मधुमालिनी पौधे के बारे में अनेक भ्रमित करने वाली जानकारियों का अंबार है। यह लेख शास्त्रमत है।
अथ माधवी (वासन्ती)। तस्य नामानि गुणाँचाह
माधवी स्यात्तु बासन्ती पुण्ड्को मण्डकोऽपि च।
अतिमुक्तो विमुक्तश्च कामुको भ्रमरोत्सवः।।
माधवी मधुरा शीता लध्वी दोषत्रयापहा।। (भावप्रकाश)
- अर्थात माधवी के संस्कृत नाम – माधवी, वासन्ती, पुण्ड्रक, मण्डक, अरिमुक्त, विमुक्त, कामुक, अमरोत्सव ये सब हैं।
- मधुमालिनी के बारे में १६ जानकारी दिमाग हिला देगी। यह पोधा बेल के रूप में अधिकतर बड़े बंगलों पर देखा जा सकता है। Amrutam vatika में लगा है यह पोधा।
- त्वचा निखारने और त्वचारोगों में मधुमालिनी के फूलों का लेप लगाने से आराम मिलता है।
- मधु मालिनी को मधुमालती, माधवी भी कहते हैं। माधवी – मधुर रसयुक्त, शीतल, लघु तथा त्रिदोषनाशक है।
- प्राचीनकाल में महिलाएं कमर को पतली के लिए मधु मालिनी की जड़ को मट्ठे के साथ मिलाकर पीती थी।
- स्त्रियों की कमर में लचक और चलने में मटक पैदा करने के कारण इसका नाम मधुमालिनी पड़ा।
- मधुमालिनी की हिंदी में माधवी। बंगाली में – माधवी लता। मराठी में- मधु मालती, इलद बेल | गुजराती में – रगतपीती, माधवी लता। तामिल -अडिगम । तेलगू-माधवतोगे । अंग्रेजी में – Clustered Hiptage ( क्लस्टर्ड हिप्टेज ) | लेटिन भाषा में – Hiptage madablota Gaertn. (हिप्टेज मैडेब्लोटा ) | Fam. Malpighiaceae ( मॅल्पिघिएसी) कहते हैं। (भावप्रकाशनिघण्टु)
- मधुमालिनी दक्षिण, सिवालिक, कुमांऊ, पूर्वीबंगाल, आसाम, नेपाल तथा अंडमान में होती है एवं बागों में भी यह लगाई जाती है ।
- मधुमालिनी की लता-बहुत विस्तार में फैलने वाली होती है और निकटवर्ती वृक्ष पर चढ़ कर उसको ढक देती है। इसका स्तम्भ-मजबूत होता है और शाखाएं मोटी होती हैं
- मधुमालिनी के पत्ते- अण्डाकार, लट्वाकार-आयताकार या आयताकार – प्रासबत, लम्बाग्र, अभिमुख, चिकने चमकीले एबं ४–७” लंबे तथा २९५” चौड़े होते हैं।
- मधुमालिनी की छाल तथा पत्तों का उपयोग किया जाता है। आभ्यंतर दल झालरदार रहते हैं जिनमें से एक दल पीला रहता है। प्रत्येक स्त्री केशर में एक बड़ा और 2 छोटे पक्ष (Wing) होते हैं।
- मधुमालिनी की छाल और पत्तों का उपयोग किया जाता है।
- रासायनिक संगठन – मधुमालिनि में हिप्टेजिन ( Hiptagin ) नामक एक ग्लूकोसाइड पाया जाता है।
- मधुमालिनी के गुण और प्रयोग–इसके पत्ते कुष्ठव्न हैं। त्वचा के रोगों में पत्तों को पीसकर लगाया जाता है।
- पुरानी दाद, खाज, खुजली ( Scabies ) में यह अत्यन्त लाभदायक है इसकी छाल कडवी तथा सुगंधि है तथा इसका जीर्ण आमवात तथा श्वास में उपयोग किया जाता है ।
- कमर पतली करने के लिए जड़ को मट्ठे के साथ 3 महीने तक महिलाओं को पिलाना चाहिये। (चक्रदत्त)
- आयुर्वेदिक ग्रंथ निघंटू और द्रव्यगुण विज्ञान में इसका विस्तार से वर्णन है।
- मधुमालिनी पुष्प-आकर्षक, श्वेत तथा सुगंधि रहते हैं। 32 बड़ा और दो छोटे पक्ष (wing ) होते हैं।
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