बात बिल्कुल सोलह आने सही है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक औरत का हाथ होता है क्योंकि समझदार महिलाएं असफल आदमी के पीछे नहीं भागती।
मेरे पति इस बात को मानकर मुझे हमेशा दुआएं, धन्यवाद भी देते हैं। मेरी हर कामना पुरी करने के लिए किसी भी परिस्थिति का सामना करने को तैयार रहते हैं।
हमारी शादी के समय 1991 में वे मात्र 300 रुपये महीने की एक प्राइवेट कंपनी में नोकरी करते थे और आज उनके अथक प्रयास, कड़ी मेहनत, पक्का इरादा की वजह से ग्वालियर शहर के प्रतिष्ठित उद्योगपति हैं।
बच्चों को भी उच्च स्तर की शिक्षा देकर उन्हें भी मार्गदर्शन देकर स्थापित कर रहे हैं।
लेकिन नई पीढ़ी इस बात समझ नहीं पा रही और पढ़ाई लिखाई छोड़कर कम उम्र में ही लड़कियों के चक्कर में पड़ गए हैं।
लड़कियां भाग्य को भगा रहीं है-घर से भागकर…..पुराने समय में लड़कियों के भागने का चलन नहीं था, जो भी कुछ था सब भाग्य और भागवान का भरोसा था। आज जेसा किसी में प्रेम का राग नहीं अपितु परिवार के लिए त्याग का भाव था जो घर के सभी अभाव दूर रखता था।
सुबह सभी लोग जल्दी उठते, समय पर स्नान-ध्यान और कुछ ज्ञान की बात कर घर से निकल जाते थे। पुरुषों के लिए काल ( वक्त) ओर महाकाल ही सब कुछ थे।
हमारे स्वसुर कहते थे- भागते हुए समय को वश में रखें, चाहें दीवार पर टांगे या हाथ पर बांधे। घड़ी केवल समय बताएगी…..! बचाना तो आपको है।
बिना पत्नी प्रधानमंत्री के साइड इफ़ेक्ट…
इस समय हालात ये हैं कि हमारा प्रधानमंत्री भी पत्नी रहित है, इन्हें जो मन की बात बीबी से करना चाहिए थी, जनता से करते हैं, जबकि “काम की बातें” जनता से करना चाहिए और “मन की बात” घरवाली से……
इस लेख में अपने अनुभव साझा किए हैं। किसी पर कटाक्ष नहीं किया। नई उम्र के बच्चों से इतना ही निवेदन है-जमाना बदल रहा है। बस हम न बदलें अन्यथा मानसिक सन्ताप से बुद्धि नष्ट-भृष्ट हो जाएगी।
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