नाग बांबी पर उत्पन्न एक शक्तिशाली, ताकतवर सब्जी, जो भारत में सर्वाधिक होती है!

  • करेला प्रजाति की इस सब्जी का नाम ककोड़ा है, जो शरीर के अनेक दोषों को दूर कर पाचनतंत्र को मजबूत बनाती है।
  • मॉनसून में ककोड़ा का सेवन करने से शरीर अधिक मजबूत और दृढ़ बन जाता है। बारिश के मौसम में ककोड़ा को अपने आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ज़रूर बनना चाहिए।
  • ककोडा सब्जी की बेल होती है और यह विषैले नागों की बांबी में पैदा होती है। ककोड़ा विषनाशक सब्जी है, जो शरीर के सभी टॉक्सिन या विषैले दुष्प्रभाव को दूर कर देती है।
    • ककोड़ा बेहतरीन ओषधि के साथ एक ताकतवर सब्जी भी है। देश दुनिया की सबसे सर्वश्रेष्ठ सब्जी के 17 चमत्कारी फायदे जानकर जरूर खायेंगे
  1. ककोड़े को पीसकर इसका लेप ज्वर एवं प्रलाप में शरीर पर किया जाता है। इसके फल का चूर्ण या फांट का नस्य के लिये उपयोग करते हैं।
  2. ककोड़ा—मलनाशक, पाक में चरपरा, अग्निदीपक और कोढ़, जी मचलाना अरुचि, खाँसी, श्वास तथा ज्वर नाशक है।
  3. स्‍वादिष्‍ट होने के साथ ही स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होते हैं। ककोरा की बाहरी सतह को छीलकर इनसे कई प्रकार के व्‍यंजन, सब्जी भाजी, पकोड़ी, कचोड़ी आदि बना सकते हैं, जो पंचतंत्र को मजबूत बनाते हैं।
  4. खूनी बवासीर के इलाज के लिए भुनी हुई जड़ या इसके चूर्ण का उपयोग किया जाता है। ककोरा की सब्जी खाने से पाइल्स और पीलिया जैसी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
  5. ककोडा का उपयोग मानसिक विकारों,सिर दर्द में इसके कंद को शहद के साथ प्रयोग किया जाता है।
  6. ककोरा की सब्जी खाने से बालों का झड़ना, कान दर्द, खांसी, पेट का इंफेक्शन नहीं होता है।
  7. छिपकली भाग जायेगी, घर में ककोड़ा की माला टांगने से और नाग बिच्छू भी दूर रहते हैं… इसकी जड़ का रस छिपकली के उत्सर्जन से होने वाली सूजन से राहत दिलाता है।
  8. ककोड़ा की जड़ का रस 10 ml मिलीलीटर की मात्रा में दिन में एक बार खाली पेट पीने से मधुमेह का इलाज होता है।
  9. बारिश में होने वाले दाद- खास, खुजली से भी ककोरा फायदा पहुंचाता है।
  10. रक्त चाप बीपी प्रवाह की समस्याओं को करे दूर ककोरा का पर्याप्‍त मात्रा में सेवन करने से रक्‍त प्रवाह में आने वाली समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है।
  11. रक्‍त प्रवाह में आने वाली समस्‍याएं दिल की बीमारी से जुड़ी होती हैं। दिल से संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए ककोरा खाना फायदेमंद होता है।
  12. मोटापा वजन घटाए वज़न कम करने में सहायक (Reduces Weight) जो लोग अपने बढ़ते वज़न से परेशान हैं और वज़न घटाना चाहते हैं, उन्हें तो ककोड़ा का सेवन अवश्य करना चाहिए। ककोडा में पानी की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो वज़न कम करने में बहुत उपयोगी होता है।
  13. नेत्र ज्योति बढ़ाए, आंखें रहें स्वस्थ आंखों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए भी ककोरा फायदेमंद होता है, क्‍योंकि इसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है। विटामिन ए आपकी आंखों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण घटक है। इसे आहार में शामिल करके अपनी द्रष्टि में सुधार कर सकते हैं।
  14. ककोड़ा फेफड़ों के संक्रमण, श्वास प्रणाली के रोग, मूत्र विकार, बुखार, सूजन आदि में बहुत उपयोगी बताया है।
  15. नाग विष नाशक ककोडा ककोड़ा जहरीले नाग के काटने पर इस्तेमाल किए जाने पर बहुत लाभकारी होता है। इसके प्रयोग से नाग के ज़हर को भी शरीर से निकाला जा सकता है।
  16. ककोड़ा की पत्तियों से बना लेप घाव भरने और दर्द से राहत दिलाने में बहुत लाभकारी होता है।
  17. ककोड़ा फल से बने जूस का सेवन करने से शरीर को ठंडक मिलती है और साथ ही इसमें मौजूद पौषक तत्व भी शरीर में अवशोषित होते हैं।

