- पुराने समय में लोग अष्टगंध को पूरे शरीर में लगाते थे। यह आठ अध्यात्मिक पदार्थों से बनता है और शरीर की रक्त नाड़ियों को मुलायम बनाकर मन को एकाग्र और शांत करता है।
अष्टगंध क्यों करता है मन को एकाग्र?
- भारत की पूजा पद्धति में चंदन, भस्म का टीका, तिलक, त्रिपुंड और अष्टगंध का देह में लेपन करने की पपमप्रा अति प्राचीन है।
- पूजा-पाठ के दौरान विधि-विधान से पूजा के लिए पूजन सामग्री का महत्व भी अत्यधिक होता है।
- केशर, नागकेसर, कुमकुम, चंदन, पुष्प, कर्पूर, रोली, अक्षत, दीप आदि इन्हीं पूजन सामग्रियों में से एक महत्वपूर्ण पदार्थ अष्टगंध भी है।
- अष्टगंध अष्टगंध में पेड़ों और औषधीय पौधों व गाय से मिलने वाले पदार्थों सहित आठ शुद्ध पदार्थ होते हैं। ये प्रकृति से मिलते हैं इसलिए भगवान को तो प्रिय होते ही हैं और पूजा में इसके प्रयोग से शुद्धता आती है। अष्टगंध शरीर पर लगाने से चमत्कारी रूप से मन को शांति मिलती है।
- अष्टगंध में कुमकुम, अगरकेसर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल वृक्ष का रंग, जल आदि प्रमुख हैं। ये पदार्थ अच्छे से पिसे हुए, स्वच्छ कपड़े से छने हुए, अग्नि द्वारा भस्म बनाए हुए और जल के साथ मिलाकर अच्छी तरह घुटे हुए होने चाहिए तब शुद्ध अष्टगंध बनता है।
अष्टगंध के लाभ-
- मान्यता है कि अपनी महक और गुणों से अष्टगंध के यही 8 पदार्थ पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में उपयोग किए जाने से सभी ग्रहों को शांत कर देते हैं।
- माथे पर शुद्ध चंदन चंदन का तिलक लगाने से तनाव दूर होता है और साथ ही मन पूजा में एकाग्र होता है, शांति मिलती है। यंत्र लेखन में भी चंदन का प्रयोग होता है।
अमृत
की बूंदों से उत्पन्न अष्टगंध
- ऐसे ही गिलोय भी अमृत दिव्य जड़ीबूटी है, जो हजारों तरह के संक्रमण/वायरस, ज्वर आदि को जड़ से मिटाती है। गिलोय इम्युनिटी बढ़ाकर स्वस्थ्य बनाती है।
- सर्दियों के दिनों में रूखी और तेलीय त्वचा दोनों के लिए उपयोगी फेस केयर फ़ॉर ऑल सीजनठंड में विशेष उपयोगी चेहरे को चमकाने वाली हर्बल कोल्ड क्रीम है।
- अष्टगंध बॉडी लोशन मुख कान्तीकर आयुर्वेदिक ग्रन्थ का हजारों वर्ष पुराना प्राचीन फार्मूला है। अमृतम अष्टगन्ध हर्बल बॉडी लोशन
- वैष्णव और शैव संप्रदाय के लोगों के लिए उनके नियमों के अनुसार अष्टगंध निर्मित है।
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