च्यवनप्राश.. बस एक कल्प सेवन करें। जाने कल्प क्या होता है

http://amrutampatrika.com

अमृतम च्यवनप्राश उन लोगों एवं परिवार को ज्यादा पसन्द आएगा जो असली ओरिजनल की तलाश में हैं।

5000 साल पुराने आयुर्वेदिक फार्मूले के मुताबिक शुद्ध घरेलू तरीके से निर्मित है।

2500 वर्ष पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ आयुर्वेद सार संग्रह, सिद्धप्रयोग संग्रह तथा चरक सहिंता…

के अनुसार प्राचीन पद्धति और 72 से अधिक जड़ीबूटियों, रस-रसायनों से बना अमृतम च्यवनप्राश अमृतम वाटिका में उगाए केवल कच्चे आंवले द्वारा ही निर्मित किया जाता है।

इसकी निर्माण प्रक्रिया बहुत जटिल होने से महंगा भी है। च्यवनप्राश बनने में 30 से 40 दिन का समय लगता है।

यह उम्ररोधी एंटीएजिंग एवं इम्युनिटी बूस्टर औषधि है।

https://bit.ly/3FHZZsz

ऑनलाइन उपलब्ध है।

पैकिंग – 400 ग्राम काँच के जार में ₹-1899/-

च्यवनप्राश शरीर का ह्रास होने से रोकता है…

अमृतम च्यवनप्राश सदैव कच्चे आंवले का ही तैयार किया जाता है,

जो शुक्रप्रवर्तक यानि शुक्र (वीर्य) को उत्पन्न और प्रवर्तन करने में उपयोगी है।

अमृतम च्यवनप्राश हमेशा लेते रहें, तो एक शानदार स्तम्भन रसायन व बाजीकरण, शुक्रल यानि नवीन वीर्य निर्माता,

शुक्रप्रवर्तक और यौवन प्रदान करने वाला रसायन है।

लिंक क्लिक कर जाने च्यवनप्राश की खूबियां

Amrutam Chawanprash | Best Organic Chawanprash in India

दीपन (भूख बढ़ाने वाला, ) पाचन तन्त्र को मजबूत अनुलोमन, भेदन (पेट साफ करे) विरेचन, शोधक ( खून साफ करने वाला) छेदन,

ग्राही, सूक्ष्मद्रव्य, विकाशी, कफ नाशक, त्रिदोष नाशक, विषनाशक, वातविकार नाशक, ग्रंथिशोथ यानि थायराइड नाशक, योगवाही,

स्निग्ध अर्थात देह को मुलायम बनाने वाली प्रमाथी ओषधि है।

अमृतम च्यवनप्राश फेफड़ों के सभी नये व पुराने विकार और मल को साफ कर, इम्युनिटी पॉवर में बेशुमार वृद्धि करता है।

च्यवनप्राश का सेवन सर्दी के मौसम में विशेष हितकारी है, जिन लोगों को साल भर कोई न कोई विकार सताता हो या रोगों से पीड़ित रहते हों,

उन्हें प्रतिदिन 1 से 2 चम्मच, 2 या 3 बार दूध या पानी से अथवा ब्रेड, रोटी, पराँठे पर लगाकर सदैव सेवन अवश्य करना चाहिए।

च्यवनप्राश में मील घटक जड़ीबूटी एंटीएजिंग (उम्ररोधी) तत्व जवान बने रहने में मदद करते है।

आयुर्वेद ग्रंथो में इसे बेहद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट माना जाता है। क्योंकि यह आंवले द्वारा तैयार होता है।

