बिना मंत्र उच्चारण की पूजा से राहु करते हैं दुःखी।
- भूत पूजा और भूतों का बसेरा मंत्र पूजा प्रकाश ग्रंथ के अनुसार जिस पूजा-पाठ में कोई भी, किसी भी प्रकार का मंत्र नहीं बोला जाता, केवल जल पुष्पादि, धूपादि अर्पित किया जाता हो।
- जिस घर में शिवलिंग न हो, भोलेनाथ का सम्मान न हो। शिवलिंग पर जहां जल अर्पित नहीं किया जाता उस घर में राहु के दोष और दुष्प्रभाव उत्पन होने लगते हैं।
- सुबह बिना स्नान किए अन्न आदि का भक्षण किया जाता हो। तो राहु का दोष लगता है।
- राहु के बारे में विस्तार से जानने के लिए 2004 में छपी कालसर्प विशेषांक का अध्ययन करें। ये किताब उत्तर भारत के सभी मेडिकल स्टोर्स पर फ्री भेजी गई थी। अगर मिल जाए, तो इसके उपाय से जीवन बदल जायेगा।
- बिना नैवेध मन्त्र के प्रसाद आदि देवताओं पर चढ़ाया जाता हो, ऐसी पूजा का नाम भूत पूजा है। इसे घरों में राहु के गण भूत, प्रेत, ब्रह्मराक्षस, पिशाच आदि दूषित आत्माओं का वास हो जाता है।
- बिना किसी मन्त्र इत्यादि के पूजा करने वालों के घरों में निश्चित रूप से दृश्य-अदृश्य रूप में राहु के गण भूतों का वास या प्रभाव रहता है।
- जिस पूजा में विनियोग, मन्त्र, नैवेद्य मन्त्र एवं देवताओं के मन्त्रों को बोलकर पूजा की जाती है उसका शुभ प्रभाव शीघ्र ही मिलता है।
- दीपावली हमेशा राहु के स्वाति नक्षत्र में ही मनाई जाती है। क्योंकि राहु धन के कारक हैं।
- जब हम साधक दिवाली को श्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु दीपावली पूजन सम्पूर्ण विधि-विधान वेद मन्त्रों अनुसार करते हैं, तो घर में प्रकार की शान्ति, सुख, समृद्धि, यश-कीर्ति में बढ़ात्तरी होती है।
- देवी-देवताओं की भाषा संस्कृत है और ये संस्कृत के मन्त्रों से ही प्रसन्न होते है।
- इस प्रकार की पूजा से स्थान देवता, ग्राम देवता, कुल देवता, ग्रह देवता, पितृगण, तो प्रसन्न होते ही हैं यथा शक्ति ये देवता सम्पूर्ण परिवार रक्षा भी करते रहते हैं।
- यदि आप महालक्ष्मी या ईश्वर से कुछ चाहते हैं, तो इसके लिए आपको देवी के वैदिक मंत्रों द्वारा शास्त्रों के अनुसार पूजा करनी ही होगी।
- राहु एक राशि में 18 महीने रहते हैं और एक नक्षत्र में 8 महीने रहते हैं। एक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं।
- एक नक्षत्र के चार चरण होने से सवा 2 नक्षत्र में कुल 9 चरण होते हैं। इस प्रकार राहु किसी नक्षत्र के एक चरण में 2 माह और पूरे चार चरण यानि नक्षत्र में 8 महीने रहते हैं।
- राहु तीन नक्षत्रों जैसे – आद्रा, स्वाति और शतभिषा के स्वामी हैं। राहु के नक्षत्र में जन्मे जातक का आंशिक विकार जाने।
- राहु के नक्षत्रों में जन्मे जातक के रोग
- आर्द्रा नक्षत्र – इस नक्षत्र वाले जातक को स्नोफीलिया, गले के रोग, आवाज में खरखरा पान। श्वास, पित्तवाली खाँसी, कण्ठ विकार, उदर रोग, यकृत की खराबी, वाणी दोष, गले में खराबी आदि रोगों का प्रभाव होता है।
स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातक
- आम वात, एलर्जी, त्वचा, गुर्दे सम्बन्धी रोग, कब्ज, मूत्र विकार, मधुमेह, भगंदर, दुष्टव्रण एवं बुढ़ापे में अनेक रोगों से पीड़ित होते हैं।
शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातक
- बचपन में -पेट की शल्य चिकित्सा, तिल्ली रोग, पीलिया, सन्निपात, विषम ज्वर, पिण्डलियों में दर्द, पसीना अधिक आना, उच्च रक्तचाप, हथेली एवं तलवों में जलन, नेत्र रोग आदि का सम्बन्ध इस नक्षत्र से होता है।
- विशेष – राहु और केतु के प्रभाव में एक विशेषता यह है राहु जिसे अशुभ फल देता है, केतु उसे शुभ फल प्रदान करता है। इसी प्रकार केतु जिसे अशुभ फल देता है तो राहु उसे फल प्रदान करता है।
- राहु से पीड़ित व्यक्ति को ॐ शम्भू तेजसे नमः शिवाय का जप जबरदस्त फायदा करेगा। आप 11 माह में 11 लाख बार जपें और Raahukey oil का दीपक जलाएं।
- राहु के नक्षत्र में जन्मे लोगों को नाग/सर्प से भय कभी नहीं रहता।
- अमृतम राहु की तेल Raahukey oil ये राहु केतु और शनि की शांति के लिए उपयोगी है। राहु की ऑयल का दीपक जलाने से मन शांत रहता है।
राहु की तेल की प्रयोग विधि-
- धन की कमी, गृह क्लेश, मानसिक अशान्ति नकारात्मक विचार, विवाह व उन्नति में रूकावट, रोग, परेशानी, उच्चाटन तथा किसी काम में मन न लगना आदि का कारण कालसर्प, पितृदोष, राहु, केतु, शनि एवं ग्रहो का दुष्प्रभाव है।
- क्रूर ग्रहों की शांति के लिये सुबह-शाम या राहुकाल में प्रतिदिन RAAHUKEY राहुकी तेल के दो दीपक जलाकर कार्ड पर मन्त्र का जाप करे, तो निश्चित ही हर क्षेत्र में कामयाबी मिलने लगती है।
- राहु की ऑयल के दीपक 54 दिन लगातार जलाने से सुख, सौभाग्य, सफलता, समृद्धि श्वर्य एवं चमत्कारी परिणाम देने में सहायक है।
- भय-भ्रम, चिन्ता मिटाने में सही क दुर्भाग्य, दुःख – दारिद्र (गरीबी) से मुक्ति एवं वा वाद चोरी, दुर्घटना से बचने व मन की प्रसन्नता के लिए कालसर्प कार्ड को शर्ट की जेब में रखें।
राहुकाल में नीचे लिखे पंचाक्षर मंत्र का जाप करें
राहु के प्रकोप, दोष जाने
ॐ असतो मा सद्गमय,
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतम् गमय,
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।
विशेष
- Raahukey ऑयल हमेशा उपलब्ध नहीं होता।कालसर्प, पित्तदोष और राहु, शनि से पीड़ित, परेशान जातक को राहु की तेल से बहुत फायदा होता है।जो लोग इसका ऑर्डर देते हैं लेकिन समय पर कभी नही मिलता।
- Raahukey oil केवल महाशिवरात्रि, छोटी दीपावली की काल सौभाग्य शिवरात्रि, होली की पूर्णिमा और श्रवण मास की शिवरात्रि को राहु की जड़ी बूटियों के काढ़े से रुद्राभिषेक होने के बाद ही बनता है और raahukey आयल की बहुत डिमांड रहती है।
- राहु की तेल बनाने की प्रक्रिया स्कंध पुराण, नक्षत्र संहिता आदि से ली गई है और पूर्ण आध्तमिक विधान और मंत्रों की शक्ति से विशेष मुहूर्त में निर्मित किया जाता है।
- ओनली ऑनलाइन ही मिलेगा।
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