जलेबी क्या है। इसे खाने के फायदे बताएं !!

  • जलेबी को संस्कृत में कुंडलिनी भी कहते हैं। अघोरी साधु केवल जलेबी खाकर कुंडली जागरण की एक सिद्धि अपनाते हैं। क्यों कि जलेबी – उलझनों में भी मीठी हो सकती हैं, जलेबी, इस बात की मिसाल है।
  • अवधूत कीनाराम जी मुताबिक जलेबी खाने वालों को ब्रह्मचर्य का विधिवत् पालन करना चाहिये। जलेबी खाये जगत गति पावै!

अघोरी की तिजोरी से चमत्कारी उपाय

  • अघोरी कहते हैं कि कोई आपसे जले, तो नंदी, बैल, घोड़े को सवा किलो जलेबी रविवार को खिला दो। आपसे द्वेष दुर्भावना रखने वाले लोगों का पतन हो जायेगा और नजर कटेगी। अनेकों कष्टों से मुक्ति के लिए अमृतम पत्रिका का अघोर अंक पढ़ें।
  • अगर आप कभी मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान गाएं, हो, तो मंदिर से कुछ दूरी पर एक सिद्ध अघोरी की समाधि है और वहां जलेबी का नैवेद्य, प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • उज्जैन में भी विक्रमघाट में अघोरियों की समाधि बनी हैं। वहां भी मालसिक शांति के लिए शिवलिंग पर दही जलेबी रखने की प्राचीन परम्परा थी।
  • अब जानकार लोग ही जाते हैं। क्योंकि यहां शमसान घाट या मुक्ति धाम है। लोगों को जाने से डर लगता है। लेकिन कभी महाकाल के दर्शन करने जाएं, तो यहां भी जरूर जाएं। ये भैरों नाथ मंदिर के नजदीक ही है।
  • प्राचीनकाल में आधाशीशी, सिरदर्द, डिप्रेसन, मानसिक बेचैनी दूर करने के लिए जलेबी के साथ प्रातःकाल में खाली पेट राबरी के साथ जलेबी खिलाते थे। यह बहुत ही फायदेमंद उपचार है।

पहले यह जाने कि जलेबी क्या है?

  • दुनिया के 90 फीसदी लोग जलेबी का संस्कृत और अंग्रेजी नाम नहीं जानते? सुबह जलेबी के नाश्ते में है बहुत गुणकारी, साथ ही जाने…. जलेबी से जुड़े दिलचस्प किस्से…..

क्या है जलेबी? – जाने

जलेबी का जलजला….

  • जलेबी में जल तत्व की अधिकता होने से इसे जलेबी कहा जाता है। मानव शरीर में 70 फीसदी पानी होता है, इसलिए इसे खाने से जलतत्व की पूर्ति होती है।
  • जलेबी को रोगनाशक ओषधि भी बताया है। गर्म जलेबी चर्म रोग की बेहतरीन चिकित्सा है।

जलेबी तेरे कितने नाम..

  1. संस्कृत में कुण्डलिनी,
  2. महाराष्ट्र में जिलबी तथा
  3. बंगाल में जिलपी कहते है ।
  4. जलेबी का भारतीय नाम जलवल्लिका है।
  5. अंग्रेजी में जलेबी को स्वीट्मीट (Sweetmeet) और सिरप फील्ड रिंग कहते हैं।
  6. जलेबी के भेद वेद में भी लिखे है।
  7. महिलाएं अपने केशों से “जलेबी जूड़ा” भी बनाती हैं।

जलेबी का जलवा

  1. बंगाल में पनीर की,
  2. बिहार में आलू की,
  3. उत्तरप्रदेश में आम की,
  4. म.प्र. के बघेलखण्ड-रीवा, सतना में मावा की जलेबी खाने का भारी प्रचलन है।
  5. कहीं-कहीं चावल के आटे की और उड़द की दाल की जलेबी का भी प्रचलन है।
  6. ग्रामीण क्षेत्रों में दूध-जलेबी का नाश्ता करते हैं।

जलेबी तेरे रूप अनेक….

  • जलेबी डेढ अण्टे, ढाई अण्टे और साढे तीन अण्टे की होती है। अंगूर दाना जलेबी, कुल्हड़ जलेबी आदि की बनावट वाली गोल-गोल बनती है।

जलेबी से तात्पर्य ये क्या है?