अमृतम च्यवनप्राश के सेवन से होते हैं 41 जबरदस्त फायदे। जानकर हो जाएंगे हैरान…

  1. बुढापा रोकने में मददगार है।
  2. नाड़ी-कोशिकाओं की आयु नहीं बढ़ने देता।
  3. पाचन शक्ति बढ़ाता है!
  4. हीमोग्लोबिन बढ़ाता है।
  5. शरीर के इम्यून सिस्टम में सुधारकर, सर्दी-खांसी, जुकाम, निमोनिया मिटाता है।
  6. जीवनीय शक्ति की क्षमता को बढ़ाता है।
  7. बच्चों को होने वाले सर्दी-खाँसी, जुकाम एवं फेफड़ों के संक्रमण से रक्षा करता है।
  8. मेटाबॉलिज्म ठीक करता है।
  9. स्मृति, एकाग्रता, बल-बुद्धि और सतर्कता में वृद्धि करता है।
  10. दिमागी कोशिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन नियमित कर अवसाद मिटाता है।
  11. महिलाओ के मासिक धर्म को नियमित कर प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को कम करता है।
  12. अधेड़ उम्र के स्त्री-पुरुषों एवं बड़ी उम्र वालों के लिए अत्यन्त लाभप्रद है। इसके सेवन से व्यक्ति युवा बना रह सकता है।
  13. पीसीओडी यानी सोमरोग से निजात दिलाकर योवनता प्रदान करता है।
  14. ये क्षय (ट्यूबरक्लोसिस TB), उरः क्षत, शोथ (शरीर के किसी भी भाग्य में सूजन), हृदयरोग, स्वरभंग, दुर्बलताओं के कारण होने वाले रोगों को मिटाता है।
  15. अंदरूनी ठंडक, सर्दी, दमा, श्वांस, प्यास, कफ दोष नाशक होता है।
  16. यह शारीरिक यंत्रों के सभी यंत्रों की क्रिया में सुधार तथा दोषों को जलाकर कम हुई शक्ति या जवानी में फिर से वृद्धि कराता है।
  17. पुराने से पुराने मलसंग्रह के कारण पैदा होने वाले उदर रोगों को दूर करता है।
  18. रोग प्रतिरोधक क्षमताओं में वृद्धि करने वाला संसार में इससे अच्छी कोई प्राकृतिक ओषधि कोई दूसरी नहीं है।
  19. पाचनतंत्र (मेटाबॉलिज्म) को सुधारता है।
  20. वातरक्त या गाउट (Gout) होने से मरीज को बहुत तेज प्रदाह (inflammation) संधिशोथ (acute inflammatory arthritis) का बार-बार दर्द उठता है। इन तकलीफों में अमृतम च्यवनप्राश
    अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
  21. नेत्ररोग, मूत्रदोष, वीर्य के दोष, कमी या पतलापन तथा वात,पित्त और कफ यानि त्रिदोष के कारण उत्पन्न अनेक दोषों का नाश करता है।
  22. अमृतम च्यवनप्राश सगर्भा यानि गर्भवती स्त्री, बालक, वृद्ध, अधेड़, क्षतक्षिण सबके लिए लाभदायक है।
  23. मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली बाजीकर, दीपन-पाचन, पित्त प्रकोप का शामक, सारक, मूत्रदोष नाशक, मूत्रजनक, रुचिकर और-चर्मरोगों को दूर करने वाला हानिरहित निरापद औषधि है।
  24. बेहतरीन शांतिप्रद, कांति व ओजवर्धक,
  25. खून साफ करता है।
  26. शरीर की सभी बीमारी, कमजोरी, शिथिलता और आलस्य मिटाता है।
  27. सुन्दर, खूबसूरत त्वचा पाने के लिए इसका हमेशा उपयोग करना चाहिए।
  28. यह श्वसन मार्ग को साफ करता है।
  29. यह पाचनतन्त्र में सुधार और कब्ज को कम करता है।
  30. च्यवनप्राश ऊर्जा-शक्ति को बढ़ाने वाला एक बेहतरीन स्त्रोत है।
  31. विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर यह रक्त को शुद्ध करता है।
  32. यह रक्तचाप को सामान्य करता है।
  33. वायु प्रदूषण और संक्रमण से होने वाले रोग, एलर्जी से शरीर की रक्षा करता है।
  34. फेफड़ों के संक्रमण, भारीपन व विकारों को दूर करता है।
  35. गले, छाती में जमे कफ को साफ करता है।
  36. ये च्‍यवनप्राश बच्‍चों के लिए इम्‍युनिटी बढ़ाने का काम करेगा। इससे बच्‍चे बैक्‍टीरियल और फंगल संक्रमण से बचे रहेंगें। इसके सेवन से पाचन दुरुस्‍त रहेगा।
  37. च्यवनप्राश को निरंतर खाने से ग्रन्थिशोथ, थायराइड,कोलेस्ट्रॉल आदि की समस्या दूर होती है।
  38. ह्रदय या हार्ट् की नाडियों में रक्त के संचार को नियमित कर, हृदयाघात से बचाता है।
  39. मस्तिष्क कोशिकाओं, नाडियों एवं अवयवों को क्रियाशील करता है।
  40. रक्त चाप को नियंत्रित तथा रक्तवाहिनियों को सुचारू करता है।
  41. उच्च रक्तचाप बीपी है के समय जब धमनियां फूलने लगती है और रक्त वाहिनियों में रक्त का जमना बढ जाता है। इससे अनेक रोग पैदा होते हैं। इन सब समस्याओं को दूर करने में अमृतम च्यवनप्राश उपयोगी है।

