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- ढुल-मुल होता दिमाग…जब मस्तिष्क की सोचने और एक जगह ध्यान लगा पाने की क्षमता प्रभावित हो जाती है तो उसे ब्रेन फॉग कहते हैं।
- कैसे मिटायें दिमागी धुन्ध. .जाना था गंगा पार, प्रभु केवट की नाव चढ़ने से जीवन नहीं चलेगा, बल्कि तनाव ही बढ़ेगा।
- आजकल दिमाग चलता नहीं अपितु बदलता, मचलता ज्यादा है।
- दिमाग में आग भरी है। सब कुछ करने की बेशुमार ऊर्जा-उमंग और उत्साह है। लेकिन दिमाग जब ठंडा पड़ जाता है, जब मनमाफिक कार्य समय पर नहीं हो पाते और तब हमें क्रोध आने लगता है।
- क्रोध के समय हमें कुछ भी बोध नहीं रहता और दिमाग साग-सब्जी की तरह हो जाता है।
- दिमाग भाग्य के बारे में भी बहुत चिंतन करता है जबकि भाग्य, तो भागने, काम करने से ही बनता है।
- हमारा जीवन दाग रहित रहे यही कामना का राग हमसे दिन भर काम कराता है, फिर भी हाथ कुछ नहीं आता।
- सर्वाधिक समस्या नोकरी-पेशा वाली महिलाओं को है । क्योंकि वे बच्चों से लेकर घर-परिवार और पति हर तरफ से जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हैं। महिलाएं घर और बाहर दोनों तरफ़ की जिम्मेदारियां उठा रही हैं।
- काम बहुत हैं लेकिन समय सीमित है। परेशानी यह है कि जब वे एक साथ सारे काम करना चाहती हैं, तो काम बनने के बजाय बिगड़ जाते हैं। इसका असर मन-मस्तिष्क पर होने लगता है।
- जानिए कि खुद में बदलाव लाकर मन-मस्तिष्क और दिमागी उलझन की इस धुंध को कैसे दूर करें…
- कभी-कभी ऐसी स्थिति हो जाती है कि ध्यान न तो किसी क एक काम पर रहता है, न ही दिमाग चीजों को ठीक से याद रख पाता है।
- आयुर्वेद एवं चिकित्सकीय भाषा में ब्रेन फॉग कहते हैं। लेकिन यह इन्हीं लक्षणों तक सीमित नहीं है।
- दिमाग की इस समस्या का कारण है चिंता, तनाव, ज्यादा आलस्य, अधिक नींद या नींद पूरी न होना या किसी बारे में ज्यादा मंथन-चिंतन करना। हर बात को अधिक देर तकवसोचना।
- कई मामलों में बहुत सारे काम एक साथ करने (मल्टीटास्किंग) के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- ख़ासतौर पर महिलाएं घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारियां निभाने के चक्कर में एक साथ कई काम पूरे करने की कोशिश में लग जाती हैं।
- इसी ऊहापोह से तनाव बढ़ता है और मस्तिष्क प्रभावित होने लगता है।
- लिहाजा एक काम पूरा होता नहीं है कि दूसरा बिगड़ जाता है तथाचिड़चिड़ाहट होने लगती है। यदि आप भी कामकाज के दौरान महसूस करती हैं, तो आपको कुछ देर ठहरकर दिमाग को आराम देने की जरूरत है।
- मस्तिष्क वैज्ञानिकों का शोध कहता है कि तनावग्रस्त लोग दूसरों की तुलना में साधारण गतिविधियों को पूरा करने में न सिर्फ समय अधिक लेते हैं बल्कि उन्हें मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ती है।
- ब्रेन फॉग के सभी कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपकी मानसिक ऊर्जा को खपाते रहते हैं।
- फलतः आपके पास अन्य दैनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं बचती और आप अकारण ही थके हुए और उलझन की स्थिति में रहते हैं।
- कारण सिर्फ़ चिंता या तनाव नहीं है…चिंता या तनाव के अलावा ब्रेन फॉग होने के कई कारण हो सकते हैं। ये दैनिक क्रियाओं से जुड़े हुए हैं
- मोबाइल, टीवी कम्प्यूटर स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग कर सकता है दिमाग को तबाह…एक अध्ययन के मुताबिक़ स्क्रीन से निकलने वाली किरणें भूलने की आदत, असमय थकान, नींद न आना और भावनात्मक आचरण में बदलाव के लिए भी जिम्मेदार हैं।
