आग किसे कहते हैं। क्या स्त्री रूपी आग के साथ भाग्य को आजमा सकते हैं
आग के अनेक पर्यायवाची शब्दों में अग्नि, पावक, अनल, अग्निम, आगी, ज्वाला आदि होते हैं।
किसी प्रेम या राग हो जाए, तो याद की आग भभक उठती है।
स्कन्द पुराण के मुताबिक नाग में सर्वाधिक आग यानि एनर्जी होती है।
होलिका दहन के दौरान आग जलाकर दूसरे दिन फाग खेलने की प्राचीन परंपरा है।
जिनमें कुछ करने की ललक या आग होती है, वे भाग भाग कर भाग्य बना लेते हैं।
शिव के प्रति रह रखने, भक्ति और बेराग्य से भी शरीर में तपस्या की आग एकत्रित होने लगती है।
इसलिए सबको जागकर, अपनी मेहनत द्वारा सफलता हासिल करना चाहिए, ताकि कोई दाग दमन पर न बचे कि तुम कुछ कर नहीं पाए।
ध्यान रखें…परिश्रम पराग की तरह होता है। काग की तरह चालाक रहकर एसबी कुछ पाने की कामना करना भी आग ही है।
कुछ लोगों में आग नहीं होने से जीवन भर साग खाकर गुजारा करते रहते हैं।
स्त्री भी अपने सुहाग यानि पति को तभी सम्मान देती है, जब उसमें मर्दाना आग होती है।
आजकल की युवा पीढ़ी शादी के कुछ दिन बाद ही शरीर की आग कम होने लगती है। झाग की बीमारी यानि वीर्य के पतले पान के कारण शीघ्रपतन के शिकार हो जाते हैं और फिर चिराग लिए सेक्स की दवा खोजते हैं।
आयुर्वेद में चमत्कारी सेक्स की दवाएं सभी गुप्त रोग को ठीक कर सकती हैं। आप एक बार BFeral Gold Malt और कैप्सूल के बारे में गुगल पर सर्च कर सकते है।
BFeral इतनी आग पैदा कर देगा कि नारी आपके प्रति सभी जबाबदारी निभाने लगेगी। ये आपकी जिम्मेदारी है कि उसे केसे खुश और संतुष्ट रखना है। इसी समझदारी से जीवन की नैया पार होगी।
कुछ लोगों में इतना सेक्स पावर होता है कि वे स्त्री की लाग यानि जुगाड में लगे रहते हैं।
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