शतावरी महिलाओं के लिए अत्यन्त लाभकारी होती है। इसके सेवन से सुंदरता में वृद्धि होती है। स्तन का आकार सुढोल होता है। माहवारी कम दर्द के समय पर आता है। सोमरोग या पीसीओडी की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
अश्वगन्धा पुरुषों के लिए अधिक उपयोगी ओषधि है। अगर आपको गजब की खूबसूरती बढ़ाना है, तो शतावर चूर्ण का तीन महीने सेवन करें।
महिलाओं या लड़कियों के लिए अमृतम शतावरी चूर्ण के लाभ—
- शतावर में घुलनशील और अघुलनशील फाइबर होने से यह वजन बढ़ाने में कारगर होता है।
- पाचन तंत्र मजबूत कर दुबलापन मिटाना।
- आंतों को साफ रखने में सहायक।
- सुंदरता और स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
- नियमित स्वस्थ प्रजनन प्रणाली को बढ़ावा देकर मासिक धर्म खुलकर लाना।
- रजोनिवृति/मोनोपॉज आने से रोकना।
- योनि की गन्दगी बाहर कर स्वास्थ्य में सुधार करना।
- स्वस्थ ऊर्जा के स्तर को बनाना और प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन
- शतावर में प्राकृतिक एन्टी ऑक्सीडेंट गुण होने से यह ह्रदय की रक्षक है।
- शतावर चूर्ण नियमित लेने से स्किन चमकदार बनती है।
- शतावर झुर्रियों को नहीं पनपने देती।
- शतावरी चूर्ण के इस्तेमाल से बुढापा जल्दी नहीं आता।
Shatavari Churna – 100% Ayurvedic Fertility Enhancer
शतावरी चूर्ण का सेवन कब और कैसे करें….
सुबह खाली पेट 2 से ग्राम चूर्ण में एक ग्राम मिश्री मिलाकर गुनगुने दूध के साथ दिन में बार लेवें।
शतावर के साथ भूलकर भी हल्दी मिलाकर न लेवें अन्यथा पित्त की वृद्धि हो सकती है।
शतावर को आंवले मुरब्बे, गुलकन्द के साथ लेना भी हितकारी रहता है।
आयुर्वेद की 5000 वर्ष पुरानी पध्दति से निर्मित नारिसौन्दर्य माल्ट में भी शतावर, मुरब्बा, गुलकन्द आदि का समावेश है। यह वजन को सन्तुलित करने में बहुत ही उपयोगी है।
यदि वजन कम करना है, तो नारिसौन्दर्य माल्ट को गर्म पानी के साथ सेवन करें और वजन बढ़ाना है, तो इसे गुनगुने दूध से लेवें।
भावप्रकाश के अनुसार शतावर शकरकन्दी की तरह एक कंद होता है। इसे सुखाकर पाउडर बनाते हैं। शतावर कैसा होता है। जमीन से निकलते कैसे हैं। जानने के लिए लिंक क्लिक कर वीडियो देखें।
अगर आपको शुद्ध शतावरी चूर्ण लेना चाहते हैं, तो एक बार अमृतम शतावरी चूर्ण उपयोग करके देखें।
अमृतम शतावरी चूर्ण कांच की शीशी में पैक किया गया है, क्यों कि च्यवनप्राश, चूर्ण आदि बहुत सी आयुर्वेदिक दवाएं केवल ग्लास बोतल में ही रखने का निर्देश ग्रन्थों में दिया गया है।
ध्यान रखें कि एक दिन कोई भी चूर्ण की मात्रा 5 से 8 तक ही लेना चाहिए। चूर्ण को पचने में बहुत समय लगता है। नहीं पचने पर उल्टे रोग देता है।
आयुर्वेद में अनुपान, मात्रा, समय पर बहुत बल दिया है। इनका ध्यान रखने पर ही यह कारगर है।
आजकल लोग मर्दाना ताकत के लिए अश्वगन्धा, शतावरी आदि अपनी इच्छानुसार ज्यादा मात्रा में ले रहे हैं। यह लाभ की जगह नुकसान दे सकते हैं।
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