- लौंग का एक नाम कर्णफूल है। अंग्रेजी में इसे Clove कहते है। लौंग यानि कर्णफूल मसाला एक अच्छा जीवाणु नाशक है।
- लौंग शरीर के अतिसूक्ष्म करियों का नाश करता हैं। स्वाद में यह बहुत तीखा होता है। इसके ज्यादा खाने गर्मी और मुख में छाले हो सकते हैं।
- जाने आयुर्वेद के 5000 साल पुराने ग्रन्थ भावप्रकाश निघन्टु में क्या लिखा है-लौंग के बारे में—
दानवीर कर्ण ने इसकी खोज कर पहली बार खेती थी। ज्ञात हो कि राजा कर्ण की बसाई हुई नगरी करनाल है। यही एक कर्णेश्वर नाम का शिवालय है। यहां कर्ण से शिव की घनघोर तपस्या की थी।
इस शिवमंदिर को ज्योतिर्लिंग जैसी मान्यता प्राप्त है।
- गरम मसाले का यह मुख्य घटक है। इसके सेवन से वात और कफ सन्तुलित होता है।
- फूल वाली लौंग पहनकर तांत्रिक लोग साधना करते हैं। कहते हैं जिसकी जेब में लौंग होती है उसे कोई दूषित हवा या बहुत आदि अपवित्र आत्मा पीछे नहीं लगती।
- तन्त्र में लौंग यानी कर्णफूल का सर्वाधिक प्रयोग होता है।
- पढ़ी हुई लोंग से मरण-उच्चाटन किया जा सकता है और किसी के कारोबार को बंधा जा सकता है।
- जो बच्चा ज्यादा बीमार होता हो, उसके गले में 65 लौंग की माला बनाकर गले या कमर में बांध देते हैं।
- नैवेद्य अर्पित करते समय लौंग केवल इसलिए रखी जाती है, ताकि वह कीटाणुओं से मुक्त रहे।
- रात को सोते समय 3 लौंग, 2 छुआरे तकिए के नीचे रखने से गन्दे सपने नहीं आते हैं।
- हाथ में एक लौंग लेकर 9 बार
- !!ॐ ऐं ह्रीं क्लीं च मुंडायै नमःशिवाय!!
- का जाप कर खाने से आधाशीशी का दर्द तुरन्त मिट जाता है।
- जब कभी दुश्मन हावी हो, तो एक पान के पत्ते पर 5 लोंगे रखकर किसी भैरोनाथ के मंदिर पर अर्पित कर एक दीपक राहु की तेल का जलावें, तो तुरन्त शत्रु नतमस्तक हो जाता है।
- लाभ होने पर श्वान को पपीता और दूध रोटी खिलाएं।लौंग कपूरादि वर्ग का मसाला है।
- संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार-
- तृष्णां छर्दी तथाssध्मानं शूलमाशु विनाशयेत्!
- कासँ श्वासञ्चहिक्काश्च क्षयं क्षपयति ध्रुवम्!!
- लौंग के अन्य नाम और गुण-
- लवंङ्ग, देवकुसुमं सँज्ञम् यानी लक्ष्मी दायक ये संस्कृत नाम है।
- आदि शंकराचार्य रचित ग्रन्थ सौन्दर्यलहरी के अनुसार शुक्रवार मंगलवार एवं शनिवार को माँ महालक्ष्मी को पूर्णिमा की रात्रि को 111 लौंग की माला बनाकर अर्पित करने से धन की वृद्धि होती है।
- महालक्ष्मी तन्त्र के मुताबिक रविवार को दुपहर 11.40 से 12.20 के बीच 72 लौंग की माला बनाकर शिवलिंग पर अर्पित करने से सभी मानसिक विकार, मनोरोग, अवसाद, डिप्रेशन मिटने लगता है।
- लौंग स्वाद में कड़वी, तीखी, रसयुक्त, तेल युक्त, आंखों के लिए लाभान्वित। शीतवीर्य, अग्नि, ऊर्जा को प्रज्ज्वलित करने वाली। पाचक एवं रुचिकारक होती है।
- भोजन उपरांत रोज एक लौंग के नित्य सेवन से फेफड़ों की सफाई हो जाती है।
- फेफड़ों के संक्रमण को दूर करने में चमत्कारी है।
- लौंग का तेल दांत दर्द मिटाता है।
- किसी घाव में कीड़े पड़ने पर भी लौंग तेल का फोहा बांधते हैं।
- लौंग श्वेतकण वर्द्धक अर्थात रक्त में WBC बढ़ाने में विशेष कारगर ओषधि है।
- मधुमेह पीड़ितों को पेशाब खुलकर लाती है।
- किसी गर्भवती महिला को बार-बार उल्टी आती हो, तो लौंग का चूर्ण 200 से 300 मिलिगर्म अमॄतम मधु पंचामृत के साथ सुबह खाली पेट चटाने से लाभ होता है।
- पुराने अजीर्ण में लौंग का काढ़ा 1 चम्मच छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- गले की सूजन, फेफड़ो की खराबी, मुख की दुर्गंध, मसूढ़ों का दर्द होने पर 5 लौंग एक मिट्टी के सकोरे में बहुत ही कम आंच में सेककर या भुजंकर चूसने से अत्यंत फायदा होता है।
- रात को मसूढ़ों के नीचे लौंग दवाकर सोने से खून आना बंद हो जाता है।
- बहुत ज्यादा सिरदर्द, आधाशीशी का दर्द एवं ₹आंतों में दर्द होने पर लौंग का तेल लाभकारी है।
Leave a Reply