हरेक प्रश्न का उत्तर बिना पूछे जानकर हैरान हो जाएंगे वहां….
जब मैं गुरुदेव मिश्र जी से मिला, तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
अमृतम पत्रिका यात्रा संस्मरण से साभार
1997 से 2011 तक कारोबार के कारण
लगभग 50 बार से ज्यादा उड़ीसा जाना हुआ।
उड़ीसा के मंदिर और था पर उत्पन्न शिवलिंग
पुष्प दर्शनीय तो हैं ही, किंतु अनेक रहस्य भी
उड़ीसा राज्य में फैले पड़े हैं।
वैसे उड़ीसा केतु प्रभावित क्षेत्र है।
विश्व का सर्वश्रेष्ठ केतु रत्न लहसुनिया
उड़ीसा राज्य से ही निकलता है।
उड़ीसा के कोणार्क मंदिर से 45 km दूर
काकटपुर गांव में ताड़पत्र ताम्रपत्र पर लिखे
600 साल पुरानी पांडुलिपियां, जो भविष्य
को दर्शाती हैं।
स्वामी अनेश्वर मिश्र जी मन में सोचे हुए
सवाल बता देते हैं। उनकी कोई फीस नहीं है।
भविष्य बताने वाली उस पोथी में तांबे के
बने चिकने बौद्ध एवं वैष्णव कीर्तियों पृष्ठ हैं
और प्रारंभ में जो यंत्र हैं, उनमें कुछ के लिए
प्रसिद्ध है।
मां मंगला के परम साधक पंडित मिश्र को रात्रि
में मां ने सपना दिया कि निकट एक बावली में
प्रश्न ताम्र पोथी पानी के अंदर है, जहां वृषभ
भगवान नंदी की भी एक मूर्ति है।
ज्योतिष भाग्य बताने वाले ताम्र यंत्र केसे मिला…
मिश्र जी को मां ने निर्देश दिया कि वे उस पोथी
को लाकर उस पर कार्य करें।
पंडित मिश्र स्वप्नादेश अनुसार बावली में गये
और पानी में डुबकी लगा कर पोथी ढूंढ़ने लगे,
पर उन्हें कुछ मिला नहीं।
निराश होकर घर लौटे तो रात में उन्हें
पुनः स्वप्न आया कि पोथी पानी के अमुक
दिग में है और वे अपने प्रयास से विरत न हों।
तदनुसार पंडित मिश्र पुनः उस स्थान पर
जाकर पोथी की तलाश करने लगे और
उन्हें पोथी मिल गयी।
ज्योतिष की उस पोथी में तांबे के बने चिकने
पृष्ठ हैं और प्रारंभ में जो यंत्र हैं, उनमें कुछ
त्रिभुज व यंत्र बने हैं।
पंडित जी इस यंत्र ज्योतिष को बिलकुल भी
समझ नहीं सके और वे दिन रात मां से इसे
समझने के लिए प्रार्थना करने लगे।
ने उस पोथी पूजा करना प्रारंभ किया,
आत्म प्रेरणा से एक दिन उन्हें उस यंत्र के
एक मंत्र की सिद्धि हो गई।
आज सिद्धि प्राप्ति के बाद किसी भी व्यक्ति
को, बिना उसके प्रश्न तथा बिना किसी
जन्मकुंडली के, उसके प्रश्नों क उत्तर पोथी
में पढ़ सकते हैं।
प्रश्न व उत्तर आप पोथी के पृष्ठ पर ऐसे उभरते हैं-
जैसे किसी ने कील से प्रश्नकर्ता के सम्मुख शन्य
लिख दिया हो। वाक्य सूक्ष्म एवं संक्षिप्त होने के कारण इसे लेंस से पढ़ा जाता है।
फिर जो भी उत्तर आते हैं, जो कि शत-प्रतिशत
सन निकलते हैं। बशर्ते प्रश्न मन में स्पष्ट हों
प्रश्नकर्ता स्वयं पवित्र होकर आया हो।
धोती पहनना जरूरी है।
पंडित मिश्र जी पोथी देखने से पहले मां मंगला
का मंत्र उच्चारण करते हैं, जिसे उन्होंने स्वयं
सिद्ध किया है, तदुपरांत ज्योतिष के प्रकांड
विद्वान स्वर्गीय अच्युतानंद की आत्मा का
आह्वान करते हैं।
पंडित अच्युतानंद उड़ीसा के पंचसखा से
अन्यतम थे एवं उनका देहावसान करीब
तीन सौ वर्ष पहले हो चुका है। उन्होंने तालपत्र
पर बराहमिहिर पद्धति के हजारों ग्रंथ लिखे हैं।
उत्तर जानने का तरीका
प्रश्न के उत्तर जानने के लिए कोई पूजा-पाठ
आदि नहीं करनी पड़ती। सिर्फ प्रश्नकर्ता उनके
आश्रम में उनके सम्मुख बैठ जाता है।
उसे एक खड़ी दी जाती है, जिसे लेकर वह
अपने माथे पर दोनों भौंओं के बीच मस्तक
में रख, प्रश्न सोचता है और खड़ी को ताम्रपोथी
के किसी भी पृष्ठ पर रख देता है।
आश्चर्य की बात है कि तुरंत ताम्रपोथी के पृष्ठ पर अक्षर उभरने शुरू हो जाते हैं और पंडित मिश्र उन्हें पढ़कर प्रश्नकर्ता को सुनाते हैं या प्रश्नकर्ता
स्वयं पढ़ सकता है।
साधारणतः चोरी आदि के प्रश्न पूछने पर
मनाही है, कारण इससे शत्रुता होती है।
इन प्रश्नों में अतीत, वर्तमान व भविष्य की कोई भी बात पूछी जा सकती है और यदि व्याख्या करने में भूल न हो तो, उत्तर प्रायः सटीक होता है।
पंडित अच्युतानंद के नाम से ही प्रश्नों के उत्तर
मिलते हैं। इस प्रकार की भविष्यवाणियां
दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ लोग करते हैं,
जिसे वे प्रेत द्वारा लेखन मानते हैं।
तथापि, बिना जन्मकुंडली के आधार पर
किसी व्यक्ति को न जानते हुए भी, उसके
बारे में बताना आश्चर्यजनक लगता है,
जिसकी उपादेयता अनुभव से ही जानी
जा सकती है
वे कोई पैसा नहीं मांगते पर लोग अपनी श्रद्धा
अनुसार उनके पास कुछ चढ़ावा रख देते हैं।
इन प्रश्नों में अतीत, वर्तमान व भविष्य की कोई भी बात पूछी जा सकती है और यदि व्याख्या करने में भूल न हो तो, उत्तर प्राय: सटीक होता है।
निजी अनुभव…
मेरे भी कुछ प्रश्न थे, जो मिश्र जी ने सटीक
ज़बाब दिए। आज अपनी यात्रा डायरी पलट
रहा था, तो उनके बारे में जानकारी देना हमने
अपना कर्तव्य समझा।
ज्योतिष कीवड जानकारी के लिए
अमृतम पत्रिका गुगल पर पढ़ सकते हैं।
https://amrutampatrika.com/
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