अखरोट शरीर के अनेक खोट, रोग, विकार जड़ से मिटा देता है।amrutam

अखरोट को  मस्तिष्क की कमजोरी, अवसाद, तनाव, भय, भ्रम, चिंता के निवारण के लिए उपयोगी माना गया है।
केसे करे अखरोट का उपयोग

सुबह खाली पेट दो अखरोट की मिंगि अच्छी तरह छा चबाकर खाते जाएं और ऊपर से हल्का मीठा और गुनगुना दूध एक एक घूंट पीते जाएं। फिर एक महीने में चमत्कार देखें। पूरा शरीर हल्का होकर स्फूर्ति से भर जाएगा।

दिमाग की बनावट का आकार है अखरोट
अखरोट की बनावट मानव मस्तिष्क की तरह होती है। अखरोट का असर सर्वाधिक बुद्धि केंद्र पर होता है। इसलिए अखरोट खाने से मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास का बोध होने से तन मन में कोई रोग नहीं बचता।
अखरोट के नियमित सेवन से शरीर के सभी तरह के दर्द, ग्रंथिशोठ या थायराइड और 26 प्रकार के वात रोग दूर होते हैं।
अखरोट के औषधीय गुण के
सूखे मेवे के अंतर्गत आने वाले खाद्यों को वस्तुतः दो वर्गों में बाँटा गया है- पहला वर्ग नट है; जिसके अंतर्गत अखरोट, नारियल, बादाम, काजू, पिस्ता, , चिरौंजी, मूँगफली आदि मेवे आते हैं; जबकि दूसरे वर्ग ड्रायफ्रूट के अंतर्गत खजूर, मुनक्का, छुआरे, किशमिश एवं अंजीर आते हैं। अखरोट के सेवन के लिए नित्य शाम को मात्र दो अखरोट की गिरी पानी में भिगोकर रख दें तथा प्रातः अखरोट की गिरी को चबा-चबाकर खाना चाहिए। अखरोट की गिरी देखने में टेढ़ी-मेढ़ी मानवीय मस्तिष्क के आकार की दिखाई देती है।
अनेक बीमारियों को मिटाता है अखरोट
आयुर्वेदिक मतानुसार यह रक्तशोधक, वात एवं पित्तनाशक है। आमवात और अन्य वात रोगों में उत्तम पथ्य है। यह कामोद्दीपक एवं रुचिप्रद है। अखरोट ब्रेस्ट कैंसर तथा
बड़ी आँत के कैंसर (कोलोन कैंसर) तथा प्रोस्टेट के कैंसर से बचाता है।
अखरोट एक एंटिऑक्सीडेंट फूड है। 
अखरोट में विद्यमान विटामिन ‘ई’ बुढ़ापा के रोगों से बचाता है। हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभकारी तत्त्व मेलोटोनिन तथा कैरोटिनाइड अखरोट में पाए जाते हैं।
अखरोट बादाम की तरह एक ब्रेनटॉनिक है। हृदय के लिए भी लाभप्रद है। शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों एवं खनिज लवणों, विटामिन्स का भंडार है। अखरोट का तेल त्वचा की शुष्कता (रूखापन) दूर करता है। अखरोट में मैंगनीज, कॉपर, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, कैल्सियम, पोटैशियम आदि तत्त्व होते हैं।
अखरोट के तेल के गुण
अरंडी के तेल के समान कृमिनाशक गुण हैं। आँतों में मौजूद टेपवर्म को नष्ट करने तथा हलका विरेचन और बिगड़े हुए पित्त के निस्सारणार्थ । अखरोट के तेल का सेवन कराया जाता है। अखरोट बलगम व अफरा को दूर करता है। अखरोट बालों को पोषण देता है ।
तेल की मात्रा – 10 ग्राम या एक तोला है।
अखरोट के घरेलू प्रयोग 
नासूर पर- अखरोट की गिरी को महीन पीसकर अरंडी के तेल में मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
दाद मिटाए अखरोट
अखरोट की गिरी को प्रातः उठते ही मुख में चबा-चबाकर उसका लारयुक्त लेप दाद पर लगाने से लाभ होता है।
मरोड़ होने पर –
अखरोट को पानी के साथ घिसकर लेप बनाकर नाभि के आस-पास लेप करने से लाभ होता है।
ल्यूकोडर्मा ( त्वचा के सफेद दाग ) में –
इसे श्वेतकुष्ठ भी कहते हैं। प्रतिदिन 4-5 अखरोट 12 घंटे पानी में भिगोए हुए नित्य प्रातः सेवन करने से लाभ होता है। यह प्रयोग लंबे समय तक करें। पथ्य के रूप में देशी काले चने अंकुरित कर सेवन करना चाहिए। स्किन की तेल Skinkey oil  को सफेद दाग पर नित्य लगाना चाहिए।
बाकुची के बीजों को पीसकर गोमूत्र में रातभर भिगोकर इसे प्रातः सफेद दागों पर गोघृत लगाकर लेप करना चाहिए।अखरोट के छिलके और बाकुची बीज के चूर्ण को 2 ग्राम लेकर नित्य पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
उपरोक्त सभी प्रयोग लंबे समय तक करने से लाभ होता है। गरम मसालों तथा तले खाद्यों का परहेज रखना चाहिए।
फुंसियाँ होने पर –
त्वचा पर फुंसियाँ बारबार निकलती हों तो एक वर्ष तक 2 से 3 अखरोट प्रातः सेवन करना चाहिए। स्किन की माल्ट Skinkey Malt का 5 महीने तक सेवन करें। गरम मसालों तथा तले खाद्यों से परहेज रखें। चाय-काफी, पूड़ी-पराठें, फास्टफूड तथा पैकेट बंद खाद्य पदार्थों से बचें। कब्ज न होंने दें। इस दृष्टि से भोजन में सलाद एवं हरी सब्जियों का प्रयोग नित्य करें।पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पथरी में लाभ होता है।
क्षयरोग (टी.बी.) में – 4 नग अखरोट और 4 कली लहसुन पीसकर 1 चम्मच गाय के घी में भूनकर नित्य प्रातः सेवन कराने से क्षयरोग में लाभ होता है।
चेहरे का लकवा (अर्दित) में अखरोट के तेल से चेहरे की मालिश नित्य करने तथा निर्गुंडी और एरंड (अरंडी) के पत्तों की भाप चेहरे पर लेने से लाभ होता है ।
 बिस्तर पर पेशाब करना ( शय्यामूत्र ) –
 यह एक बाल रोग है। ऐसे बच्चे जो नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं; उन्हें 2 अखरोट की गिरी पानी में भिगोकर 25 किशमिश खिलाकर 10 ग्राम तिल, 3 ग्राम गुड़ के साथ 15 दिनों तक खिलाने से लाभ होता है।
थरी में
पथरी में छिलका सहित अखरोट को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। 1 चम्मच चूर्ण बच्चों को आंत्रकृमि होने पर – 2 अखरोट खिलाकर दूध पिलाने से बच्चों के पेट के कृमि मल द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
खाँसी-
खाँसी में अखरोट की गिरी को भूनकर चबाकर खाने से लाभ होता है। छिलके सहित अखरोट

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