- वीर्य को गाढ़ा बनाने के लिए आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता, रस तंत्र सार में करीब 77 जड़ी बूटियों का वर्णन है। लेकिन इन्हें घर में तैयार करना और असली नकली की पहचान अपने आप में बड़ी चुनौती है।
- आयुर्वेद सार संहिता शास्त्र के अनुसार 5000 वर्ष पुराना शुक्रवृधक यानि वीर्य को गाढ़ा करने वाले घटक द्रव्यों का उल्लेख है।
वीर्य वृद्धिकारक, गाढ़ा और शुक्रवर्द्धक तथा वृष्य —
- नवनीत (मक्खन), मांस-रस, केवाँच (कोंच) के बीज, विदारीकन्द, असगन्ध, सेमल की मुसली का रस और अनन्तमूल का रस, मिश्री मिला गरम दूध, मलाई!
- नोट–रोगी और रोग दोनों की दशा को अच्छी तरह विचार कर अनुपान का निश्चय करना चाहिये।
- क्वाथ और फाण्ट की मात्रा १ छटाँक तक। शक्तिवर्धक चूर्ण जैसे अश्वगंधा, श्तावर की मात्रा 2 से 3 ग्राम औषधियों के निचोड़े हुए रस की मात्रा १ या २ तोला भर लेनी चाहिए।
- जब चूर्ण अनुपान रूप में लायें तब मधु पंचामृत Madhu Panchmrit मिलाकर या जल से उसका व्यवहार करें।
- पित्तोल्वणता की दशा को छोड़ कर शेष सभी दशा में शहद ही अनुपान रूप से प्रयोग करें।
- उपर्युक्त अनुपान उसी दशा में प्रयोग में लाया जाय, जबकि औषध बटिका या चूर्ण रूप में दी जाय। किन्तु जब मोदक, गुग्गुलु और औषधीय पाक प्रभृति का उपयोग किया जाय, तब शीतल या उष्ण जल का अथवा उष्ण दूध का ही अनुपान में व्यवहार करना चाहिए।
- सभी औषधीय घृतों में चवन्नी भर शक्कर मिलाकर लगभग एक छटाँक अर्धोष्ण दूध के साथ सेवन करें। बहुत-से औषधसिद्ध घृत बिना शक्कर के भी उपयोग में आते हैं।
आयुर्वेद से सावधान ये जानलेवा भी हो सकता है
- पेट खराब हो, कब्ज रहती हो, भोजन समय पर नहीं पचता हो, तो कोई भी काम शक्ति वर्धक दवाओं, चूर्ण, कैप्सूल, गोली को भूलकर भी न लें।
- पेट साफ न होने से अगर कोई शिलाजीत खाता है, तो आंतों में सदन, गलाव और कीड़े पैदा कर देता है। इसलिए बिना जानकारी के कोई भी देशी या आयुर्वेदिक दवाई आपके वीर्य को बनाना रोक सकती है।
- योग रत्नाकर ग्रंथ के मुताबिक किसी भी तरह की काम वर्धक यानि सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवाएं लेने से पूर्व अपने पाचन संस्थान को मजबूत बनाएं। कब्जियत न होने देवें, ताकि खाई हुई ओषधि पचाकर रस, रक्त, धातु और वीर्य का निर्माण कर सके।
- दवाई पेट में जाकर पचेगी नही, तो पड़ी रहेगी। सड़ांध उत्पन्न करेगी, तो अनेक गुप्त रोग भी निश्चित ही होंगे।
- चक्रदत्त संहिता में लिखा है कि सेक्स की ताकत बढ़ाने के साथ साथ हरड़ मुरब्बा, गुलकंद, आंवला मुरब्बा, अमलताश आदि का भी सेवन करते रहें, ताकि पाचन तंत्र और मेटाबॉलिज्म में अवरोध न हो और लिवर भी ठीक ढंग से काम करता रहे।
- ओषधि चंद्रोदय के हिसाब से कोई भी एकल चूर्ण, शिलाजीत आदि अकेले खाने से कोई लाभ नहीं होता। सभी घटकों के उचित मिश्रण के योग से निर्मित ओषधियां ही लाभकारी सिद्ध होती हैं।
- सुश्रुत संहिता कहती है कि आयुर्वेदिक दवाएं कम से कम 1 से 2 माह ले सकें, तभी ये विशेष कारगर हैं अन्यथा रोग जड़ से नहीं मिटेंगे तथा यौन भोग करने का सुख नहीं मिल सकता।
- आयुर्वेद में करीब 100 से अधिक ग्रंथ का ज्ञान एक जैसा ही है। संक्षिप्त सार यही है कि वीर्य को गाढ़ा करने वाली दवाएं, तभी हितकारी होती हैं। जब आपका उदर सही से कम करेगा।
- पिछले 38 वर्षों के गहन शोध, 5000 साल प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियों का अध्ययन और निर्माण के अनुभव के बाद ही केवल पुरुषों के लिए एक आयुर्वेदिक माल्ट और कैप्सूल का निर्माण किया है। इसका फार्मूला बहुत ही शक्तिशाली और अजूबा है।
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