- दीपावली पर्व के दौरान वैश्य या बनियों के यहां महालक्ष्मी पूजन बहुत ही विशेष वैदिक विधान से किया जाता है।
- बनियों के यहां धन्वन्तरि दिवस यानी धन तेरस के दिन से पूजा शुरू हो जाती है। इसीलिए इनके यहां म्हालालक्ष्मीजी का सदैव निवास रहता है। इस दौरान बहुत खर्च करते हैं।
- दान पुण्य में भी कंजूसी नहीं करते। ये पंच तत्व का प्रकाशित करने वाला उत्सव है। पांचों दिन पूजा करते हैं।लेकिन ऐसे बनियों की संख्या न के बराबर है। क्योंकि उन्हें पूजा विधान का ज्ञान ही नहीं है।
धन तेरस का पूजा विधान
- सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर फ्रेश होने के बाद पूरे शरीर में औषधि तेल लगाकर आधा घण्टे बाद निम की दातुन करते हैं। फिर डेंटन में आयुर्वेदक मंजन घिसकर मुख शुद्धि करके अपने ऊपर से अपामार्ग बूटी को 7 बार उसार कर गहरे पर फेंककर स्नान करते हैं।
- अपने हाथों से घर मंदिर की सफाई कर केशर युक्त गंगाजल छिड़क कर पवित्र करते हैं। स्नान के बाद किसी किसी शिव मंदिर में जाकर ओषधि काढ़ा शिवलिंग पर अर्पित कर ओषधि युक्त तेल का दीपक जलाकर गुरुमंत्र या महालक्षमी मन्त्र नवाक्षर का 5 से 9 माला जपते हैं।
- सूर्यास्त के समय अपनी उम्र के अनुसार देशी घी के दीप जलाकर घर के दरवाजे, घूरे, मंदिर आदि में रखते हैं।
- धन तेरस के दिन जानकार वैश्य कभी भी स्वर्ण, चांदी, तांबा,के अतिरिक्त लोहे की वस्तु नहीं खरीदता।
छोटी दीपावली के रहस्य
- छोटी दीपावली मुख्य त्योहार है। इस दिन हनुमान जयंती, दैत्य शिवरात्रि आदि अनेक पर्व पड़ते हैं। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है। रात्रि में जल में इतर मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें।
- अधिक जानकारी अमृत। पत्रिका के दीपावली अंक को पढ़ें ये 200 पृष्ठ से ज्यादा का है। इसमें सूअर सुघरिया की पूजा का का विस्तार से विधान है। इसे पढ़कर निश्चित रूप से आप गरीब नहीं रहेंगे।
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