भारत में अमृतेश्वर शिवालय की स्थापना किस चिरंजीवी महर्षि ने की थी। जाने दुर्लभ रहस्य !!
स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने और तंदरुस्ती के लिए महर्षि मार्केंडेय ने एकादशी व्रत की खोज की थी,
ताकि मानव की 5 कर्मिन्द्रीय ओर 5 ज्ञानेन्द्रिय तथा एक मन स्वस्थ्य रहकर निरोगी रहते हुए पूर्णायु प्राप्त कर सके।
स्कंध पुराण के मार्केंडेय सहिंता में बताया है कि एकादशी या ग्यारस का वृत, उपवास रखने वाले साधक कभी रोग ग्रस्त नहीं होते।
हमेशा बीमार रहने वाले लोग यदि 11 माह तक शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की दोनों तिथियों में वृत रखें, तो सभी दुःख, दर्द, परेशानियों का सर्वनाश हो जाता है।
ग्यारह माह में 22 एकादशी व्रत रखने से कैसा भी दुर्भाग्य या संतति, सम्पति का अभाव हो, वह बि मिट जाता है।
एकादशी को चावल न खाने के पीछे का रहस्य यह है कि चावल का एक नाम अक्षत है, जो शिवलिंग के आकार का होता है। इसीलिए अपने आराध्य का सम्मान करते हुए महर्षि ने चावल खाने निषेध किया है।
चिंरजीवी महर्षि मार्केंडेय प्राचीन काल के चिकित्सक थे, जिन्होंने शरीर विज्ञान पर अनेक अविष्कार कर ब्रह्मांड वासियो तथा देवी देवताओं को स्वास्थ्य बनाये रखने हेतु मन्त्रों का ज्ञान दिया।
मृत्यु को जीतने वाला और कल पर विजय पाने के लिए ऋषिवर ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी।
दुर्गाशप्त शती ग्रन्थ इनके द्वारा ही लिखा गया, जो स्वास्थ्य प्रदाता है।
चिरंजीवी महर्षि भगवान शिव के परम भक्त थे और उन्हीं से दीक्षित भी थे।
अपने आराध्य देव के लिए इन्होंने 11 स्वयम्भू अमृतेश्वर शिव मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। इनका 12 शिवालय बनाने का संकल्प था। लेकिन वह बन नहीं सका।
अभी 14 मार्च 23 को ग्वालियर में बारहवा अमृतेश्वर शिव मंदिर की स्थापना हुई है, जो दुनिया के रोग, शोक, दुःख दूर करेगा।
बारहवें अमृतेश्वर शिवालय की नवीन स्थापना अमृतम परिवार के सहयोगियों द्वारा हुई। यह मंदिर करीब 8000 वर्गफुट में बनाया गया है।
अमृतेश्वर शिवालय की प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण कार्ड का चित्र नीचे देखें।
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