- महर्षि चरक के अलावा आयुर्वेद में अनेकों आयुर्वेदाचार्य वैद्य गण हुए। इनका गयं-विज्ञान और योगदासन अतुलनीय रहा है। इसमें महर्षि अगस्त्य और दशानन रावण भिवस्मर्णीय है
- आयुर्वेद तथा शल्य-चिकित्सा शास्त्र के आचार्य गणों का सम्पूर्ण जीव- जगत् पर महान् उपकार है, उनके नाम-स्मरणसे भी विशेष फलकी प्राप्ति होती है-
- (१) ब्रह्मा, (२) दक्षप्रजापति, (३) भगवान् भास्कर, (४) अश्विनीकुमार, (५) देवराज इन्द्र, ३) महर्षि कश्यप, (७) महर्षि अत्रि, (८) महर्षि भृगु, १) महर्षि अंगिरा, (१०) महर्षि वसिष्ठ, (११) महर्षि अगस्त्य, (१२) महर्षि पुलस्त्य,
- (१३) आयुर्वेदाचार्य दशानन (रावण),
- (१४) ऋषि असित,
- (१५) ऋषि गौतम, (१६) ऋषि भरद्वाज,
- (१७) आचार्य धन्वन्तरि, (१८) आचार्य पुनर्वसुआत्रेय, (१९) आचार्य अग्निवेश,
- (२०) आचार्य भेल, (२१) आचार्य जतूकर्ण, (२२) आचार्य पराशर, (२३) आचार्य हारीत, (२४) आचार्य क्षारपाणि, (२५) आचार्य निमि, (२६) आचार्य भद्र शौनक,
- (२७) आचार्य कांकायन, (२८) आचार्य गार्ग्य,
- (२९) आचार्य गालव, (३०) आचार्य सात्यकि,
- (३१) आचार्य औपधेनव,
- (३२) आचार्य सौरभ्र,
- (३३) आचार्य पौष्कलावत,
- (३४) आचार्य करवीर्य,
- (३५) आचार्य गोपुररक्षित,
- (३६) आचार्य वैतरण, (३७) आचार्य भोज,
- (३८) आचार्य भालुकी, (३९) आचार्य दारुक,
- (४०) आचार्य कौमारभृत्य,
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- (४१) आचार्य जीवक,
- (४२) चिार्य काश्यप,
- (४३) आचार्य उशना,
- (४४) आचार्य बृहस्पति,
- (४५) आचार्य पतञ्जलि,
- (४६) ऋषि वामदेव
- (४७) आचार्य सिद्ध नागार्जुन आदि।
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आयुर्वेद के इन आचार्यों को amrutam परिवार कोटिशः प्रणाम करता है।
उपरोक्त आचार्यों, आयुर्वेदाचार्यों द्वारा लिखे ग्रन्थों के अनुसार ही amrutam दवाएं निर्मित की जाती हैं।
विशेषकर अमृतम च्यवनप्राश बहुत बेहतरीन है। ये 5000 साल प्राचीन पध्दति से निर्मित होने के कारण महंगा बहुत है। इसमें त्रिफला ।रब्बा, आंवला, हरिक्ति का मिश्रण है।
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