  • जलेबी दो शब्दों से मिलकर बनता है। जल +एबी अर्थात् यह शरीर में स्थित जल के ऐब (दोष) दूर करती है। शरीर में आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धि एवं ऊर्जा में वृद्धि कर स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत करने में सहायक है। जलेबी के खाने से शरीर के सारे ऐब (रोग दोष )जल जाते हैं।

जलेबी ओषधि भी है

  • जलेबी अर्थात जल+एबी। यह शरीर में जल के ऐब, जलोदर की तकलीफ मिटाती है। जलेबी की बनावट शरीर में कुण्डलिनी चक्र की तरह होती है।

टपकी जाये जलेबी रस की’

  • अतः आयुर्वेद में विवाह होने तक स्वयं पर अंकुश रखने आर्थात ब्रह्मचर्य का निर्देश है।

अघोरी की तिजोरी…..

  • अघोरी सन्त आध्यात्मिक सिद्धि तथा कुण्डलिनी जागरण के लिए सुबह नित्य जलेबी खाने की सलाह देते हैं । मैदा, जल, मीठा, तेल और अग्नि इन 5 चीजों से निर्मित जलेबी में पंचतत्व का वास होता है।
  • जलेबी खाने से पंचमुखी महादेव, पंचमुखी हनुमान तथा पाॅंच फनवाले शेषनाग की कृपा प्राप्त होती है!
  • अपने ऐब (दोष) जलाने, मिटाने हेतु नित्य जलेबी खाना चाहिये।
  • वात-पित्त-कफ यानि त्रिदोष की शांति के लिए सुबह खाली पेट दही के साथ, वात विकार से बचने के लिए-दूध में मिलाकर और कफ से मुक्ति के लिए गर्म-गर्म चाशनी सहित जलेबी खावें

रोग निवारक जलेबी

  • जलेबी ओषधि भी है, जो लोग सिरदर्द, माईग्रेन से पीड़ित हैं वे सूर्योदय से पूर्व प्रातः खाली पेट २से 3 जलेबी चाशनी में डुबोकर खाकर पानी नहीं पीएं सभी तरह मानसिक विकार जलेबी के सेवन सेे नष्ट हो जाते हैं।
  • जलेबी पीलिया से पीड़ित रोगियों के लिए यह चमत्कारी ओषधि है। सुबह खाने से पांडुरोग दूर हो जाता है।
  • जिन लोगों के पैर की बिम्बाई फटने या त्वचा निकलने की परेशानी रहती हो हो वे 21 दिन लगातार जलेबी का सेवन करें।

जलेबी का जलवा….

  • जलवा दिखाने की इच्छा रखने वालों को हमेशा सुबह नाश्ते में जलेबी जरूर खाना चाहिये, जिन्हे ईश्वर से जुड़ने की कामना हो, तब जलेबी खायें।

आयुर्वेदिक जड़ी बूटी जलेबी…

  • जंगली जलेबी नामक फल उदर एवं मस्तिष्क रोगों का नाश करता है। भावप्रकाश निघण्टु में उल्लेख है – जो जंगल जलेबी खावै, दुःख संताप मिटावै।

जलेबी केे फायदे…

  • जलने, कुढन में उलझे लोग यदि जानवरों को जलेबी खिलाये तो मन शांत होता है।
  • क्योंकि मन में अमन है, तो तन चमन बन जाता है और तन ही हमारा वतन है नहीं तो सबका पतन हो जाता है इसे जतन से संभालो।

जलेबी की कहावतें…..

खाये जलेबी बनो दयालु तहि चीन्हे नर कोई।
तत्पर हाल-निहाल करत हैं रीझत है निज सोई।

  • जलेबी खाने से दया, उदारता उत्पन्न होती है। पहचान बनती है। आत्मविश्वास आता है।

टूटी की नही बनी है बूटी
झूठी की नही बनी है खूॅंटी
फूटी को नही बनी है सूठी
रूठी तो बने काली कलूटी

  • अर्थात- जिस व्यक्ति का आत्मविश्वास अंदर से टूट जाये उसको ठीक करने की कोई बूटी यानी ओषधि आज तक नहीं बनी है। जो आदमी बार -बार बदलता है इनकी एक खूटी यानि ठिकाना नही होता।
  • जिसकी किस्मत फूटी हो, जो भाग्यहीन हो, उसका भला सूफी-संत भी नही कर सकते और स्त्री रूठ जाये तो काली का भयंकर रूप धारण कर लेती है। अतः इन सबका इलाज जलेबी है।

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