आयुर्वेद, जिसे अक्सर सभी उपचार की माँ कहा जाता है, समय हो या स्वास्थ्य हथेलियों से फिसलती हवा है। ज्ञान का अजीर्ण और अज्ञान की अपूर्णता से बीमारी को बल मिलता है। वक्त की मार है कि-भारत भी बीमार हैं.. सभी साध्य-असाध्य बीमारियों का इलाज आयुर्वेद में है। यह सस्ता भी है। लाभ भले ही कुछ बिलम्ब होगा, लेकिन गारंटी से मरीज को राहत अवश्य मिलेगी।
- वेद का एक हिस्सा है एक आयुर्वेद। रोगों का जड़ से काम खत्म करने से पूर्व पूरे शरीर का सिस्टम ठीक करता है। आयुर्वेद की सबसे बड़ी बात ये है कि ये बात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
- .सब स्वस्थ हो, देशवासी निरोग और खुशहाल रहे। अमृतम का हर पल प्रयास है कि लोग आयुर्वेद के बारे में जाने, समझे, पढ़े अमृतम से जुड़े, आयुर्वेद अपनाएं।
- जड़ी बूटियों और पौधों को मानव इतिहास के माध्यम से चिकित्सा उपचार के लिए आधार बनाया गया है, हर्बल दवा को फाइटोमेडिसिन या फाइटोथेरेपी भी कहा जाता है।
- एनीमिया के बारे में: एनीमिया रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं (एरिथ्रोसाइट्स) की सामान्य संख्या से कम है, आमतौर पर हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी से मापा जाता है।
- हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में लाल वर्णक है जो ऑक्सीजन पहुंचाता है
- आयुर्वेदक दवाए इम्युनिटी बढ़ाती हैं। ये बहुत ही लाभकारी होती हैं। यह रोगों को जड़ से मिटाती हैं।
- भारत में व्यापक रूप से प्रचलित एक प्राचीन विज्ञान है और इसने कई प्रकार की रोग स्थितियों के इलाज के लिए विश्व स्तर पर जबरदस्त ध्यान आकर्षित किया है।
- आयुर्वेदिक अवलेह जिसे आधुनिक खोज में माल्ट खाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किसी भी बीमारी को जड़ से दूर कर रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी मजबूती के लिए माल्ट का उपयोग प्राचीनकाल से किया जाता रहा है।
- अवलेह का वर्णन आयुर्वेद की 5500 वर्ष पुरानी अवलेह उपचार खंड में उपलब्ध है।
- कई प्रकार के रोगनाशक योगों में से एक विशेष है। चरक सहिंता, द्रव्यगुण विज्ञान, माधव निदान, कायचिकित्सा आदि आयुर्वेदिक ग्रन्थों में यहां तक लिखा गया है की जब कोई भी असाध्य या जिद्दी रोग किसी दवा से ठीक न हो तो तुरन्त अवलेह यानि Malt चिकित्सा आरम्भ करना चाहिए।
- आयुर्वेदिक माल्ट आमला मुरब्बा, हरड़ मुरब्बा, सेव मुरब्बा, गुलकंद, करोंदा मुरब्बा, त्रिकटु, चतुर्जात और रस, भस्म का मिश्रण होता है, जो पाचनतंत्र को ठीक कर शरीर को ताकत देते हैं।
- देशी अगले में नेलुम्बो न्यूसिफेरा, वेटिवरा ज़िज़ानियोइड्स, गमेलिना आर्बोरिया, निम्फाइया स्टेल्टाटा, रुबिया कॉर्डिफ़ोलिया और 22 अन्य पौध सामग्री का अर्क शामिल होता है।
- पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों के उपचार सहित विभिन्न विकारों के इलाज के लिए अवलेह का इस्तेमाल 5000 वर्षों से ओषधियाँ के रूप में किया जाता है।
- एक व्यापक साहित्य सर्वेक्षण से पता चला कि कुछ आयुर्वेदिक योगों के मानकीकरण की सूचना है।
- अमृतम माल्ट एंटीऑक्सिडेंट औषधीय पौधों से निर्मित है। इसका फार्मूला आयुर्वेद सार संग्रह, भावप्रकाश निघंटू आदि ग्रंथों से लिया गया है। ये आयुर्वेद की हजारों साल पुरानी किताबें हैं।
- बीमारी की बड़ी वजह है, पेट साफ न होना आजकल कब्ज के कारण हर कोई परेशान है। ज्यादातर लोगों को 2 से 3 बार फ्रेश होने जाना पड़ता है उसके बाद भी मल बंधकर नहीं आता, तो आपको रोज रात एक से दो गोली अमृतम टेबलेट की साधा जल से लेना शुरू के देना चाहिए।
- Amrutam टेबलेट पेट में सड़ रहे और आंतों में चिपके हुए मल को फुलाकर एक बार में पेट साफ कर देगा और गैस, एसिडिटी आदि अनेक उदर विकारों से राहत देगा।
- रोग-विकार सर्वप्रथम इम्यून सिस्टम पर ही आक्रमण करता है। जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार होकर क्षयग्रस्त होने लगता है।
- आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टाङ्ग ह्रदय, द्रव्यगुण विज्ञान आदि अनेक शास्त्र 50 हजार वर्षों से बता रहा कि हमारा इम्यून सिस्टम जितना स्ट्रांग होगा, हम उतने ही तन्दरुस्त रहेंगे। एलोपैथी ने यह खोज अभी-अभी की है।
- आप आयुर्वेद की ये विश्वसनीय दवाएं नियमित लेना शुरू करें। कभी डॉक्टर के यहां जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अमेजन, Amrutam पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं
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