- स्कंध पुराण के एक श्लोक के अनुसार जो लोग बिना मंत्र के पूजा करते हैं, वे भूत या प्रेत, पिशाच बनकर अनेक जन्मों तक भटकते रहते हैं और कालसर्प, पितृदोष से हमेशा पीड़ित रहते हैं।
- वराह पुराण और गरुड़ पुराण में बिना मंत्र के पूजा करने से महालक्ष्मी रूठ कर चली जाती है।
- कुछ लोग दीपावली जैसे पवन पर्व पर भी बस, चावल फेंककर ही पूजा का समापन कर देते हैं।
- दीपावली का त्योहार हो एक मात्र ऐसा उत्सव है, जो लगातार 5 दिनों तक चलता है।
- भविष्य पुराण में इसके बारे में 24 श्लोकों का उल्लेख मिलता है। ये पंच तत्वों से ऊर्जा एनर्जी पाने के लिए मनाया जाता है।
- इन 5 दिनों में की गई पूजा अगर बिना मंत्र उच्चारण के की जाती है, तो वह भूत पूजा कहलाती है।
- ये बात सही है कि बिना मंत्रों के की गई श्री महालक्ष्मी पूजा, भूतपूजा कहलाती है। मान्यता है कि मंत्रों में महालक्ष्मी का निवास है।
- अमृतम पत्रिका के श्रीमहालक्ष्मी दीपावली तंत्र के एक विशेष अंक में इसकी विस्तार से जानकारी प्रदत्त की गई थी।
- भूत पूजा और भूतों का बसेरा मंत्र पूजा प्रकाश ग्रंथ के अनुसार जिस पूजा-पाठ में कोई भी, किसी भी प्रकार का मंत्र नहीं बोला जाता, केवल जल पुष्पादि, धूपादि अर्पित किया जाता हो।
- बिना नैवेध मन्त्र के प्रसाद आदि देवताओं पर चढ़ाया जाता हो, ऐसी पूजा का नाम भूत पूजा है।
- बिना किसी मन्त्र इत्यादि के पूजा करने वालों के घरों में निश्चित रूप से दृश्य-अदृश्य रूप में भूतों का वास या प्रभाव रहता है।
- जिस पूजा में विनियोग, मन्त्र, नैवेद्य मन्त्र एवं देवताओं के मन्त्रों को बोलकर पूजा की जाती है उसका शुभ प्रभाव शीघ्र ही मिलता है।
- जब हम साधक दिवाली को श्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु दीपावली पूजन सम्पूर्ण विधि-विधान वेद मन्त्रों अनुसार करते हैं, तो घर में प्रकार की शान्ति, सुख, समृद्धियश-कीर्ति में बढ़ात्तरी होती है।
- देवी-देवताओं की भाषा संस्कृत है और ये संस्कृत के मन्त्रों से ही प्रसन्न होते है।
- इस प्रकार की पूजा से स्थान देवता, ग्राम देवता, कुल देवता, ग्रह देवता, पितृगण, तो प्रसन्न होते ही हैं यथा शक्ति ये देवता सम्पूर्ण परिवार रक्षा भी करते रहते हैं।
- यदि आप महालक्ष्मी या ईश्वर से कुछ चाहते हैं, तो इसके लिए आपको देवी के वैदिक मंत्रों द्वारा शास्त्रों के अनुसार पूजा करनी ही होगी।
- इसके लिए अमृतम मासिक पत्रिका द्वारा धनवंतरी दिवस को धन तेरस की पूजा, दरिद्र तिथि को जेष्ठा पूजन और गणेश श्रीमहालक्ष्मी पूजन का शास्त्रमत, विधि-विधान तथा मन्त्रों के हिन्दी अर्थों सहित एक विशेष दीपावली पूजन अंक अलग से प्रकाशित कर भारत के सभी चिकित्सक और मेडिकल स्टोर्स को निशुल्क भेज रहे हैं।
- अमृतम के इस दीपावली अंक को बहुत ही संभाल कर रखें, ये जीवन भर काम आएगा।
- अमृतम के अनुसार दिवाली पूजा करने से धन धान्य की वृद्धि होगी और स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा।
- 120 पृष्ठ की इस किताब में धनतेरस पूजन, छोटी दीपावली और बड़ी दिवाली पूजा का मंत्रों सहित दिया जा रहा है।
- अमृतम मैगजीन के साथ प्लास्टिक शीट पर मल्टीकलर में श्री यन्त्र उपहार स्वरूप एक दिया जा रहा है। संपादक amrutam
- धन की प्राप्ति हेतु श्रीयन्त्र के चित्र के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाकर प्रात:काल 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
तस्य या परमा शक्ति ज्योंत्स्त्रेवहिमदीधितेः।
सर्वावस्थां गतादेवी स्वात्मभूतानपायिनी।।
अहंता ब्रह्मणस्तस्य साहयस्मि सनातनी ॥
(श्री महालक्ष्मी – तन्त्र 2 / 11, 12 से साभार)
- विशेष- श्री अंतर स्थापना के बाद यह प्रक्रिया शुक्रवार, मंगलवार, पूर्णिमा के दिन हर से प्रारम्भ करना श्रेष्ठ है।
- लाभ होने पर माह में एक शुक्रवार को भगवान् शिव जी का शुद्ध गाय के दूध से रुद्राभिषेक का करायें।
- विशेष लाभ होने पर किसी जीर्ण-शीर्ण शिवालय की देखभाल एवं पूजा-पाठ कराते रहें।
- अतः धन की तंगी, दुःख, दर्द, दरिद्रा और गरीबी से मुक्ति के लिए अमृतम के इस स्पेशल अंक में दीपावली पूजन का सम्पूर्ण पूजा-पाठ का विधान बताया गया है।
- 120 पेज का यह एक संग्रहणीय अंक है और आने वाले हजारों सालों तक हर वर्ष दीपावली पूजन के समय उपयोग में आयेगा। संपादक amrutam
- श्रीयन्त्र, मंत्र सहित इस दीपावली पूजन अंक आपको शुभकामनाओं सहित प्रेषित है।
Leave a Reply