दीपावली उत्सव पंचतत्व की प्रसन्नता के लिए 5 दिनों तक मनाया जाता है। यह धन तेरस से आरंभ होकर भाई दोज तक चलता है। Amrutam के इस आर्टिकल में धन वृद्धि के छोटे लघु उपाय दुःख, दर्द, दरिद्रता मिटाने की क्षमता रखते हैं। ये छोटे से टोटके अनेक खुटके मिटा देंगे।
- दीप ओर अवली यानी श्रंखला दोनों को मिलाकर दीपावली शब्द बना है। इस दिन दीपक जलाए जाते हैं।
- अमृतम मासिक पत्रिका में ये सम्पादकीय अंक: अक्टूबर 2010 के श्रीमहालक्ष्मी रहस्य विशेषांक में प्रकाशित हुई थी।
दीपावली पूजन के दौरान एक बात विशेष रूप से ध्यान रखें कि मन अच्छा रखें। मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण मन है।
- संभवत: कार्तिक मास में दीप जलाने से अग्नि तत्व की पूर्ति हो, इस कारण भी दीपावली अर्थात दीप-अवली (दीपों की श्रृंखला, कतार) की परम्परा आरंभ हुई।
- अतः सम्पूर्ण पाठको सहित विश्व जीव-जगत् से कर बद्ध प्रार्थना है कि इस मास में प्रत्येक शिवालय, गणालय, देवालय एंव माँ के मन्दिरों में जाकर दीप प्रज्जलित कर आत्मा में विराजे परम परमात्मा, सृष्टि के सभी रूप में ज्ञात-अज्ञात सन्त-महात्मा, महर्षि – श्रषियों, अवधूत-अघोरियों, पितरो तथा कुलदेवी-देवताओं की कृपा, आर्शीवाद, और प्रसन्नता प्राप्त करें।
- कार्तिक मास में सूर्य नीच राशि के होते हैं और इस मास में अग्नितत्व अत्यधिक क्षीण हो जाता है। इसीलिए कार्तिक मास में दीप प्रज्ज्वलित करने की परम्परा प्रारम्भ हुई।
- दीप जलाने से सूर्य को ऊर्जा प्राप्त होती है। सुख समृद्धि ऐश्वर्य, यश कीर्ति आदि के लिए सूर्य ग्रह को विशेष कारक माना गया है। सूर्य भगवान इस जीव-जगत् की आत्मा का सचांलन करते हैं।
- यदि भारतीय उपनिषद, हस्तलिखित पांडुलिपि और ग्रंथ शास्त्रों का गहन अध्ययन चिन्तन किया जावे, तो प्रतीत होता है कि कार्तिक मास में ही बड़े-बड़े चक्रवर्ती राजा-महाराजा शक्ति शाली राक्षस गण आदि जो सूर्य की कृपा से ऐश्वर्यशाली हुए, उनका पतन इसी मास में हुआ।
- कार्तिक मास में केवल उन्हीं धुरूधरों का सर्वनाश हुआ जिन्होंने अपने कुकर्म से परमात्मा को पीड़ित किया।
- कहते हैं आत्मा सो परमात्मा अर्थात इस जीव-जगत् की आत्मा में ही परमात्मा का वास है।
- मानव ह्रदय में स्थापित आत्मा जब कुंठित हो जाती है, तब ही परमात्मा अपनी सूक्ष्म शक्तियाँ वापस ले लेता है और दुष्ट शक्तिशालियों का नाश कर पृथ्वी को पाप से भारविहीन कर देता है।
- शुभ दीपावली के पवित्र पावन-पुण्य पर्व पर पंचपरमेश्वर को समर्पित अमृतम् मासिक पत्रिका एवं अमृतम् फार्मास्युटीकल्स परिवार अपने पाठकों, ग्राहकों, चिकित्सको, वैधों वितरकों, डीलरों तथा सभी दवा विक्रेताओं सहित भारत वासियों और भूमण्डल के सभी प्राणी और निवासियों को !!स्वास्थ्यं धनधान्यं प्राप्तये भगवान् शिवः प्रार्थयते!! अर्थात अच्छे स्वास्थ्य और धन-धान्य प्राप्ति के लिए भगवान शिव से करूणामयी प्रार्थना करता है।
- ॐ शन्तिः शान्तिः शान्तिः।।
- शंकर संकट हरना ब्रह्माण्ड के सभी दैत्य दानव या देवता, इंद्र आदि सभी शिव की शरण में जाकर ही फले फूले। आपको भी मनुष्य जन्म में एक मौका मिला है अपना पुरुषार्थ दिखाने का। अतः चूक मत जाना अन्यथा 84 लाख योनि में पुनः भटकना पड़ेगा।