- चिंताग्रस्त अपर्याप्त नींद भी एक वजह…स्वस्थ मस्तिष्क के लिए 5 से 6 घंटों की नींद जरूरी है। लेकिन घंटों विश्राम करने के बाद भी तरोताजा महसूस न करना या निरंतर विचारों के चलते रहने के कारण नींद पूरी न होना दिमाग को पर्याप्त आराम नहीं दे पाता है, जिसके कारण ब्रेन फॉग की समस्या होने लगती है।
- सोच को बदलो, सितारे बदल जाएंगे….ये निम्नलिखित प्रयास आपको रास आ जाएं, तो सब समस्या का अन्त…तुरन्त होने लगेगा।
- एक-एक करके काम निपटाएं…अगर घर-परिवार और कामकाज की जिम्मेदारियां ज्यादा हैं, तो एक साथ सारे काम करने की आवश्यकता नहीं है।
- काम को एक एक करके आराम से पूरा करें। सबसे जरूरी काम पहले कर लें। एक साथ दो काम न करें, जैसे कि आमतौर पर महिलाएं एक तरफ़ दूध उबालने के लिए आंच पर रख देती है और दूसरी तरफ़ मुड़कर सब्जी काटने में व्यस्त हो जाती हैं।
- ध्यान भटकने के कारण काम पूरा नहीं होता, उल्टा बिगड़ जाता है। बेहतर होगा कि एक काम पर ध्यान लगाया जाए, जिससे काम समय पर पूरा होगा और उलझन भी नहीं होगी।
- काम करते हुए उसे अच्छे भहाव और प्यार देखें, तो उसमें भी एक सकारात्मक उर्जा का विस्तार होगा।
- मिसाल के लिए, जब आप सब्जी बनाती हैं, तो मसाले एक-एक करके नाप तोलकर डालती हैं। यदि इन्हें जल्दबाजी में या गुस्से में डालेंगी तो स्वाद बिगड़ेगा ये तय है।
- इसी तरह सीढ़ी चढ़ने की भी प्रक्रिया होती है, जिसे छलांग लगाकर नहीं बल्कि एक-एक क़दम ध्यान से रखकर ही चढ़ सकती हैं।
- काम को जितना ध्यान लगाकर या माइंडफुलनेस के साथ करेंगी, काम उतनी ही आसानी से और जल्दी पूरा होगा।
- काम से विराम लेकर स्वयं को आराम दें….कई महिलाएं सुबह की चाय भी काम करते-करते पीती हैं। ₹रुके बिना कोई भी कार्य करना दिमाग को थका सकता है।
- लिहाजा हर काम के बीच-बीच में दिमाग़ और शरीर को विराम दें। अगर सुबह के वक़्त खाना बना रही हैं, तो रोटी बनाने के बाद कुछ मिनट बैठकर चाय पी लीजिए। उसके बाद दूसरे काम की शुरुआत करें।
- कुछ नवीन व दिलचस्प करने की आदत बनाएं…हर दिन कुछ समय सिर्फ़ ख़ुद के लिए निकालें। इसमें संगीत सुनें, कुछ रचनात्मक सीखें।
- अख़बार या किताब पढ़ने जैसी गतिविधियां, जिनमें आपकी दिलचस्पी हो, भी कर सकती हैं। इससे मन अच्छा होगा। नई प्रेरणा के संचार के साथ तनाव भी घटेगा।
- नींद कम हो, लेकिन गहरी हो….दुनिया के सभी राष्ट्राध्यक्ष, बड़े लोग मात्र 4 घण्टे गहरी नींद लेकर तरोताजा रहते हैं।
- अगर रात में ठीक से नींद नहीं लेंगी, तो दिनभर दिमागी रूप से थकावट रहेंगी।
- सोने का समय तय करें और 5 से 6 घंटे की नींद अवश्य लें। अगर किसी कारणवश रात को नींद पूरी नहीं हो पाती है, तभी दुपहर में आराम करें।
- दिन में ज्यादा सोने से डिप्रेशन आता है। केवलदोपहर के वक़्त 15-20 मिनट की झपकी ले लें। ध्यान रहे, दोपहर में पूरी नींद न लें, अन्यथा रात की नींद गड़बड़ाएगी।
- मन को साफ-सुथरा रखें….किसी चिंताजनक विचार को मन में दबाकर रखने या बारबार सोचकर तनाव लेने से बेहतर है कि आप शम्भूतेजसे नमःशिवाय का जाप शुरू कर दें।
- अपने कष्ट या विचार को परिजनों या विश्वसनीय व्यक्ति से साझा करें। इससे तनाव कम होगा और मन हल्का रहेगा। लोगों के साथ मिलने-जुलने से भी दिमाग की उलझन दूर होगी।
- अभ्यङ्ग, व्यायाम या अवश्य सैर करें…सुबह के वक़्त व्यायाम करें। यदि व्यायाम न कर सकें तो सुबह या शाम के समय खुली हवा में सैर करें। इससे मन और मस्तिष्क को आराम मिलेगा। शारीरिक कसरत भी हो जाएगी। थोड़ा समय ध्यान लगाने के लिए भी निकाल सकती हैं।
- रात को सोते समय 1 से 2 चम्मच ब्रेनकी गोल्ड माल्ट का नियमित सेवन करें।
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