- दो विषम प्राणी सम होकर एक दूसरे की आगोश में समा जाते हैं, उसे संभोग कहते हैं। मानसिक रोग की निवृत्ति के लिए संभोग एक आवश्यक अंग है। सेक्स से जीने की उमंग बढ़ती है।
- अमृतम पीअत्रिका से साभार ये आर्टिकल केवल पुरुषों के लिए उपयोगी है। महिलाओं और बच्चों के लिए निषेध है। ये लेख कुछ बड़ा है लेकिन विवाहित जोड़ों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। इससे जोड़ों का दर्द जड़ से मिट जायेगा।
- सम्भोग से अंग अंग निखार जाता है और गुप्तांगों में लगी जंग साफ हो जाती है। चेहरे का रंग निखरने लगता है। सम्भोग के लिए स्त्री के संग सोकर,
- तंग सुरंग में जाकर मृदंग बजाना जरूरी होता है। इस योग में ध्यान भंग करने से लिंग की तरंग खत्म हो सकती है।
- सम्भोग सदैव पलंग पर ही करना श्रेष्ठ रहता है। सारंगधर संहिता के मुताबिक रतिक्रिया से दूर रहने वाले अपंग हो सकते हैं और दिमाग में आग भरी रहती है।
प्यार न देखे जात पात, काम न देखे टूटी खाट।
- – दिल की बीमारी या ह्रदय घात से बचाकर स्फूर्ति प्रदान करता है – रात का सेक्स
- – जवान बनाए रखने में सहायक
- – इम्युनिटी में इजाफा
- – गहरी नींद लाता है भरपूर सेक्स
- – मानसिक क्लेश, क्रोध, तनाव से निपटने में मददगार
- – रोज सेक्स करने से बढ़ती है उम्र और जवानी
- – बढ़ता है ब्लड सर्कुलेशन
- – सिरदर्द भी होता है रफूचक्कर
- – मोटापे रोकता है पर्याप्त सेक्स
सेक्स की सत्यकथा
- सम्भोग, रतिक्रिया को अंग्रेजी में इंटरकोर्स intercourse कहते हैं। यह स्त्री और पुरुष दोनों का शारीरिक मिलन है और ये सेक्स शारीरिक एवम मानसिक रिलेक्स के लिए ज्यादातर रात में किया जाता है।
- रतिक्रिया के अन्य नाम सहवास, सम्भोग और सेक्स SEX भी है। इसे करने वाले दिन में भी कर लेते हैं। कुछ लोग रतिक्रिया का नाम मैथुन, sexual action, coitus भी बताते हैं।
- रतिक्रिया करने के बाद की प्रक्रिया अविवाहित जोड़ों के लिए खराब होती है। क्योंकि प्रतिक्रिया के रूप में कभी कभी अनचाहा गर्भ धारण करना पड़ता है।
- सेक्स के मामले में स्त्री संतुष्ट होने के बाद कहकर, शर्मा कर शुक्रिया भी बोल देती है। इसी से प्यार बढ़ता है।
शास्त्रों में रतिक्रिया एक शारीरिक आकर्षण
- भारतीय धर्म शास्त्र जीवन के दोनों पहलुओं को इंसान के लिए अहम मानते हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में काम यानि सेक्स का विशेष महत्व बताया है।
- अर्थ यानि दाम की जरूरत होने पर ही व्यक्ति काम (कर्म WORK) करता है और कामवासना की पूर्ति हेतु पत्नी को काम SEX द्वारा प्रसन्न रखकर वंश की वृद्धि करता है।
- कामशास्त्र ग्रंथ एवं खजुराहो मंदिर इस बात के प्रतीक हैं कि धर्म के मर्म को समझते हुए भगवान के नाम के साथ-साथ व्यक्ति के लिए अपना परिवार एवं वंश आगे बढ़ाकर मोक्ष यानि मुक्ति का प्रयास भी जरूरी है।
- Ayurvedic Guide to Male Sexual Concerns and Treatments in Hindi
अध्याय 1:
- आयुर्वेद यौन स्वास्थ्य के बारे में क्या कहता है?
- – संतुष्टि कैसे प्राप्त करें?
- अध्याय 2: सेक्स से पुरुषों को कैसे फायदा होता है?
- अध्याय 3: पुरुष यौन स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ क्या हैं
– पुरुष यौन समस्याएं क्यों होती हैं?
– क्या कहता है आयुर्वेद ?
– नर का नाश करने वाली नपुंसकता
– सेक्स में रुचि कम होना या खो जाना
– तन के पतन और खाली बर्तन से शिथिलता, शीघ्रपतन
– पुरुषों में धात की बीमारी क्या है?
– मर्दाना ताकत कम क्यों हो जाती है?
– वक्त पर खड़ा नहीं होता हो तो क्या करें?
– पेशाब करते समय अधिकतर चक्कर क्यों आता है?
– पुरुष यौन चिंताओं के प्रभाव
अध्याय 4: अमृतम का आयुर्वेदिक औषधि और इलाज है अध्याय 1:
- आयुर्वेद यौन स्वास्थ्य के बारे में क्या कहता है?
- बहुत कम लोग जानते हैं कि आयुर्वेद यौन स्वास्थ्य के बारे में क्या कहता है?
- आयुर्वेद के अनुसार यौन शक्ति यानि सेक्स पावर सहवास क्षमता बढ़ाने के लिए शरीर में एनर्जी, ऊर्जा का संचय होना बहुत ज़रुरी है।
- पाचन जितना मजबूत होगा। शरीर उतना हल्का और उर्जावान रहेगा। तभी आप बेहतर पौरुष क्षमता के साथ संभोग (सेक्स) कर पायेंगें।
- इसलिए आयुर्वेद की ऐसी जड़ी बूटियों का सेवन करें, जो यौनशक्ति वर्धक हों और लिवर को क्रियाशील बनाकर शारीरिक क्षमता बढ़ाती हों। उन दवाओं की जानकारी नीचे दी जा रही है।
- आयुर्वेद सार संहिता के अनुसार सृष्टि आरंभ से ही यौन रोग से कौन पीड़ित नहीं रहा। यह इसी गुप्त बीमारी है, जिसका दुष्प्रभाव दिमाग पर सर्वाधिक होता है।
- चिकित्सा चंद्रोदय और चरक संहिता की माने, तो पुरुषों में वीर्य से ही वीरता आती है। वीर्य क्षीणता से नपुंसकता।
- व्यक्ति शारीरिक रूप से भले की कमजोर हो, किंतु वीर्य का कम और पतला होना अच्छी बात नहीं है। वीर्य के गाढ़ेपन से ही स्त्रियों को पूर्ण यौन सुख मिलता है और रतिक्रिया में आनंद की प्राप्ति होती है, तभी वह शुक्रिया कहने में लज्जा नहीं करती।
- आयुर्वेदिक शास्त्रों के अध्ययन से पता लगता है कि पाचन तंत्र की गड़बड़ी, लिवर की खराबी से ही शरीर में नया रस नहीं बन पाता और वात, पित्त, कफ असंतुलित हो जाता है।
- ध्यान रखें भोजन पचने के बाद ही रस का निर्माण होता है और यही रस नया रक्त बनाकर नवीन वीर्य निर्मित करने में सहायुक है।
और पढ़ें: सेक्स पावर कैसे बढ़ाए
- शुक्राणुओं की कमी से संतान उत्पत्ति में बढ़ा होती है। यह सब वीर्य के न बन या कम बन तथा वीर्य के पतले होने से होता है। लिंग में ढीलापन और शिथिलता की वजह भी वीर्य का न बनना ही है।
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