च्यवनप्राश का अर्थ या मतलब क्या होता है?..

सबसे पहले अति वृद्ध व बुजुर्ग हो चुके ऋषि च्यवन

ने इसका निर्माण कर, सेवन किया तो पुनः

युवा हो गए थे।

प्राश का अर्थ है -आहार, भोजन

अवलेह आयुर्वेदिक चटनी

अंग्रेजी में अवलेह को माल्ट कहा जाता है।

इस प्रकार च्यवन ऋषि द्वारा बनाया गया आहार (प्राश) च्यवनप्राश के नाम से जगत में प्रसिद्ध हुआ।

श्वसन (Respiration) क्या होता है –

आयुर्वेद शरीर क्रिया विज्ञान के मुताबिक

सांस को अंदर लेना और बाहर छोड़ने की पूरी प्रक्रिया को श्वसन तंत्र द्वारा किया जाता है..

श्वसन की परिभाषा :-वायुमंडल में ऑक्सीजन शरीर की कोशिकाओं मे पहुंच कर भोजन का ऑक्सीकरण या जारण करती हैं

तथा CO2 गैस निकलती है..ऐसी सभी भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं श्वसन कहते हैं.

पाचन (Digestion) क्या होता है – आयुर्वेद के अनुसार एक प्रकार की अपचय क्रिया है:

जिसमें आहार के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में बदल दिया जाता है।

उत्सर्जन/ (Emissions) का अर्थ

उपापचयी (मेटाबोलिक) क्रियायों के फलस्वरूप बने उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

कांच के पात्र वाला ही खरीदे च्यवनप्राश…

  • च्यवनप्राश को हमेशा कांच के पात्र या जार में ही पैक करना चाहिए।
  • इसका मूल घटक-द्रव कच्चा आंवला होता है,
  • जिसे प्लास्टिक की पैकिंग में रखना उचित नहीं है।
  • आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार च्यवनप्राश जैसे रसायन या पदार्थों का प्लास्टिक जार में रखने से, उसमें टोक्सिन दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकता है।
  • प्लास्टिक शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक तत्व है।
  • इसलिए हमेशा काँच (Glass) पेकिंग में ही आयुर्वेदिक औषधियाँ लेना ज्यादा हितकर है।

परेशानियों को पराजित करे-अमृतम च्यवनप्राश….

अजीब सी भयंकर थकान, आलस्य, चिड़चिड़ापन, अप्रसन्न मन, काम में मन न लगना,

सेक्सुअल कमजोरी आदि की शिकायतें कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में, संक्रामक रोगों से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है।

अमृतम च्यवनप्राश पूरा परिवार दिन में एक से 2 बार नियमित लेने से आपको किसी चिकित्सक की जरूरत नहीं पड़ेगी।

http://amrutam.co.in

यह शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति कर फुर्ती-स्फूर्ति का संचार करने वाली सर्वश्रेष्ठ रोग प्रतिकारक औषधि है।

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