रूपया का अर्थ क्या होता है ?

  • रुपए का पहला अक्षर रू है। रु देह, आत्मा को भी कहते हैं। ये भगवान का अंश है। इस हिसाब से रुपया ही ईश्वर है। रुपए के कारण लोगों के रूप बदल जाते हैं।

रुपया तेरे तीन नाम। परसा, परशु, परशुराम।

  • पैसे के आते ही निर्जीव के नाम में जी लग जाता है। कुछ लोग, तो पैसे वालों के यहां पाले हुए कुत्तों नाम में भी जी लगाकर बुलाते हैं। जैसे स्टार जी, डॉलर जी।
  • रू यानि शरीर में जो रूप निखरता है उसकी वजह रुपया ही है। रुपया बेजुवान होने के बाद भी संसार में शान बनाए रखता है। पैसा सबकी जान है।
  • जानेमन भी अपने तन पर हाथ रखवाने से पहले अनेक भजन, कीर्तन यानि मौज, खर्च केरवा लेती है।
  • जानेमन का स्तन और आगे की सुरंग तक पहुंचने का मार्ग अति खर्चीला है। जो कि रुपए द्वारा ही संभव है। जन जन का काम केवल धन से चल रहा है।
  • पैसा छठी इंद्रिय है। अगर पास है, तो पांचों इंद्रिय जागृत होकर काम करती हैं और रुपया नही है, पांचों इंद्रिय, ज्ञान, ध्यान की कोई कीमत नहीं होती।
  • पैसा होने पर केसा भी आदमी पूज्यनीय बन जाता है।

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