घर में छिपकली, कीटाणु होने पर ककोड़े को माला टांगे

  • अघोर संहिता और भावप्रकाश के अनुसार बरसात के दिनों में जब घर में अनेकों तरह के कीट, पतंग, कीटाणु था छिपकली का वास हो जाए, तो सभी कमरों के मुख्य द्वार पर 11 ककोड़ों की माला सफेद धागे या कलावे में पोह कर बांध देवें।

गृहदोष के कारण सिर में भारी मस्तिष्क होने पर

  • ककोड़े के रस को मुल्तानी मिट्टी, 2 बंद गंगाजल, मिलाकर लेप बनाएं और सुबह की धूप में मस्तिष्क सहित बालों पर लगाकर सूखने दें और धो लें।
  • त्वचा विकार या कीड़े काटने पर ककोड़े के दो भाग करके दूषित स्थान पर चुना लगाकर बांधे।

ककोड़ा के औषधीय गुण लाभ

  • ककोड़ा फलों में हाइपोग्लाइसेमिक, हेपाटोप्रोटेक्टिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक, एंटी-फीडेंट गतिविधियाँ, मूत्रवर्धक, रेचक, एंटीवेनोमस, एंटीहाइपरटेन्सिव, एंटीअस्थमाटिक, एंटीपीयरेटिक, एंटीलेप्रोसी, एंटीडायबिटिक और एंटीडिप्रेसेंट गुण होते हैं।
  • ककोड़ा में इन सभी पोषक तत्‍वों की मौजूदगी के कारण यह हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।

ककोडे की पत्तियों के फायदे

  • ककोड़ा में कृमिनाशक, कामोत्तेजक, रक्तस्राव रोधक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, रोगाणुरोधी, ज्वरनाशक, दमारोधी और दर्दनिवारक गुण होते हैं। जड़ के रस में उत्तेजक, कसैले, एंटीसेप्टिक, मधुमेह विरोधी, सूजन-रोधी और अल्सररोधी प्रभाव होते हैं।

ककोड़ा का दूसरा नाम

  • ककोड़ा या ककोरा को स्‍थानीय भाषा में कंटोला भी कहते हैं। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों में कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता होती है।
  • ककोड़ा/कंटोला में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, फाइबर, बहुत से खनिज पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एस्‍कॉर्बिक एसिड, कैरोटीन, थियामिन, रिबोफ्लेविन और नियासिन जैसे आवश्‍यक विटामिनों की कम मात्रा उपस्थित रहती है।
    • अथ कर्कोटी तस्या नामानि गुणांश्चाह प्राचीन ग्रंथों में ककोडा को खेखसा, कर्कोटी कहा गया है। ककोड़ा के लिए संस्कृत श्लोक में लिखा है कि
  • ककोड़ा – विपाक में कटुरस युक्त, अग्निदीपक, मलनाशक एवम् – कुष्ठ, हलास ( जी मचलाना ), अवनि, पास, खांसी तथा ज्वर का नाशक है।

ककोड़ा के विचित्र नाम और भी हैं

    • हिंदी में खेकसा, ककोड़ा, ककोरा। बंगाली में – जनकरेला | मराठी में इटाँकी, काटोलें। गुजराती में कंटोला, कोडा | तेलगू में – आगाकर। कन्नड़ भाषा में माडहा। ता०- एगारवद्धि | ले०-Momordica Roxb. (मोमोर्डिका डायोइका) | Fam, Cucurbitaceae (कुकुबिंटेसी)
  • भावप्रकाशनिघण्टुः ककोड़ा सभी प्रान्तों में नाग बांबी की मिट्टी के ऊपर ही उगता है। एक अन्य आयुर्वेद शास्त्र के मुताबिक

कर्कोटको पोतपुष्पा महाजालीति चोच्यते।

कर्कोटी मलहृत् कुष्ठहल्लासरुचिनाशिनी।

इवासकासज्वरान् हन्ति कटुपाका च दीपनी।

  • पर्याय-कर्कोटी, पीतपुष्पा, महाजाली, ये ककोड़े के संस्कृत नाम हैं । भाषाभेद से नामभेद – हिं० ककोड़ा, खेखसा । -ककोड़ा, खेखसा। बं० — काकरोला । म०कांटली । गु०—कड़ली घीसोड़ी। तै० — अगोरकुर