- शिव में सब, सब में शिव है प्रकाश केवल दिये से नहीं, ज्ञान से मिलता है। दीप से भौतिक अंधकार और ज्ञान से आंतरिक अंधकार का नाश होता है।
- दीपावली की रात्रि में हमें केवल भगवान शिव के प्रति समर्पण करना है। फिर, सारे संघर्ष, समस्या मिटने लगती हैं
- भगवान शिव, अपने गुरु एवं माता पिता, मातृभूमि, समाज तथा परिवार के प्रति समर्पण और उनकी शरण में शरणागत होने से बड़ी सिद्धि न तन्त्र में है, न मन्त्र में है और न ही यन्त्र में है ।
- अतः दया का भाव विचारों की शुद्धता तथा मन के वन में ज्ञान की ज्योति से आत्मा का लय होते ही यह शवमय शरीर शिवालय हो जाता है।
- महालक्ष्मी प्रति के सरल उपाय अमृतम के अगले आर्टिकल में पढ़ें।
- दीपावली का ये 5 दिनों तक चलने वाला पर्व यदि वैदिक रीति से मनाया जाए, तो उस साल बहुत बरक्कत और धन की वृद्धि होती है।
- धनतेरस की पूजा क्या है? कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी इसे धनतेरस, धनवंतरी दिवस भी खाते हैं। इस दिन ही समुद्र से अमृत निकला था।
- सूर्यास्त के बाद सायंकाल को सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित/प्रकाशित कर दक्षिण दिशा के की ओर मुख कर रखने से साल भर रोग बीमारी नहीं होती।
- अगर घर में वास्तुदोष हो, राहु, केतु, शनि से पीड़ित हों या पितृदोष हो, तो 5 दीपक राहु की तेल Rahukey oil के जलाएं। ध्यान रहे ये दीपक पान के पत्ते पर रखकर ही जलाएं।
- दीपक जलाए वक्त ये मंत्र जरूर बोलें
मृत्युना दंड पाशाभ्यां कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीप दानात् सूर्यज से प्रीयतां मम।।
- धनतेरस का ये कालनास मंत्र बोलने से यमराज प्रसन्न होते हैं। सभी दीपक मुख्यद्वार पर अन्न के ढेर पर रखें। हो सके, तो एक दीपक चौराहे पर रखें। दीप का रात्रि पर्यंत जलते रहना शुभदायक होता है।
- नरक चतुर्दशी के दिन की पूजा का विधान जाने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानि छोटी दीपावली को चार बत्तियों के दीपक को प्रज्ज्वलित करके
दत्तो. दीपश्रचतुर्दश्यां नरक प्रीतये मया।
चतुर्वर्ति समा युक्तः सर्वपापाय नुतये।
मंत्र से पूजन कर दीपदान करें।
- छोटी दीपावली को मास शिवरात्रि, हनुमान जयंती, नाक चौदस आदि त्योहार भी होते हैं।
- स्कंध पुराण, शिव रहस्य तंत्र के अनुसार चतुर्दशी की रात्रि में किसी शिव मन्दिर में चार प्रहर में चार रूद्रभिषेक क्रमशः पहले प्रहर में जलधारा से दूसरे प्रहर में दूग्धधारा से (गाय को शुद्ध दुध अति फलदायी होता है) तीसरे प्रहर में दही से और चौथे प्रहर में शहद (मधु पंचामृत) से रूद्राभिषेक कराने से दरिद्रा घर में प्रवेश नहीं करती यह आजमाया हुआ प्रयोग है।
- बड़ी दीपावली पूजन विधान दीपावली लोकाचार में प्रज्ज्वलित दीपकों की पंक्ति लगा देने को दीपावली तथा भिन्न स्थानों पर मंडल बना देने को दीपमालिका कहते हैं।
- रुद्र रहस्य के मुताबिक दीपावली पर्व पर चंद्रमा राहु के स्वाति नक्षत्र में होते हैं। स्वाति राहु का नक्षत्र है। राहु ही भौतिकता प्रदान करने वाला ग्रह है और भयानक दुःख भी देता है।
- कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रदोष काल से रात्रि पर्यंत, श्री गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर, निकटजन देवेंद्रादि के साथ श्री महालक्ष्मी की स्थापना कर लक्ष्म्यै नमः, इंद्राय नमः, कुबेराय नमः मंत्रोच्चार कर पूजा की जाती है।
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरे:
प्रिया या गति स्तवत प्रयन्नानां
सा में भूयात्व दर्चनात।
- मंत्र का उच्चारण कर से महालक्ष्मी की,
एरावत महारूढ़ो वज्रहस्तो महावतेः।
शतयज्ञाधियों देव स्तस्या इंद्राय ते नमः।
से देवेन्द्र की और
धनदाय नमस्तुभ्यं निधि यज्ञाधिपाय च
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः।।
- मंत्र बोलकर कुबेर से प्रार्थना करें।
- अन्न्नकूट गोवर्धन पूजा का महत्व ये गोवर्धन पूजा का ही पर्व है। इस दिन घर के मुख्य द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाते हैं।
- कृष्णावतार के समय ब्रजवासी छप्पनभोग तथा छत्तीस व्यंजनों से इंद्र पूजन करते थे।
- भगवान कृष्ण ने बाल्यावस्था में इंद्रपूजा के स्थान पर गोवर्धन पूजा प्रारंभ करायी। स्वयं ही दूसरे स्वरूप से अर्पित भोग को ग्रहण किया, जिससे कुपित हो इंद्र ने प्रलय करनेवाली वर्षा करवा कर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली उठाकर ब्रजवासियों को उसके नीचे सुरक्षित कर लिया।
- यम द्वितीया यानि भाई दोज कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम का पूजन किया जाता है। इसी दिन मसिपात्रादि का पूजन होता है।
- भाई अपनी बहन के घर भोजन करते हैं। इसलिए यह पर्व भैय्यादूज के नाम से विख्यात है।
- यम द्वितीया को यमुना के किनारे पर बहन के हाथ का बनाया भोजन भाई ग्रहण करे, तो भाई की आयु तथा बहन के अहिवात (सौभाग्य) की वृद्धि होती है।
- दीपावली की महारात्री को यदि महालक्ष्मी की विधि विधान से रातभर पूजन किया जावे तो उस वर्ष सम्पत्ति-समृद्धि में विशेष वृद्धि होती है। सन्तान (बच्चों) का भाग्योदय निश्चित होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
- अमृतम् मासिक पत्रिका इस अंक के पश्चात पांचवे वर्ष में प्रवेश कर रही है। हम अपने सभी अपनों का हृदय से अभिवादन, अभिनन्दन करते हैं।
- इस बार दीपावली जिस मुहूर्त में आ रही है उससे मूल्यवान वस्तुओं जैसे सोना, चांदी, पड़ा, महंगे शेयर आदि के मूल्य में आकस्मिक वृद्धि होगी। उपभोक्ता वस्तुओं में स्थिरता होगी।
- विश्व पर ग्रह गोचर का प्रभाव इस मास से विश्व में अशांति तथा विघटनकारी शक्तियों का प्रभाव क्षीण होगा। अमेरिका में शांति प्रयासों का प्रभाव दृष्टिगोचर होगा।
- परस्पर सुलह से शांति प्रयास किये जाएंगे। भारत में सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापना होगी।
- केंद्रीय शासन में उच्च पदों पर मामूली परिवर्तन होंगे। विपक्ष के प्रभाव बढ़ने से केंद्रीय सरकार को आर्थिक दृष्टिकोण में लचीलापन लाना पड़ेगा।
- आंधी, तूफानादि की संभावना प्रबल होगी। पूर्वी क्षेत्रों में शांति बढ़ेगी। पश्चिमी क्षेत्रों में उदारवादियों का वर्चस्व होगा। देश के उत्तरी क्षेत्रों में नैसर्गिक कारणों से जनजीवन प्रभावित होगा।
- दीपावली के पावन पर्व पर हर क्षण, हर पल सदा शिव कृपा से परिपूर्ण हो। ऐसी ढेर सी शुभकामनाओं सहित!
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