उपवास क्यों जरूरी है !!

  • महादेव, महाकाल से महान कोई भगवान नहीं हैं। सावन का महीना शुरू होने वाला है। इस बार दो सावन हैं। हो सके, तो प्रेम पत्र की जगह बेल पत्र पर ध्यान देवें और हर सोमवार व्रत करें।

 

  • हमारा पेट साफ रहे इसलिए व्रत उपवास का विधान हमारे शास्त्रों ने बताया है 7 दिन में 1 दिन का उपवास हमारे पेट के अनेक रोगों का नाश कर जठराग्नि जागृत करता है!

पेट में हो रोग तो काहे का भोग —

  • एक कहावत है…कि जब पेट में हो रोग तो काहे का भोग वह का आशय भोजन के भोग से है!
  • जिससे हमें समय पर भूख लगे और खाया हुआ पाचन हो सके पेट साफ करने से ही धर्म ध्यान और भक्ति में मन लगता है! हल्का और शरीर स्फूर्ति वान रहता है …
  • हमारी जल्दी बाजी ने हमें ज्यादा अव्यवस्थित कर रखा है। धैर्य से धन बढ़ता है और धर्म से ध्यान कर्म से कष्ट भागते हैं !
  • भागने से ग्रह जाते हैं शुद्ध भाव से किया गया भोजन आसानी से पच जाता है…
  • इंसान के मान में वृद्धि होती है !
  • सहजता से समृद्धि और सरलता से शक्ति बढ़ती है…
  • विनम्रता से विवेक दया भाव रखने से व्यक्ति याद रखा जाता है….
  • प्रातः काल की भाइयों ग्रहण करने वाला सदैव युवा बना रहता है ..
  • प्रेम और पूजा करने वाला व्यक्ति पनपता जाता है आगे बढ़ता जाता है।
  • औषधि विज्ञान अभी भी स्थूल ज्ञान के भरोसे तीर में तुक्का ही बना हुआ है!
  • छोटी-छोटी बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति एक के बाद एक डॉक्टर का दरवाजा खटखटाते रहते हैं!
  • और उस मर्ज के लिए निर्धारित औषधियों में से प्रायः सभी का उपयोग कर चुके होते हैं !
  • पर उस कुचक्र में धन और समय गंवाने के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगता यही स्थिति अधिकांश रोगियों की होती है …
  • वे विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का भी आश्रय लेते हैं..
  • साथ ही जादू टोना झाड़ाफुखी तंत्र मंत्र से निरोग होने का प्रयास करते हैं
  • एलोपैथी होम्योपैथी नेचुरोपैथी आदि अनेकों चिकित्सा पद्धतिया प्रचलन में है…
  • यह सब अपने विज्ञान की मेहता का प्रचार प्रभाव करती रहती हैं…
  • अनेक उपचार धन और समय की बर्बादी के बाद भी रोग प्रायः जहां के तहां बने रहते हैं लेकिन आयुर्वेद के संपूर्ण स्वास्थ्य संभव है

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