ककोडा की लता-

  • आरोहणशील, चिकनी एवं प्रायः दुर्गं होती है। काण्ड -कोनदार होते हैं। तन्तु बिना शाखा के होते हैं।

ककोड़ा के पत्ते –

  • हृदयाकार, उट्वाकार, अखण्ड या ३ खण्ड वाले, प्रायः लहरदार दन्तुर किनारेवाले एवं २-४३ इस व्यास के होते हैं।

ककोड़ा के पुष्प –

  • पीले होते हैं। इसमें नर एवं नारी पुष्पों की लताएँ अलग-अलग होती है। नर पुष्ण की में फल न लगने के कारण उसे बांझ खेखसा, या वन्ध्याककर्कोटकी कहा जाता है।
  • फल देने वाली, नारीपुष्प की लता होती है जिसे कर्कोटकी कहते हैं। नरपुष्प पतले एवं २ ते ६ इस लंबे दण्ड से युक्त तथा नारीपुष्प के दण्ड छोटे या उतने हो बड़े होते हैं।

ककोड़ा का फल-

  • एक से 2 इंच लंबा, दीर्घ वृत्ताभ एवं तीक्ष्णाग्र या अण्डाकार होता है तथा इस पर मुलायम कांटे सदृश उमार होते हैं। इसमें नीचे कन्दवत् बहुवर्षायु मूल होता है जो शलगम की तरह किन्तु लंबा, पीताम श्वेत, गोल कंकणाकृति चिन्हों से युक्त एवं स्वाद में कसैला होता है । इसकी स्त्री जाति की लता के कंद का उपयोग चिकित्सा में करते हैं।

बीपी को करे नियंत्रित (Controls Blood Pressure)

  • ककोड़ा का सेवन करने से हाई बीपी से ग्रस्त लोगों को बहुत फायदे होंगे। ककोडा में हाई फाइबर होने से यह बीपी की समस्या को दूर कर देता है। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और साथ ही हृदय संबंधित बाकी रोगों को भी खत्म कर देता है।

आयुर्वेदिक निघंटू अनुसार ककोड़ा गुण और प्रयोग –

इसका कंद कुछ रक्तसंग्राहक होता है। इसे रक्तार्श यानि खूनी बवासीर में देते हैं।

डायबिटीज मिटाता है ककोड़ा

  • काकोड़ा के फल को सुखाकर महीन कंदचूर्ण बनाएं और आधा चम्मच चूर्ण में 100 मिलीग्राम वंगभस्म के साथ मिलाकर आधा पानी मिला हुआ दूध के साथ तीन महीने नियमित रात को भोज से पहले लेने से मधुमेह में चमत्कारी आराम मिलता है। अधिक मात्रा से वमन होता है।

डीएआईबीटीज को जड़ से मिटाने के लिए 6 से 9 महीने तक आयुर्वेद की यह दवा सेवन करें। इसका फार्मूला बहुत ही अच्छा है। ( चित्र आदि जानकारी गुगल से साभार)

    • Diabkey Capsules –

Herbal remedy for diabetic patients

MRP ₹ 2,000 (Inclusive of all taxes)

Quantity: 50 Capsules

  • The Amrutam Diabkey capsule is an effective herbal medicine used to control diabetes. It helps in the effective management of both Type I and Type II Diabetes by controlling sugar levels.
  • It also helps to normalize energy levels in the body.

Key Ingredients

  • Vijaysar/ Beejasar: Because of its antioxidant and anti-inflammatory qualities, Vijaysar powder can be used to treat diabetes. It protects pancreatic cells from free radical damage and increases insulin output. As a result, blood sugar levels can be managed effectively.
  • Bael/ Bel: It controls the release of insulin from cells into the bloodstream, and its low glycemic index helps to keep blood sugar levels stable.
  • Gudmar: It is regarded as a miraculous cure for diabetic patients due to its efficacy in both type I and type II diabetes mellitus. It lowers blood sugar levels by increasing insulin levels in the body.
  • Overall, the Amrutam Diabkey is enriched with various natural remedies to help you combat diabetes. Shop the best herbal diabetes remedy online today!

How to use:

  • Take 1 capsule with plain water 30 minutes before meals. Twice a day or as directed by the physician.

Daibekey Cap डायबिटीज रखे कंट्रोल में

  • यह १०० फीसदी आयुर्वेदिक कैप्सूल डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके तीन महीने नियमित सेवन करने से मधुमेह रोगियों में रक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फाइटो-पोषक तत्‍व, पॉलीपेप्‍टाइड-पी (polypeptide-P) शरीर में मौजूद अतिरिक्‍त शर्करा के स्‍तर को कम करने में मदद करते हैं।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *