वात रोग नाशक आयुर्वेदिक दवाइयां निम्नलिखित हैं।
- आंवला मुरब्बा, हरड़ मुरब्बा, वृहत वात चिंतामणि रस, त्रिलोक्य चिंतामणि रस, रासराज रस, योगेंद्र रस, एकांगवीर, महावात विध्वंसन रस, दशमूल, बला पंचांग, सहजन आदि 88 तरह के द्रव्य घटक ८८ वात रोगों को हमेशा हमेशा के लिए मिटा देते हैं।
- आयुर्वेदिक औषधियों की सबसे बड़ी खाशियत यह है कि यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ साथ शरीर की नाड़ी, कोशिकाओं में नवीन रस रक्त का निर्माण करती हैं। इससे बुढ़ापे के लक्षण भी प्रकट नहीं होते।
- भूख बढ़ती है। पेट साफ रहता है। लिवर दुरुस्त होता है। रक्त वाहिनियों में रक्त का संचार नियमित होने से वात विकार जड़ से दूर हो जाते हैं।
- चरक संहिता के अनुसार वात रोग की समस्या का मूल कारण नवीन रस निर्माण में अवरोध होना होता है। नाड़ियां, नसें कठोर होने से पूरे शरीर में अकड़न, जकड़न शुरू हो जाती है और मोटापा भी तेजी से बढ़ने लगता है। ताकत और वीर्य क्षीण होकर तन, मन कमजोर होने लगता है।
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